मुस्लिम ओबीसी वोट पर भाजपा की नजर, खास रणनीति के तहत काम कर रही भाजपा

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने एक खास रणनीति के तहत मुस्लिम ओबीसी वर्ग में पैठ बढ़ाने के लिए काम शुरू कर दिया है। जाहिर तौर पर न सही लेकिन भाजपा ने अपने सियासी रोडमैप में मुस्लिमों को भी शामिल कर लिया है। बिना शोर-शराबे के पार्टी इस एजेंडे पर काम भी शुरू कर चुकी है। टीम योगी में राज्यमंत्री के रूप में दानिश आजाद अंसारी की ताजपोशी भी भाजपा की इसी मुहिम का हिस्सा माना जा रहा है। दरअसल, भगवा खेमे की निगाह मुस्लिम समाज के उस पिछड़े (ओबीसी) तबके पर है, जिसकी पहचान पसमांदा मुसलमान के रूप में बनी हुई है।

यूपी में विभिन्न बोर्ड-आयोगों, समितियों के साथ संगठन में भाजपा इन्हें बीते कई सालों में स्थापित कर चुकी है। खुले तौर पर यही माना जाता है कि भाजपा और मुस्लिम नदी के दो किनारों की तरह हैं। पार्टी समय-समय पर इस धारणा को स्थापित भी करती रही है। वर्ष 2017 की तर्ज पर इस विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं उतारा था। असल में भाजपा में मोदी युग की शुरुआत यानी 2014 से 2022 तक के सफर को देखें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी करीब 50 फीसदी वोट शेयर पाने में सफल हो चुकी है। हालिया विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का वोट शेयर 39.67 से बढ़कर 41.30 फीसदी पहुंच गया है।

मिशन-2024 के लिए मुस्लिम भी अहम
2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा अपना वोट प्रतिशत और बढ़ाना चाहती है। इसके लिए पार्टी की निगाह यूपी के मुसलमानों पर भी है। खासतौर से मुस्लिमों की उस जमात पर पिछड़े वर्ग से आते हैं। उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में इनकी संख्या भी बहुतायत में है। उत्तर प्रदेश में ओबीसी हिन्दुओं के बीच गहरी पैठ बना चुके भगवा दल भाजपा ने मुस्लिम पिछड़ों के लिए भी अपने दरवाजे खोल दिए हैं। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच इस मुहिम पर काफी पहले से काम कर रहा है।

बोर्ड-आयोगों पर पसमांदा चेहरे
भाजपा ने प्रदेश में मुस्लिमों से जुड़े तमाम बोर्ड, आयोगों के साथ संगठन में भी इन्हें तरजीह दी है। पार्टी के एक मुस्लिम नेता की मानें तो राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी, उर्दू अकादमी के अध्यक्ष कैफुल वरा, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी, प्रदेश अल्पसंख्यक मोर्चा की टीम के 70 फीसदी चेहरे, मोर्चा के पश्चिम, गोरखपुर और काशी क्षेत्र के अध्यक्षों के अलावा तमाम सरकारी समितियों में नामित किए गए मुस्लिमों के पिछड़े समाज से ही हैं।

मुस्लिमों को जोड़ने की मोदी मुहिम
मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रही गरीब कल्याण की तमाम योजनाओं का लाभ पिछड़े और गरीब मुस्लिम वर्ग को भी मिला है। योगी सरकार की ओडीओपी योजना हो या चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार द्वारा लखनऊ, रामपुर सहित यूपी में कई जगह लगाई गई हुनर हाट ने भी बाकियों के साथ मुस्लिम बुनकरों, दस्तकारों सहित अन्य छोटे काम करने वालों को मदद देने के साथ बाजार भी उपलब्ध कराया है। कोरोना काल में मुफ्त राशन ने भी उन्हें राहत दी। नतीजा यह हुआ कि बहुत कम ही सही लेकिन मुस्लिमों के एक वर्ग के लिए भाजपा अछूत नहीं रही। पार्टी इस दायरे को और बढ़ाने में जुट गई है।

यदि भाजपा अपने इस मिशन में कामयाब हो जाती है तो यह विपक्ष के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा। क्योंकि यूपी में सपा बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, तेलंगाना में चन्द्रशेखर राव, केरल में लेफ्ट और अन्य सभी राज्यों में हमेशा कांग्रेस को मजबूती देने वाला यह वर्ग यदि भाजपा के साथ जुड़ गया तो भाजपा विपक्ष को घुटनों पर लाकर खड़ा कर देगी। साथ ही उसे कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की दिशा में एक अहम सफलता मिल जाएगी।

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