मुजफ्फरनगर दंगे में सजायाफ्ता भाजपा विधायक की विधायकी समाप्त

0
192

लखनऊ। मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा सीट से भाजपा विधायक विक्रम सैनी को बड़ा झटका लगा है। उनकी सदस्यता समाप्त हो गई है, जिसके बाद इस सीट पर अब जल्द ही उपचुनाव कराया जाएगा।
आपको बता दें कि खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सैनी समेत 11 अन्य लोगों को मुजफ्फरनगर दंगे में दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई गई थी। रामपुर के सपा विधायक आजम खान को इसी तरह के एक हेट स्पीच के मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई और रामपुर सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया, जिसके बाद राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को एक चिठ्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने सवाल किया था कि दो साल और उससे ज्यादा की सजा पर सुप्रीमकोर्ट का आदेश है कि विधायक और सांसद की सदस्यता स्वत: समाप्त हो जाएगी और उसी आधार पर आजम खान की सदस्यता समाप्त की गई है, तो विक्रम सैनी की सदस्यता क्यों नहीं समाप्त की गई? जिसके बाद यह मामला गर्मा गया था।‌‌ बताया जाता है कि इसी मामले में विक्रम सैनी की भी सदस्यता समाप्त हो गयी है। खतौली विधानसभा सीट अब रिक्त हो गयी है, जिस पर शीघ्र ही उपचुनाव कराया जाएगा।


दूसरी तरफ विधायक विक्रम सैनी ने कहा कि उन्हें लखनऊ से अभी इसकी कोई लिखित जानकारी नहीं मिली है लेकिन अन्य माध्यमों से ऐसी जानकारी मिल रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें कानून का फैसला मंजूर है , वे इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में जाएंगे। उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी को यह चिट्ठी नहीं लिखनी चाहिए थी , इस चिट्ठी से पूरा अतिपिछड़ा वर्ग जयंत के खिलाफ लामबंद हो गया है और अगर वे मुज़फ्फरनगर से चुनाव लड़ेंगे तो उनकी जमानत जब्त करा दूंगा। उन्होंने कहा कि जयंत यदि कहीं और से भी चुनाव लड़ेंगे तो उनके खिलाफ चुनाव प्रचार करने जाऊँगा। उन्होंने कहा कि वे विधायक भले ही न रहे लेकिन बीजेपी के कार्यकर्ता और संघ के स्वयं सेवक थे और सदा बने रहेंगे।

इस मामले में सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ वकील मदन शर्मा और मुजफ़्फरनगर के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल जिंदल ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 के सेक्शन 8 के उप सेक्शन 3 में यह प्रावधान है कि यदि किसी सांसद या विधायक को 2 साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त हो जाएगी, लेकिन इसी धारा के उप सेक्शन 4 में यह प्रावधान था कि 3 महीने के भीतर कोई उच्च अदालत स्थगन आदेश न जारी कर दे, इसलिए सदस्यता पर 3 महीने तक कोई प्रभाव नहीं पड़ता था, लेकिन लिली थॉमस अधिवक्ता एवं लोक प्रहरी के सचिव एसएन शुक्ला की जनहित याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने 11 जुलाई 2013 को पारित अपने निर्णय में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 की उप धारा 4 को ही ख़त्म कर दिया था,, जिसके बाद धारा 3 के तहत 2 वर्ष से अधिक की सजा पर अब तत्काल सदस्यता स्वत: समाप्त हो जाती है।

उन्होंने बताया कि इस कानून के अनुसार 11 अक्टूबर को जिस दिन अदालत ने विधायक को सजा सुनाई थी उसी दिन विक्रम सैनी की विधानसभा सदस्यता स्वतः समाप्त हो गयी थी। अब विधानसभा अध्यक्ष को केवल खतौली सीट के रिक्त होने का नोटिफिकेशन ही जारी करना होगा। उन्होंने बताया कि तीन महीने के अंदर यदि उच्चतम न्यायालय निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा देता है तो उनकी सदस्यता स्वतः बहाल हो जायेगी अन्यथा इस सीट पर अब उपचुनाव ही होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here