मामूली साइड लगने पर दबंगों ने पीट-पीटकर ले ली थी जान, जिसके बाद से गांव में पसरा है मातम — अब बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता
एमएस मलिक
सहारनपुर। सहारनपुर ज़िले के नकुड़ थाना क्षेत्र के खेड़ा अफगान गांव निवासी भाजपा बूथ अध्यक्ष हामिद अली खान (45 वर्ष) की सत्ताधारी पार्टी से ही जुड़े दबंगों द्वारा बेरहमी से की गई हत्या के बाद परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। कई दिन बीत जाने के बाद भी गांव में मातम पसरा हुआ है। हर कोई मामूली साइड लगने के बाद दबंगों द्वारा अंजाम दिए गए इस जघन्य हत्याकांड पर अफसोस जता रहा है। समाजसेवियों के साथ ही विपक्ष से जुड़े अनेकों नेताओं का हामिद के घर आना जाना लगा हुआ है। यह पूरा विवाद एक मामूली वाहन साइड लगने से शुरू हुआ और कुछ ही मिनटों में इसने जानलेवा रूप ले लिया। जिसका अंजाम पार्टी के बूथ अध्यक्ष हामिद अली को अपनी मौत के रूप में चुकाना पड़ा।
इस पूरे घटनाक्रम में एक दुखद पहलू यह भी उभर कर सामने आया है कि भाजपा का बूथ अध्यक्ष होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी का कोई पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि हामिद अली के घर सांत्वना देने तक नहीं आया। बुधवार को हामिद अली के परिजनों ने बताया कि पूर्व मंडल अध्यक्ष रहे सुभाष के अलावा पार्टी का कोई पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि उनके दुख में शामिल होने तक नहीं पहुंचा।
“हंसते-खेलते घर में अब सिर्फ सन्नाटा…”
परिजनों की आंखों में अब सिर्फ आंसू हैं। हामिद अली खान के छोटे भाई, जो मूक-बधिर हैं, कुछ कह नहीं पा रहे — पर उनके कांपते हाथ और नम आंखें सब कुछ बयां कर देती हैं।
हामिद की माता बिलखते हुए कहती हैं:
“वो हमारे लिए सब कुछ थे… बच्चों की पढ़ाई से लेकर घर का खर्च, सब वही संभालते थे। अब हमारा क्या होगा?”
इस हत्याकांड के बाद गांव समेत पूरे क्षेत्र में हर किसी के चेहरे पर गुस्सा और बेबसी साफ दिख रही है। लोग कहते हैं कि हामिद हमेशा मदद के लिए सबसे आगे रहते थे, हर त्योहार और संकट में बिना जाति या धर्म देखे सबके साथ खड़े रहते थे।
भाजपा बूथ अध्यक्ष होने के बावजूद परिवार को नहीं मिला सहारा
सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि हामिद अली खान, जो भाजपा के बूथ अध्यक्ष थे, उनकी हत्या के बाद भी पार्टी के किसी पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि ने परिवार की सुध तक नहीं ली है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि घटना के कई दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक ना तो पार्टी से जुड़ा कोई पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि गांव आया, न प्रशासन की ओर से परिवार को राहत के लिए कोई ठोस कदम उठाया गया है।
ग्रामीणों ने इस पर बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि
> “जब पार्टी अपने कार्यकर्ता को ही भूल जाए, तो आम आदमी किससे उम्मीद करे?”
ग्रामीणों का आरोप है कि हत्या के आरोपी कुछ प्रभावशाली नेताओं के करीबी हैं, जिसके चलते भाजपा नेता भी हामिद अली के घर पर नही पहुंच पा रहे हैं। हत्या के बाद पूरे क्षेत्र में भय और मातम का माहौल है। ग्रामीणों ने प्रशासन से पीड़ित परिवार के लिए मुआवज़े की मांग की है।
“अब बच्चों के भविष्य का क्या होगा?”
हामिद अली खान के घर में अब सिर्फ मातम और बच्चों की सूनी आंखें हैं।
हामिद अली खान की माता जी बार-बार यही कह रही है।
> “ हामिद अली के पिता पहले ही गुजर चुके थे, छोटा भाई बोल नहीं सकता… अब हामिद ही घर का सहारा था। सरकार से बस यही गुज़ारिश है कि हमें न्याय मिले।”
सवाल सत्ता से भी — क्या कार्यकर्ताओं की जान की कोई कीमत नहीं?
यह मामला अब राजनीतिक रूप से भी चर्चा में है।
सवाल यह है कि जब सत्ताधारी दल का एक बूथ अध्यक्ष खुद दबंगों का शिकार बन जाए और सरकार या पार्टी उसकी सुध न ले, तो संगठन के बाकी कार्यकर्ता खुद को कितना सुरक्षित महसूस करेंगे?
ग्रामीणों की मांगें
पीड़ित परिवार को सरकारी मुआवज़ा और सुरक्षा
बच्चों की शिक्षा और पालन- पोषण की जिम्मेदारी उठाए सरकार
घटना पर दुख जताते हुए बुजुर्ग बोले कि
> “हामिद की मौत सिर्फ एक परिवार का नुकसान नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में इंसानियत की हार है। उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र में कभी इस तरह की घटना नहीं हुई, मामूली बातों पर बढ़ती नफरत सबकुछ तबाह कर देगी”








