त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सरकार तैयार : धामी

63

 

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि सरकार उत्तराखंड में पंचायत चुनाव कराने के लिए तैयार है। राज्य निर्वाचन आयोग इसकी तैयारी में जुटा हुआ है। तैयारियां पूरी होते ही तिथि घोषित कर दी जाएगी। इस संबंध में प्रदेश में अधिकारियों को दिशा- निर्देश जारी कर दिए गए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पंचायत चुनावों को लेकर आयोग पहले से ही तैयारी में जुटा है।

चुनाव को लेकर मतदाता सूची तैयार करने को प्रदेशभर में ब्लॉक स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। चुनाव में प्रत्याशी सरकार की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि जिला पंचायतों में भाजपा के प्रत्याशियों को बड़ी सफलता मिलेगी। पार्टी की ओर से भी जल्द ही तैयारी शुरू कर दी जाएगी।

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल इसी माह समाप्त होने जा रहा है। चुनाव के लिए समय कम होने के चलते, संभावना जताई जा रही है कि सरकार प्रशासकों का कार्यकाल फिर बढ़ा सकती है। शासन के सूत्रों की मानें तो इसके लिए प्रस्ताव बन गया है। इस बीच शासन ओबीसी आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया जल्द शुरू करने जा रही है।

हरिद्वार जिले को छोड़ प्रदेश के 343 जिला पंचायतों, 2936 क्षेत्र पंचायतों व 7505 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल दिसंबर, 2024 को समाप्त होने के बाद इन्हें छह माह के लिए प्रशासकों के हवाले कर दिया था। यह मियाद मई में ही खत्म होने जा रही है। पंचायत चुनाव कराने से पहले शासन को कई काम कराने हैं जिनमें समय लगेगा।

चुनाव कराने के संबंध में पंचायतीराज सचिव चंद्रेश कुमार ने बताया कि पंचायतीराज ऐक्ट में संशोधन अध्यादेश को राजभवन की मंजूरी मिल चुकी है। अब ओबीसी आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। हमारे पास अभी 31 मई तक का समय शेष है। हमने आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।

पंचायती राज एक्ट संशोधन अध्यादेश और ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का रास्ता साफ होता दिख रहा है

देहरादून। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जल्द होने की संभावना बनती दिख रही है. उत्तराखंड सरकार जिस अध्यादेश पर राज्यपाल की मुहर का इंतजार कर रही थी उस पर फैसला हो गया है।

दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने पंचायती राज एक्ट का संशोधन अध्यादेश और ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को राजभवन भेजा था. जिन पर राजभवन ने मुहर लगा दी है. पंचायती राज एक्ट का संशोधन अध्यादेश पर राजभवन का मुहर लगने के बाद उत्तराखंड सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है।

विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, “भारत का संविधान” के अनुच्छेद 213 के खण्ड (1) के अधीन राज्यपाल ने ‘उत्तराखण्ड पंचायतीराज (संशोधन) अध्यादेश, 2025’ को मंजूरी दे दी है. राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना जारी किए जाने के बाद ही पंचायती राज एक्ट संशोधन उत्तराखंड में लागू हो गया है. ऐसे में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अब पंचायती राज विभाग के पंचायती राज एक्ट संशोधन- 2025 के आधार पर किया जाएगा. ऐसे में राजभवन से पंचायती राज एक्ट संशोधन अध्यादेश और ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का रास्ता साफ हो गया है।

वहीं, पूरे मामले पर पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज ने कहा उत्तराखंड सरकार पंचायत चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है. ऐसे में अब राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव की घोषणा करनी है. जैसे ही राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव की घोषणा की जाएगी राज्य सरकार चुनाव की दिशा में आगे बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा पंचायती राज एक्ट संशोधन अध्यादेश और ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को राजभवन भेजा गया था. जिसे राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है।

हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर सरकार से पूछा प्रश्न अगली सुनवाई 20 मई को, चुनाव की कार्ययोजना करे पेश

नैनीताल/देहरादून। नैनीताल हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव समय से नहीं कराए जाने पर सरकार से पूछा है कि चुनाव कब तक कराए जा सकते हैं? न्यायालय ने 20 मई तक इसका पूरा व्यौरा तलब किया है। इसी दिन अगली सुनवाई भी तय कर कर दी है।

न्यायालय ने कहा कि जब पंचायतों का कार्यकाल पूर्ण हो चुका है तो प्रशासक नियुक्त करने का सवाल नहीं हो सकता। यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है उसी के अनुरूप चुनाव कराए जाने चाहिए। राज्य सरकार अपने दायित्वों से अलग नहीं हो सकती। जबकि चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि उनकी चुनाव कराने संबंधी सभी प्रक्रिया तैयार हैं। उन्होंने पूरा प्रोग्राम सरकार को भेज दिया अब सरकार को उस पर निर्णय लेना है कि कहां आरक्षण देना है कहां नहीं? शुक्रवार को यह सवाल पूर्व ग्राम प्रधान विजय तिवारी सहित कई अन्य लोगों की जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की संयुक्त खण्डपीठ पूछा। याचिकाकर्ताओं की और से कहा गया है कि पहले राज्य सरकार ने जिला पंचायतों में निवर्तमान अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त किया अब सरकार ने ग्राम पंचायतों का चुनाव कराने के बजाय निवर्तमान ग्राम प्रधानों को भी प्रशासक नियुक्त करके उन्हें वित्तीय अधिकार दे दिए हैं। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन सरकार ने अभी तक चुनाव नही कराए। ग्राम

प्रधानों को प्रशासक नियुक्त करने पर होने वाले चुनाव को यह प्रभावित कर सकते हैं। याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय को सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णयों की जानकारी दी। इन निर्णयों में कहा गया है कि प्रशासक तभी नियुक्त किया जा सकता है यदि ग्राम सभा को किन्ही कारणों से भंग कर दिया गया हो। भंग करने के बाद भी वहां छह माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है। छह माह से अधिक प्रशासकों का कार्यकाल नहीं हो सकता। यहां तो इसका उल्टा हो रहा है।

निर्वाचित पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और अब सरकार निवर्तमान ग्राम प्रधानों को प्रशासक नियुक्त कर रही है। इससे प्रतीत होता है कि राज्य सरकार अभी चुनाव कराने की स्थिति में नहीं है, जबकि अभी मतदाता सूची और आरक्षण तय करने सम्बन्धी कई कार्य चुनाव आयोग को करने होंगे।