देहरादून। उत्तराखंड एसटीएफ ने फर्जी डिग्री पर प्रैक्टिस कर रहे दो मुन्ना भाईयो को गिरफतार करने में सफलता प्राप्त की है। एसटीएफ ने इस मामले में फर्जी डॉक्टर और एक फर्जी एमबीबीएस की डिग्री बनाने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार फर्जी डॉक्टर पिछले कई सालों से डॉक्टर बन कर अब तक कई लोगों का इलाज कर चुके हैं ऐसे में इन फर्जी डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन चिकित्सा परिषद में कैसे हुआ इसकी जांच में भी एसटीएफ जुट गई है।

एसटीएफ ने देहरादून से दो फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है जबकि एसटीएफ ने इन दोनों डॉक्टरों को डिग्री देने वाले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक कॉलेज के संचालक को भी गिरफ्तार किया है। देहरादून में आयुर्वेद चिकित्सक की फर्जी डिग्री का मामला सामने आने के बाद थाना नेहरू कॉलोनी में इसको लेकर एक मुकदमा दर्ज किया गया था जिसके बाद एसटीएफ ने इसकी जांच शुरू कर दी थी। इस दौरान एसटीएफ ने आयुर्वेद के 36 ऐसे डॉक्टरों को चिन्हित किया जो फर्जी डिग्री के सहारे अपने निजी क्लीनिक चला रहे थे और लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे थे दो डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है उनमें से एक डॉक्टर पिछले 10 सालों से अपने क्लीनिक पर लोगों का इलाज कर रहा था, गिरफ्तार दोनों फर्जी डॉक्टरों का पंजीकरण भारतीय चिकित्सा परिषद में भी हो चुका है जिसके बाद में दोनों ने प्रैक्टिस शुरू की थी, गिरफ्तार दोनों डॉक्टर के पास से फर्जी डिग्री बरामद की गई है जबकि इन दोनों डॉक्टरों को फर्जी डिग्री देने वाले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के बाबा डिग्री कॉलेज के संचालक को भी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि गिरफ्तार कॉलेज संचालक अपने हिस्ट्रीशीटर भाई के साथ डिग्री कॉलेज और लोगों को फर्जी डिग्री देने का काम करता था इस काम से दोनों भाइयों ने संपत्ति बना ली थी एसटीएफ ने एक भाई को तो गिरफ्तार कर लिया है जबकि दूसरा भाई अभी तक फरार है जिसकी पकड़ने में एसटीएफ लगी हुई है। एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल का कहना है कि फर्जी डॉक्टरों के मामले की जांच एसटीएफ कर रही है जिसमें इन तीनों अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गई है तीनों के पास से फर्जी डिग्री डिग्री बनाने का सामान बरामद किया गया है। एसएसपी का कहना है कि कॉलेज के दूसरे संचालक की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ दबिश दे रही है जबकि इस केस मे एसटीएफ इस बात की भी जांच कर रही है कि फर्जी डिग्री होने के बाद भी इन डॉक्टरों का पंजीकरण चिकित्सा परिषद में कैसे हुआ। आयुष अग्रवाल का कहना है कि चिकित्सा परिषद में जिस भी अधिकारी या कर्मचारी के सहयोग से यह काम हुआ है उसको भी एसटीएफ जल्द गिरफ्तार कर लेगी।