पंजाब में चन्नी को CM बना कांग्रेस ने खेला बड़ा दांव, यूपी उत्तराखंड में भी प्रभावित होगी दलित राजनीति

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नई दिल्ली। पंजाब में दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। इससे कांग्रेस जहां पंजाब में दोनों गुटों को शांत करने में सफल रही है वहीं इसका फायदा यूपी और उत्तराखंड में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में भी लेने की पूरी तैयारी है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कांग्रेस के इस कदम का लाभ केवल पंजाब तक सीमित नहीं रहेगा। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव भी पंजाब के साथ ही होने हैं और इन राज्यों में भी दलित आबादी प्रभावशाली भूमिका में है।

कांग्रेस ने अपने दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाकर राज्य के तमाम सियासी समीकरण बदल दिए हैं। लगभग 32 फीसदी दलित आबादी वाले राज्य में दलित मुख्यमंत्री देकर कांग्रेस ने एक तीर से कई शिकार किए हैं। एक तरफ तो उसने कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के सामने ऐसा चेहरा सामने लाकर रख दिया है जिसका वे विरोध नहीं कर सकेंगे। वहीं, दूसरी तरफ उसने अकाली दल और बसपा गठबंधन को भी करारा जवाब दिया है। कांग्रेस पार्टी का यह कदम पंजाब में आम आदमी पार्टी की उम्मीदों पर भी झटका माना जा रहा है जो अब तक दलित राजनीति के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरती आ रही थी और काफी मजबूती से पंजाब में अपनी दावेदारी पेश कर रही थी।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कांग्रेस के इस कदम का लाभ केवल पंजाब तक सीमित नहीं रहेगा। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव भी पंजाब के साथ ही होने हैं और इन राज्यों में भी दलित आबादी प्रभावशाली भूमिका में है। माना जा रहा है कि कांग्रेस के पंजाब के निर्णय का असर इन राज्यों पर भी पड़ेगा। पंजाब का यह फैसला उत्तर प्रदेश के दलित समुदाय में भी एक विशेष संदेश लेकर जा सकता है जहां कांग्रेस दोबारा खड़ी होने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। अगर इस समुदाय का एक हिस्सा कांग्रेस की तरफ लौट आता है, तो इस बेहद महत्त्वपूर्ण चुनाव में कांग्रेस को ‘संजीवनी’ मिल सकती है।हालांकि, इस नए सत्ता समीकरण के अस्तित्व में आने के बाद भी पंजाब कांग्रेस में मची कलह पूरी तरह थम जाएगी, इसके आसार बहुत कम हैं। दोनों खेमे इसके बाद भी सक्रिय रहकर एक दूसरे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। केवल पांच महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में अपने-अपने विश्वसनीय लोगों को टिकट दिलाने के मामले में कैप्टन और सिद्दू एक बार फिर आमने-सामने आ सकते हैं। चुनावी मौसम में कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कांग्रेस के अंदर मची कलह का सीधा लाभ आम आदमी पार्टी को मिल सकता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी सत्ता की प्रबल दावेदार थी, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह की जबरदस्त फील्डिंग ने आप की उम्मीदों पर पानी फेर दिया और वह सत्ता में आते-आते रह गई थी। लेकिन इस बार जब कैप्टन अमरिंदर सिंह स्वयं अपनी ही पार्टी में हाशिये पर खड़े हैं और कांग्रेस अपने अंतर्कलह से जूझ रही है। आम आदमी पार्टी को इस स्थिति का लाभ मिल सकता है।

आम आदमी पार्टी के पंजाब के सह प्रभारी राघव चड्ढा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस में मची यह अंतर्कलह केवल सरकार की नाकामियों को छिपाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान जानता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने अपने पिछले पांच साल के कार्यकाल में कोई कामकाज नहीं किया है और उसके खिलाफ जनता में भारी आक्रोश है। इसलिए अंतर्कलह के नाम पर कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह नए चेहरे को लाकर जनता का आक्रोश कम करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की यह चाल इस बार कामयाब नहीं होने जा रही है और कांग्रेस इस बार सत्ता से बाहर होने जा रही है।

पंजाब आम आदमी पार्टी के एक नेता के मुताबिक, कांग्रेस ने पिछले चुनाव में अपना अधिकतम वादा कर दिया था। सरकार में आने के लिए कांग्रेस ने बढ़चढ़ कर वादा कर दिया, जिन्हें पूरा कर पाना लगभग नामुमकिन था। इससे आम आदमी पार्टी की मुहिम को काफी नुकसान पहुंचाया, लेकिन उसके वही वायदे अब उसके गले की फांस बन गए हैं।

