चुनाव उपचुनाव नतीजे: कम हो रही है मोदी की लोकप्रियता! योगी का भी कम हो रहा असर

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गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव और दिल्ली में एमसीडी चुनाव की मतगणना समाप्त हो गई है और नतीजे देश भर की जनता देख रही है,सबसे पहले बात करें गुजरात की तो नतीजे आशा के मुताबिक़ आये हैं और साफ है कि मुख्यमंत्री की 5 साल की मेहनत का फल उनको मिल गया है,गुजरात मे कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान आम आदमी पार्टी ने पहुंचाया है जिसके तमाम नेताओं ने गुजरात मे दिन रात मेहनत की और नतीजे में 5 सीटें तो हासिल कर ली मगर कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचा दिया,भाजपा से नाराज़ मतदाता कांग्रेस और आप मे बंट गया और नतीजे में भाजपा को बम्पर बहुमत की सौगात मिल गई,हालांकि कुछ लोग कहेंगे कि इस बम्पर बहुमत हासिल करने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभामंडल अहमियत रखता है मगर ऐसा हरगिज नही है,अगर उनका आभामंडल इतना ही उपयोगी होता तो हिमाचल और उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में भी काम आता मगर ऐसा बिल्कुल नही हुआ।

अब बात करते हैं हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव की जहां पर कांग्रेस ने 40 सीटों के साथ बहुमत हासिल कर लिया है,अगर चुनाव प्रचार की बात करें तो भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार में कोई कोर कसर बाकी नही छोड़ी दूसरी तरफ कांग्रेस भाजपा नेताओं के सामने प्रचार में कहीं भी नही टिकी लेकिन नतीजों ने साबित कर दिया कि भाजपा अपराजेय तो कतई नही है और भाजपा को शिकस्त दी जा सकती है बशर्ते विपक्ष में मुकाबला करने और जीतने की ललक सलामत रहे, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिमाचल में दिन रात मेहनत की यहां तक कि भाजपा के बागी उम्मीदवार को फ़ोन कर दुहाई तक दे डाली जिसके वीडियो तक वायरल हुवे मगर हालात बिल्कुल ही उलट गए और कोंग्रेस ने भाजपा और मोदी को शिकस्त दे डाली और अब नतीजे में हिमाचल में कोंग्रेस की बहुमत की सरकार बनती नज़र आ रही है हालाँकि भाजपा और उसके चाणक्य अभी अपनी पूरी कोशिश करेंगे ख़रीद फ़रोख़्त कर किसी भी तरह कोंग्रेस के विधायक तोड़कर अपनी सरकार बनाने की मगर उनको इस कोशिश में शायद ही अबकी बार कामयाबी मिले।

दिल्ली में एमसीडी चुनाव में पहली बार आप ने भाजपा को शिकस्त दी और बहुमत हासिल कर लिया है, ये वही एमसीडी है जिसकी बिना पर केजरीवाल को दिल्ली में घेरा जाता था और केजरीवाल की तकरीबन शक्तियों को भाजपा ने अपने कब्जे में लिया हुआ था मगर अब केजरीवाल काफी हद तक खुले हाथों से दिल्ली में विकास कार्यों पर अपनी पकड़ बनाकर रख सकते हैं और जनता को वो सब कुछ दे सकते हैं जो शायद वो देना चाहते थे मगर भाजपा के एमसीडी बोर्ड की वजह से मजबूर थे।

अब जिस दिल्ली में दिन रात मोदी रहते हैं और वहीं पर भाजपा बुरी तरह से हार जाए तो मोदी के आभामण्डल पर सवाल उठने तो लाज़मी हैं मगर ये भी तय है कि जिस मीडिया पर सवाल उठाने की ज़िम्मेदारी है वो सवाल नही उठाएगी और वहां भी भाजपा की हार का ठीकरा लोकल भाजपा नेताओं पर फोड़ कर माहे बदोलत को क्लीनचिट दे ही दी जाएगी।

अब बात उत्तर प्रदेश में एक लोकसभा और दो विधानसभा उपचुनाव की तो मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई सीट पर मुलायम की पुत्रवधू डिम्पल यादव ने जबरदस्त वोटों के साथ जीत हासिल कर भाजपा को करारा सबक सिखाया है, भाजपा ने अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए साम दाम दंड भेद सबका इस्तेमाल किया,पूरी सरकार इस चुनाव पर दिन रात मेहनत कर रही थी और किसी भी कीमत पर मैनपुरी सीट जीतकर एक संदेश देना चाहती थी मगर मैनपुरी में चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश ने भाजपा के तोते उड़ा दिए,बडे बडे दावे करने वाले भाजपा उम्मीदवार और तमाम भाजपा नेता मैनपुरी में औंधे मुंह गिरे हैं और जनता जनार्दन ने डिम्पल यादव को जिताकर मुलायम सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। मैनपुरी सीट जीतने के साथ ही यादव परिवार फिर से एक हो गया है और चाचा शिवपाल ने अपनी राजनीतिक पार्टी का सपा में विलय का ऐलान कर दिया है और अब पूरे परिवार के एक साथ रहने का ऐलान कर दिया है जिसका फायदा सपा को मिलेगा और इसका भाजपा को बड़ा नुकसान होता भी दिखाई दे रहा है।

