देहरादून। बेरोजगार संघ के आंदोलन के बाद परेड ग्राउंड के बाहर एक नया आंदोलन शुरू हो गया है। जो सरकार के लिए बड़ा सिर दर्द साबित हो सकता है। नियमितीकरण की मांग को लेकर 22 हजार उपनलकर्मियों ने सोमवार से बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी है। स्थापना दिवस कार्यक्रम के ठीक अगले दिन दस नवंबर को करीब 22 हजार उपनल कर्मियों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर राजधानी देहरादून में परेड ग्राउंड के बाहर डेरा डाल दिया है। इन कर्मचारियों ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए आरपार की लड़ाई छेडऩे का ऐलान किया है। हड़ताल का असर स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा और अन्य विभागों में साफ दिखने लगा है।

उपनल कर्मचारी महासंघ के रुद्रप्रयाग जिला अध्यक्ष अनिल गोसाई के अनुसार वर्ष 2018 में हाइकोर्ट ने सरकार को चरणबद्ध तरीके से उपनलकर्मियों के नियमितीकरण के आदेश दिए थे। लेकिन, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की अपील खारिज कर दी, इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीन बार सार्वजनिक मंचों से उपनलकर्मियों के लिए ठोस नीति लाने की बात कही, लेकिन आठ माह बाद भी शासनादेश जारी नहीं हुआ।
दून अस्पताल में अफरा-तफरी, मरीज बेहाल
राजधानी के सबसे बड़े सरकारी दून अस्पताल में उपनल कर्मचारियों की हड़ताल से व्यवस्थाएं चरमरा गईं। बिलिंग काउंटर और पंजीकरण कक्ष पर लंबी कतारें लग गईं। करीब डेढ़ सौ उपनल कर्मचारी— जिनमें नर्स, वॉर्ड बॉय, फार्मासिस्ट, डेटा एंट्री ऑपरेटर और सफाईकर्मी शामिल हैं — हड़ताल पर चले गए। हालांकि मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने कहा कि अस्पताल की व्यवस्थाएं सामान्य हैं और वैकल्पिक व्यवस्थाएं पहले से लागू कर दी गई हैं।
आंदोलन का असर
उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली, हरिद्वार और पौड़ी से भी कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर हड़ताल का समर्थन किया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, वन, ऊर्जा और सिंचाई विभागों में कामकाज ठप पड़ा है। संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं लिया, तो आंदोलन राज्यव्यापी रूप लेगा।
उपनल कर्मियों की प्रमुख मांगें
सभी विभागों के उपनलकर्मियों का नियमितीकरण
समान कार्य के लिए समान वेतन
सेवा नियमावली का गठन
संविदा प्रणाली का अंत