आम आदमी पार्टी ने पिछले पांच साल में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार को लगातार कटघरे में खड़ा रखा था। भगवंत सिंह मान जैसे आप नेताओं ने किसानों के मुद्दे पर, दलित वर्गों के लिए विभिन्न योजनाओं के नाम पर और भ्रष्टाचार में शामिल कुछ मंत्रियों को हटाने की मांग को लेकर लगातार मुहिम चलाई।

आप कैप्टन अमरिंदर सिंह पर लगातार भ्रष्टाचारी नेताओं को संरक्षण देने का आरोप लगा रही थी। आम आदमी पार्टी कांग्रेस की 2017 की घोषणा पत्र की कॉपी लेकर लोगों के घर-घर जाकर यह याद दिला रही थी कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले चुनाव में सत्ता में आने के लिए क्या-क्या वायदे किए थे, लेकिन इन वायदों को पूरा नहीं किया गया। आम आदमी पार्टी की इस मुहिम का जनता पर असर देखा जा रहा है।

आम आदमी पार्टी का दावा है कि उसकी इन मुहिम का ही परिणाम हुआ है कि कांग्रेस नेतृत्व को अब पंजाब में चेहरा बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा है। पार्टी चेहरा बदलकर पंजाब में अपनी वापसी चाहती है। हालांकि, आम आदमी पार्टी का दावा है कि कांग्रेस को इसका लाभ नहीं मिलेगा।

अकाली दल को लाभ न मिलने की उम्मीद
विश्लेषकों के मुताबिक, पंजाब कांग्रेस में अंतर्कलह का लाभ अकाली दल को मिलने की उम्मीद नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि अकालियों के पिछले शासन काल की यादें लोगों के जेहन से अभी भी धुंधली नहीं पड़ी हैं। उसके नेताओं के कथित भ्रष्टाचार और नशे के कारोबार में लिप्त होने के कारण वे अभी भी जनता की नाराजगी झेल रहे हैं।

पंजाब में किसानों का मुद्दा अभी भी बेहद गंभीर है। आम आदमी पार्टी ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर खुलकर किसानों का साथ दिया है। पार्टी ने न केवल सैद्धांतिक सहमति दी है, बल्कि जब किसान आंदोलन करने के लिए दिल्ली आए तो आम आदमी पार्टी नेता राघव चड्ढा और आतिशी मारलेना उनके लिए लंगर लगाते और अन्य सुविधाएं प्रदान करते हुए दिखाई पड़े। दिल्ली सरकार ने किसानों के लिए मुफ्त वाईफाई की सुविधा देकर उनका दिल जीतने की कोशिश की।

एक तरफ तो आम आदमी पार्टी किसानों को रिझाने की कोशिश कर रही थी, वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जाने-अनजाने किसानों का विरोध कर दिया। वे पंजाब में उनके विरोध प्रदर्शन के खिलाफ बयान देकर अचानक किसान नेताओं के निशाने पर आ गए। कांग्रेस पार्टी का एक धड़ा यह मानता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह का यह स्टैंड भी विधानसभा चुनाव में उनके लिए नुकसान का कारण बन सकता है।

कांग्रेस में मचा घमासान, किसानों के मुद्दे पर अमरिंदर सिंह का स्टैंड, अकालियों की अभी भी जनता के बीच लोकप्रियता न बढ़ा पाना आम आदमी पार्टी की संभावनाओं को मजबूत कर रहा है। रही-सही कसर अरविंद केजरीवाल की 300 यूनिट मुफ्त बिजली जैसी घोषणाओं ने कर दी है। इन तमाम कारणों से आम आदमी पार्टी नेताओं का दावा है कि इस बार वह पंजाब में सरकार बना सकती है।

लेकिन, कांग्रेस ने दलित मुख्यमंत्री का दांव खेलकर सभी राजनीतिक दलों को अपनी चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। अब तक विपक्षी दलों के निशाने पर रही कांग्रेस अब फ्रंट फुट पर आकर बैटिंग करती दिखाई पड़ सकती है। उसने दलित मुख्यमंत्री देने की दलित समुदाय की बड़ी इच्छा को पूरी कर उनका दिल जीत लिया है। इससे पूरे पंजाब में उसके लिए एक बड़ा संदेश जाएगा और पार्टी को पंजाब विधानसभा चुनाव में इसका ईनाम मिल सकता है।

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