उत्तराखंड: दबिश देने आई मुरादाबाद पुलिस के खिलाफ 302 सहित कई अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज

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सिविल ड्रेस में आई मुरादाबाद पुलिस, उत्तराखंड पुलिस को नहीं दी सूचना, यूपी पुलिस से हो गई बड़ी चूक

देहरादून। 12 अक्टूबर बुधवार रात उधमसिंह नगर के कुंडा थाना क्षेत्र में यूपी पुलिस और स्थानीय जनता के बीच जो हुआ उसने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई पर ही सवाल उठा दिए हैं। जसपुर ब्लॉक प्रमुख की पत्नी की गोली लगने से मौत के बाद स्थानीय लोगों का गुस्सा सड़कों पर दिखा। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए यूपी पुलिस के खिलाफ हत्या का मुकदमा सहित 6 धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। नैशनल हाइवे जाम कर बैठे लोगों को जानकारी देकर वहां से हटाया गया। मुरादाबाद के इनामी खनन माफिया जफर को पकड़ने पड़ोसी राज्य पहुंची उत्तर प्रदेश पुलिस से क्या बड़ी चूक हो गई? क्या आने से पहले यूपी पुलिस ने उत्तराखंड पुलिस को सूचित नहीं किया था? इस घटना के बाद तमाम सवाल हैं जो घुमड़ रहे हैं।

उत्तराखंड पुलिस को नहीं थी जानकारी
मुरादाबाद के इनामी खनन माफिया जफर के बारे में उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद पुलिस को सूचना मिली थी कि वह उत्तराखंड के उधमसिंह नगर के कुंडा थाना क्षेत्र में है। यूपी पुलिस को पता चला कि वह ब्लॉक प्रमुख गुरताज भुल्लर के घर में है। घर को चारों ओर से घेर लिया गया। ब्लॉक प्रमुख भुल्लर के परिवारवालों से नोक-झोंक हुई। बात इतनी बढ़ी कि फायरिंग शुरू हो गई। इसमें गुरताज की पत्नी की मौत हो गई। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या यूपी पुलिस ने दबिश देने से पहले उत्तराखंड पुलिस को सूचना नहीं दी थी। उत्तराखंड पुलिस के बयानों से तो यही लग रहा है। DIG नीलेश आनंद भरणे ने बताया था कि हम मामले की जांच करेंगे डॉग स्कॉड से लेकर बेलिस्टिक एक्सपर्टस तक को बुलाया जाएगा। इससे हम यह पता चलेगा किसकी गोली से यह मौत हुई है। उन्होंने आगे बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस बिना सूचना के यहां आई थी। वह लोग सादी वर्दी में थे। हमने इस मामले में 6 धाराओं 302,147,148,149,452,504,120B, के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।

नियम कहता है कि जब किसी राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में कार्रवाई के लिए जाती है तो सबसे पहले वह वहां के संबंधित थाना को सूचित करती है। उसे अवगत कराया जाता है कि वह किस केस के सिलसिले में वहां आई है। इसी मामले से समझने की कोशिश करते हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस अगर वहां इनामी खनन माफिया को पकड़ने आई थी तो उसे पहले उत्तराखंड के संबंधित थाने में सूचना देनी चाहिए थी। सूचना के बाद वहां की पुलिस एक्टिव हो जाती क्योंकि वह उसका इलाका है और इससे आरोपी को भी पकड़ने में आसानी हो जाती है। मगर, इस केस में ऐसा नहीं हुआ।

सिविल ड्रेस में क्यों आए थे

डीआईजी ने बताया कि उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद पुलिस सिविल ड्रेस में आई थी। सवाल उठ रहा है कि आखिर उत्तर प्रदेश पुलिस को वर्दी छोड़ सिविल ड्रेस में आने की जरूरत क्यों पड़ गई। SSP हेमंत कुटियाल ने बताया था कि पुलिसकर्मियों को बांधकर गोली मारी गई है। उन्हें कई बार गोली मारी गई। यूपी पुलिस ने सफाई दी कि उनकी तरफ से कोई फायरिंग नहीं हुई है। सिविल ड्रेस में आने के चलते क्या स्थानीय लोगों ने उत्तर प्रदेश पुलिस को पहचान नहीं पाई।

कमजोर रणनीति का परिचय

उत्तर प्रदेश के सीएम प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर काफी सख्त रुख अपनाते हैं। जफर पर कार्रवाई से पहले सीएम योगी ने वर्चुअल समीक्षा बैठक में डीआईजी शलभ माथुर को खनन मामले में फटकार लगाई थी। यहां यूपी पुलिस ने अपनी कमजोर रणनीति का भी परिचय दिया। यहां उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से कोई प्लानिंग नहीं की गई समझ में आती है। उन्हें जफर के उधमसिंग नगर के कुंडा थाना क्षेत्र में होने की सूचना तो थी लेकिन वहां पकड़ में आता उससे पहले फायरिंग शुरू हो गई। इस फायरिंग में ब्लॉक प्रमुख की पत्नी की मौत हो गई। इस मौत के बाद यूपी पुलिस पर सवाल उठ रहे कि आखिर जिस आरोपी को पकड़ने यूपी पुलिस से इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई। उत्तर प्रदेश पुलिस इसपर चाहे लाख सफाई दे लेकिन स्थानीय लोगों का गुस्सा और गुरताज भुल्लर की पत्नी की मौत ने बैकफुट पर धकेल दिया है।

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