तो क्या चिराग पासवान ने बिगाड़ दिया नीतीश कुमार का गणित?

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शिब्ली रामपुरी
एग्जिट पोल पर यकीन करें तो बिहार में तेजस्वी यादव बड़ी कामयाबी हासिल करने जा रहे हैं और इस बार मुख्यमंत्री का ताज उनके सर पर सजने जा रहा है. बिहार चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को सामने आ जाएंगे जिस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं लेकिन जिस तरह से सभी एक्जिट पोल में तेजस्वी यादव को बढ़त दिखाई है उससे प्रतीत हो रहा है कि बिहार की जनता ने इस बार तेजस्वी यादव जैसे युवा पर भरोसा जताया है. बिहार विधानसभा चुनाव में यूं तो सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने तरीके से चुनावी मैदान में सफलता हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास किए हुए था.लेकिन इस चुनाव में सबसे ज्यादा जो नजरें टिकी हुई थी वह दो ऐसे चेहरों पर थी कि जो युवा हैं और पहली बार बेहतरीन तरह से अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. इनमें एक नाम लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव और दूसरे रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान का शामिल है. इन दोनों चेहरों पर पूरे चुनाव के दौरान सभी की नजरें टिकी रही और इनके हर एक कदम पर सभी की नजरें लगी रही कि इनका अगला कदम क्या होगा और क्या भविष्य में यह एक बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में उभरेंगे. एग्जिट पोल के मुताबिक तो सबसे बड़ी कामयाबी बिहार में तेजस्वी यादव हासिल करने जा रहे हैं और चिराग पासवान बिहार में कोई करिश्मा तो नहीं कर सकेंगे लेकिन इतना जरूर है कि तेजस्वी यादव की जीत और नीतीश कुमार की शिकस्त में चिराग पासवान का बहुत बड़ा रोल है. क्योंकि चिराग पासवान ने जिस तरह से चुनाव में नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश की ऐसा तो तेजस्वी यादव भी करते नजर नहीं आए. बिहारी स्वाभिमान के नाम पर चिराग़ पासवान ने जिस तरह से नीतीश कुमार हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए माहौल बनाने का काम किया इतने आक्रामक अंदाज से तो तेजस्वी यादव भी नीतीश कुमार पर सियासी हमला करते हुए दिखाई नहीं दिए. लेकिन यह हकीकत है कि चिराग पासवान द्वारा नीतीश कुमार पर मजबूती के साथ किए गए सियासी हमले का लाभ तेजस्वी यादव के पक्ष में जरूर जाता हुआ दिखाई दे रहा है. यदि ऐसा संभव हो पाता है तो चिराग पासवान के आक्रामक अंदाज का सबसे ज्यादा बढ़ा लाभ तेजस्वी यादव को मिलेगा. एग्जिट पोल के मुताबिक चिराग पासवान को कुछ चंद सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा लेकिन उन्होंने कई सीटों पर नीतीश कुमार का गणित बिगाड़ दिया है. बताया जाता है कि बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने नीतीश कुमार का गणित 30 से 40 सीटों पर बिगाड़ने में कसर बाकी नहीं रखी है इन सीटों पर एलजेपी ने जेडीयू को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है।

सियासत में गहरी जानकारी रखने वालों का कहना है कि अगर जेडीयू एलजेपी के साथ मिलकर चुनावी मुकाबले में उतरती तो बीजेपी से ज्यादा सीटें जेडीयू की होती. यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार का यह इमोशनल कार्ड भी कोई कमाल नहीं कर सका है कि जिसके चलते उन्होंने कहा था कि यह उनका आखिरी चुनाव है. हालांकि कांग्रेस ने नीतीश कुमार के इस बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि हार करीब देखकर नीतीश कुमार आखिरी चुनाव की बात करने लगे हैं. दूसरी और तेजस्वी यादव ने कहा था कि नीतीश कुमार से जनता ऊब चुकी है और वह उनके 15 सालों को देख चुकी है और अब जनता ने नीतीश कुमार से कुर्सी लेने का मन बना लिया है. बिहार की जनता अब प्रदेश में बदलाव चाहती है।

फिलहाल तो चुनाव नतीजों में ज्यादा वक्त नहीं रह गया है और तस्वीर जल्दी ही साफ हो जाएगी कि किस को क्या मिलता है और एक्जिट पोल में जो दिखाया है उसके मुताबिक क्या यह आंकड़े सही साबित होते हैं या फिर एग्जिट पोल से हटकर के चुनाव नतीजे सामने आएंगे. इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

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