मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग से आखिर क्यों बौखला गए हरीश रावत और उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी?

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अपनी ही पार्टी के नेता अकील अहमद को आखिर क्यों कर दिया गया 6 साल के लिए कांग्रेस से निष्कासित?

मुस्लिम वोट बैंक पर अब तक सियासत व राजनीति करने वाली कांग्रेस पर उठने लगे कई सवाल

देहरादून I उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त के बाद से कांग्रेस पार्टी का रूप मुस्लिम समुदाय से राजनीतिक लाभ लेने की दिशा में नकारात्मक दृष्टिकोण वाला देखने को मिल रहा हैI उत्तराखंड में कांग्रेस के ही एक नेता अकील अहमद द्वारा प्रदेश में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना कराने को लेकर मजबूती के साथ जो आवाज बुलंद करते हुए कांग्रेस से सहयोग लेने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई गई उससे उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी ने अपना मुंह मोड़ते हुए यह बात करीब-करीब साबित करने में कोई कमी नहीं छोड़ी, जबकि मुस्लिम समुदाय का कांग्रेस के साथ चोली दामन का साथ रहा हैI

शिक्षा के क्षेत्र में प्रत्येक वर्ग समाज तथा समुदाय के लोगों ने अपने-अपने समाज को बेहतर शिक्षा तथा विकास में अपना योगदान देने तथा अपने देश का नाम रोशन करने के लिए बढ़-चढ़कर महत्वपूर्ण पहल की है I ऐसे में यदि कांग्रेस के एक नेता की ओर से अपने वर्ग समुदाय के लोगों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए एक यूनिवर्सिटी स्थापित करने की पहल करते हुए कौम की तरफ से आवाज बुलंद करने का काम अथवा हिम्मत की है तो उसमें गलत क्या है ?

आजाद भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां पर संवैधानिक दृष्टि से सभी समुदाय के लोगों को अपने अपने अधिकार भी प्राप्त है, लेकिन उत्तराखंड में अकील अहमद द्वारा जब मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना किए जाने की बात उठाई गई तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने ही इस मुस्लिम नेता की जायज बात तथा मांग की पैरवी न करते हुए उल्टे इस नेता अकील अहमद को कांग्रेस पार्टी से ही 6 वर्ष के निष्कासन की सजा का फरमान जारी कर दिया I भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर उसकी आजादी तक देश की सबसे बड़ी मानी जाने वाली कांग्रेस पार्टी से मुस्लिम समुदाय का लगाव बेहद करीब का रहा है और भारतीय लोकतंत्र में जब-जब चुनाव हुए, उसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों का वोट बैंक के रूप में कांग्रेस ने निश्चित रूप से इस्तेमाल कियाI यह बात दीगर है कि मुसलमानों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस ने कभी भी अपनी स्वच्छ सोच नहीं रखी, और न ही मुसलमानों को उनके वे अधिकार दिलाए जो कि उन्हें मिलने चाहिए थे I इतिहास स्वयं इस बात का गवाह है कि मुसलमानों को सदैव ही कांग्रेस पार्टी ने अपने वोट बैंक के अलावा कुछ नहीं समझा कांग्रेस के अब तक जितने भी कद्दावर लीडर अथवा पार्टी के नेतृत्वकर्ता रहे हो, उन सभी ने मुसलमानों को वोट बैंक के रूप में ही देखा है, इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता I चाहे वह सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर अमल करने की बात हो, मुस्लिम समुदाय को उनके अधिकार दिलाने के विषय रहे हो या फिर उनके अन्य हक हो तथा देश के लिए दी गई बड़ी-बड़ी कुर्बानियों को याद करने की बात हो, कहीं पर भी मुस्लिम समुदाय को वोट बैंक के अलावा उनके विकास व शिक्षा देने के नजरिए से शायद ही कभी देखा गया हो I

भारत के मुसलमानों को वोट बैंक की दृष्टि से सिर्फ कांग्रेस पार्टी ने ही नहीं देखा, बल्कि अन्य राजनीतिक दलों ने भी अपना दृष्टिकोण इसी प्रकार का रखते हुए समय-समय पर उनके वोट पर कुंडली मारकर देश प्रदेशों की सत्ता हासिल की है और अपने स्वार्थों को बनाने का काम किया है यह एक ऐसी कड़वी सच्चाई है, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता है, ऐसे राजनीतिक दलों में कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, भारतीय, राष्ट्रीय जनता दल तथा अन्य राजनीतिक दल शामिल हैं I धर्मनिरपेक्ष भारत में मुस्लिम समुदाय के लोगों का उतना ही अधिकार है जितना कि अन्य समुदाय वर्ग समाज के लोगों का अधिकार समाहित है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि शिक्षा के क्षेत्र में आज भी मुस्लिम समुदाय बेहद पिछड़ा हुआ है और कांग्रेस तथा अन्य राजनीतिक दलों ने सिर्फ इस मुस्लिम समुदाय को अपने वोट बैंक की दृष्टि से ही देखा व समझा है I वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव हो, या फिर उसके बाद के वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव ही क्यों न हो, यही नहीं हाल के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के चुनाव में इन लोकतांत्रिक चुनाव में मुस्लिम समुदाय ने भी भाजपा कांग्रेस तथा बसपा को अपने अमूल्य वोट देकर उन्हें कामयाबी की ओर बढ़ाया हैI परंतु दुखद आज यह है कि उत्तराखंड राज्य में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना कराने के नाम को लेकर उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का मतलबी व स्वार्थ पूर्ण चेहरा मुस्लिम समुदाय के दृष्टिगत जिस प्रकार से सामने आया है, वह वास्तव में बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण तथा निंदनीय है I

मुस्लिम यूनिवर्सिटी स्थापित किए जाने को लेकर कांग्रेस के ही लीडर अकील अहमद द्वारा आवाज उठाने पर उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी की तरफ से अकील अहमद को कांग्रेस पार्टी से 6 वर्ष के लिए निष्कासित किया जाना क्या वास्तव में जायज है? प्रदेश कांग्रेस कमेटी का जो फरमान अकील अहमद को निष्कासित करने वाला सामने आया है उसने वास्तव में मुस्लिमों के प्रति कांग्रेस के दो मुंहे चेहरे को उजागर कर दिया हैI कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के रूख से भी मुस्लिम समुदाय काफी आहत हुआ। जिसका सीधा सीधा असर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में कम मत प्रतिशत के रूप में सामने आया है। मुस्लिम समाज हरीश रावत के रुख को लेकर यह चिंतन कर रहा है कि आखिर हरीश रावत का मुस्लिम प्रेम कहां दफन हो गया?

वहीं, देहरादून जिले की रायपुर, धर्मपुर, राजपुर रोड, सहसपुर, विकास नगर आदि सीटों पर भाजपा को मुस्लिम बहुल इलाकों में पड़े वोटों को भी मुस्लिमों की इसी नाराजगी से जोड़ कर देखा जा रहा है। वहीं कांग्रेस के अन्य लीडर भी इस मामले में खामोश क्यों हो गए हैं ? उनको मुस्लिम यूनिवर्सिटी स्थापित किए जाने को लेकर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करना चाहिए।

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