अस्तित्व टाइम्स
लखनऊ। प्रदेश के सहारनपुर जिले में पराली जलाने वाले किसान पर जुर्माना लगा है। फसल अवशेष जलाने की सेटेलाइट से सूचना मिलने के बाद सत्यापन कराया तो मामला सामने आया। मामले में किसान पर ढाई हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जिससे किसानों में भीतर ही भीतर आक्रोश बढ़ रहा है। किसान हमेशा से ही पराली खेतों में जलाता रहा है।
उप निदेशक कृषि डा. राकेश कुमार ने बताया कि फसल अवशेष जलाने की पहली घटना भनहेड़ा खेमचंद गांव में सामने आई थी। संबंधित किसान पर ढाई हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही किसान को चेतावनी दी गई है कि बिना सुपरस्टार मैनेजमेंट सिस्टम एसएमएस के कोई भी कंबाइन चलती हुई नहीं पाई जानी चाहिए, यदि कोई पाई जाती है तो उसे जब्त किया जाएगा।
उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि वह रिवर्सिबल मोड बोल्ड पलाउ के माध्यम से फसल अवशेष को खेत में ही पलटकर दबा दें, जिससे कि वह खाद बनकर अगली फसल को फायदा दे। अभी कोई भी फसल बोने के लिए तुरंत खेत खाली करने की आवश्यकता नहीं है ऐसे में फसल अवशेष जलने की कोई आवश्यकता भी प्रतीत नहीं हो रही है। उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि वह फसल अवशेष में ही या यदि तुरंत गेहूं बोना चाहता है तो सुपर सीडर के माध्यम से गेहूं बोए। उसके लिए फसल अवशेष जलाने की आवश्यकता नहीं है। जनपद में हर ब्लॉक में अच्छी मात्रा में सुपर सीटर उपलब्ध है, इसलिए उनको किराए पर लेकर गेहूं की बुवाई कर सकते हैं।
दोनों पक्षों के अपने अपने तर्क
पराली जलाने के मुद्दे को लेकर किसान कई साल से सरकार के निशाने पर रहते हैं. दोनों पक्षों के अपने- अपने तर्क हैं. किसानों (Farmers) का कहना है कि जो काम माचिस की एक तीली से होता हो उसके लिए हम पैसा क्यों लगाएं? तो दूसरी ओर पर्यावरणविद और सरकार का कहना है कि किसानों के किए की सजा प्रदूषण (Pollution) के रूप में आम जनता क्यों भुगतें?
जबकि केंद्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की सरकारें भी इस मसले पर ब्लेमगेम खेल रही हैं. पिछले कई साल से इस बात पर बहस हो रही है कि जलाए बिना पराली को कैसे नष्ट किया जाए. लेकिन यह सब बहस से आगे जमीन पर नहीं उतर रहा है तो इसके पीछे कुछ वजहें भी हैं।
किसानों का कहना है कि पराली की जड़ काटने के काम को जब तक मनरेगा के तहत नहीं लाया जाएगा, इसका समाधान नहीं हो सकता. क्योंकि तंगहाल जिंदगी जी रहे किसान को कोई काम अगर फ्री में करने को मिलेगा तो उसके लिए वो पैसा नहीं खर्च करेगा. सरकार को यदि वास्तव में पराली जलने से रोकना है तो डंडे से काम लेना बंद करे. किसान को विश्वास में लेकर किसानों की काउंसिलिंग करवाए और कोशिश हो कि पराली को नष्ट करने का काम सरकारी खर्चे पर हो।
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