अब बात करते हैं रामपुर विधानसभा सीट की जिसपर उपचुनाव में पूरे देश और प्रदेश की जनता की नज़र थी,इस सीट को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और भाजपा ने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था और मुख्यमंत्री चाहते थे कि किसी भी कीमत पर यहां आज़म खान के आभामंडल को ध्वस्त करना है, सपा नेताओं के मुताबिक पूरी प्रदेश सरकार इस सीट पर दिन रात मेहनत कर रही थी आज़म खान के तमाम मुख़ालिफ़ एक साथ इकट्ठा हो गए थे यहीं नही आज़म के तमाम वफादारों को भी सत्ता का इस्तेमाल कर अपने पाले में खींच लिया गया था,देश भर में वायरल वीडियो में जनता ने अपनी आंखों से देखा कि किस तरह शासन प्रशासन की कारकरदगी रही, सपा ने प्रशासन पर खुले आरोप लगाये कि सपा के मतदाताओं खास तौर पर मुस्लिम मतदाताओं को घरों में कैद कर दिया गया और उनको वोट तक नही डालने दिया गया जिसके नतीजे में वोटिंग परसेंटेज बेहद कम रही, इस सीट जो जीतना भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका था और नतीजे बिल्कुल वही आए जिसकी अपेक्षा भाजपा कर रही थी,आज़म खान का राजनीतिक किला रामपुर में ध्वस्त कर दिया गया, हालांकि अपनी तमाम जनसभाओं में आज़म खान पहले ही चीख़ चीख़ कर कह रहे थे कि रामपुर में चुनाव नही हो रहा खुली गुंडागर्दी की जा रही है,आज़म ने तो चुनाव आयोग को कह दिया था कि अगर चुनाव इसी तरह से होता है तो फिर भाजपा उम्मीदवार को जीता हुवा घोषित कर दिया जाए चुनाव कराने की ज़रूरत ही किया है,लेकिन ये यहां भी तय हुवा की इस सीट पर मिली जीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कोई योगदान बिल्कुल भी नही है।

अब खतौली उपचुनाव की बात करें तो इस सीट पर भाजपा के निवर्तमान विधायक की पत्नी चुनाव लड़ रही थी,निवर्तमान विधायक ने जहां जमकर बदज़ुबानी की वहीं मुख्यमंत्री समेत तमाम कैबिनेट और भाजपा नेता दिन रात एक किये हुवे थे और किसी भी कीमत पर इस सीट जो जीतकर मैसेज देना चाहते थे मगर रालोद नेता जयंत चौधरी ने जाट-मुस्लिम गठजोड़ के साथ आख़िरकार फ़तेह हासिल कर ही ली,रालोद उम्मीदवार पर जहां बाहरी होने के आरोप लगाए गए वहीं जयंत चौधरी और सपा समेत गठबंधन के नेताओ ने बिना विचलित हुवे दिन रात मेहनत की और नतीजे में गठबंधन प्रत्याशी मदन भैया ने भाजपा प्रत्याशी को करारी हार से रूबरू कराया,मतलब ये की यहां भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जलवा ज़रा भी काम नही आ सका।

हिमाचल प्रदेश, दिल्ली एमसीडी और उत्तर प्रदेश के उपचुनावों से काफ़ी हद तक संकेत मिल रहे हैं कि आगामी चुनावों में सिर्फ़ नरेन्द्र मोदी के दम पर भाजपा जीत हासिल नही कर पायेगी,अगर भाजपा को अभी लंबी राजनीतिक पारी उत्तर प्रदेश और देश भर में खेलनी है तो देश के किसानों व्यपारियो नौजवानों पर धयान देना ही होगा,किसानों की खुशहाली और उनकी आय बढ़ाने के उपाय करने ही होंगे,नौजवानों को रोजगार भी देना होगा,व्यापारियों और उद्योगपतियों को कारोबार के लिए सहूलियत भी देनी पड़ेगी और सबसे बड़ी परेशानी महंगाई जो सुरसा के मुह की तरह बढ़ती ही जा रही है उसको कम करनी ही होगी,गृहणियों के चूल्हे चौके और रसोई के सामान को सस्ता करना होगा,सरकारी दफ्तरों में बढ़ रहे भरस्टाचार को खत्म करना पड़ेगा,वरना ये तो तय है कि मोदी और योगी का आभामंडल ज़्यादा लम्बे वक़्त तक तो हरगिज काम न आयेगा।

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