निर्वाचन आयोग ने किया पंचायत चुनाव में भ्रामक सूचना का खंडन

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देहरादून। राज्य निर्वाचन आयोग उत्तराखंड के संज्ञान में आया है कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों पर आगामी पंचायत चुनावों में उम्मीदवार की पात्रता के संबंध में भ्रामक सूचनाएं फैलाई जा रही हैं। विशेष रूप से, यह गलत प्रचार किया जा रहा है कि यदि किसी उम्मीदवार का नाम शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता सूचियों में है, तो उसकी उम्मीदवारी को लेकर विभिन्न अपात्रताएँ लागू होती हैं। यह भी भ्रम फैलाया जा रहा है की राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पात्रता के संबंध में नए निर्देश जारी किए हैं।

इस संबंध में, जनसाधारण, संभावित उम्मीदवारों और मीडिया सहित सभी हितधारकों को सूचित एवं स्पष्ट किया जाता है कि उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पूर्ण रूप से उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 (यथासंशोधित) के प्रावधानों के अनुसार ही संपन्न कराए जाते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग स्वयं इस अधिनियम के प्रावधानों से निर्देशित है और अन्य सभी को भी इन्हीं प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पात्रता के संबंध में कोई नए निर्देश जारी नहीं किए हैं, जो निर्देश हैं वे पूर्व से पंचायती राज अधिनियम में प्रविधानित हैं। अधिनियम में किसी भी उम्मीदवार के निर्वाचन हेतु मतदाता सूची में पंजीकरण, मताधिकार, और निर्वाचित होने के अधिकार के संबंध में स्थिति स्पष्ट रूप से वर्णित है:

मत देने और निर्वाचित होने का अधिकार: अधिनियम की धारा 9(13) के अनुसार, व्यक्ति जिसका नाम ग्राम पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में सम्मिलित हो, उस ग्राम पंचायत में मत देने और किसी भी पद पर निर्वाचन, नाम-निर्देशन या नियुक्ति के लिए पात्र होगा । इसी प्रकार के स्पष्ट प्रावधान क्षेत्र पंचायत के लिए धारा 54(3) और जिला पंचायत के लिए धारा 91(3) में दिए गए हैं।

इसके अतिरिक्त, पंचायत चुनावों में किसी उम्मीदवार की निरर्हता (Disqualifications) से संबंधित प्रावधान केवल उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 की धारा 8 (ग्राम पंचायत के लिए), धारा 53 (क्षेत्र पंचायत के लिए), और धारा 90 (जिला पंचायत के लिए) में विस्तृत रूप से दिए गए हैं।अतः, सभी से अनुरोध है कि वे ऐसे निराधार प्रचार पर विश्वास न करें और केवल उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 के आधिकारिक प्रावधानों तथा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी सूचनाओं पर ही भरोसा करें। किसी भी प्रकार के संशय की स्थिति में, अधिनियम का अवलोकन करें अथवा जिला निर्वाचन अधिकारी एवं आयोग से संपर्क करें।

देहरादून। राज्य निर्वाचन आयोग ने बीते 27 जून के अपने आदेश को पलटते हुए नया आदेश जारी किया है। नये आदेश के तहत नगर निकाय व प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता को पंचायत चुनाव लड़ने से नहीं रोका जाएगा। इस नये आदेश के बाद शहरी इलाकों से पंचायत चुनाव में शिरकत कर रहे सैकड़ों दावेदारों के चेहरे खिल गए है। पूर्व में आयोग के सचिव ने निकाय के मतदाताओं के पंचायत चुनाव में भरे गए नामांकन पत्रों को निरस्त करने के आदेश दिए थे।

गौरतलब है कि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा के पत्र का संज्ञान लेते हुए 27 जून को राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल गोयल ने साफ आदेश किया था कि निकाय का मतदाता पंचायत चुनाव में दावेदारी नहीं कर पाएंगे। इस आदेश से पंचायत चुनाव की पूरी तैयारी कर कर चुके निकाय के मतदाताओं के चेहरे लटक गए थे। इस आदेश से सत्तारूढ़ दल के चुनावी रणनीतिकारों को इस बात से भी गहरा झटका लगा था कि राज्य निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस के पत्र पर त्वरित कार्रवाई कर विपक्ष को श्रेय दे दिया।

इसके बाद 2 जुलाई से पंचायत चुनाव के नामांकन का दौर शुरू हो गया। और नामांकन पत्रों की जांच व वापसी की अवधि में राज्य निर्वाचन आयोग ने छह जुलाई को नया आदेश कर निकाय के सैकड़ों दावेदारों को पंचायत चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे दी।

त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2025 में नाम निर्देशन पत्रों की जांच के संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि यदि किसी प्रत्याशी का नाम एक से अधिक ग्राम पंचायतों, प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों या नगर निकाय की निर्वाचक नामावली में दर्ज है, तो केवल इस आधार पर उसका नामांकन पत्र अस्वीकृत नहीं किया जाएगा।

आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि नामांकन पत्रों की जांच के समय उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 की धारा 10(ख)(1), धारा 9(13), धारा 54(3) एवं धारा 91(3) के प्रावधानों का पालन किया जाए। इन धाराओं के अनुसार, किसी भी पद पर नामांकन करने या निर्वाचित होने के लिए उम्मीदवार का नाम संबंधित पंचायत क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में दर्ज होना आवश्यक है और उसकी आयु कम से कम 21 वर्ष पूरी होनी चाहिए।

सचिव ने सभी जिलों के निर्वाचन अधिकारियों व सहायक निर्वाचन अधिकारियों से आग्रह किया कि इन निर्देशों से सभी को अविलंब अवगत कराना सुनिश्चित करें, ताकि जांच प्रक्रिया में एकरूपता बनी रहे और किसी पात्र प्रत्याशी का नामांकन गलत आधार पर निरस्त न हो।

देखें आदेश