रेपो रेट कम होने के बाद भी बैंकों ने बढ़ा दी ब्याज दरें

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नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जून 2025 में 50 बेसिस पॉइंट की बड़ी कटौती कर रेपो रेट घटाने के बावजूद, बैंकों ने जुलाई में नए कर्जों पर ब्याज दरें बढ़ा दीं। आरबीआई के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 में नए कर्जों पर औसत वेटेड लेंडिंग रेट (WALR) 8.80% रही, जो जून में 8.62% थी। यानी औसतन 18 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी हुई।

आम तौर पर बैंकों की ब्याज दरें रेपो रेट के अनुरूप घटती-बढ़ती हैं। उदाहरण के लिए, अप्रैल 2025 में जब आरबीआई ने ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी, तब बैंकों के नए कर्जों पर WALR छह बेसिस पॉइंट घट गई थी। इसी तरह फरवरी और मार्च 2025 में भी रेपो रेट घटने के बाद औसत ब्याज दरों में गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन जुलाई में इसका उल्टा हुआ। बैंकिंग सूत्रों के अनुसार, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र को दिए जाने वाले अधिक ब्याज वाले कर्ज की हिस्सेदारी बढ़ने से औसत दरें ऊपर गईं। पहली तिमाही के बाद और त्योहारों से पहले एमएसएमई सेक्टर में कर्ज की मांग परंपरागत रूप से तेज़ हो जाती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकों की यह चाल थोड़ी चौंकाने वाली है क्योंकि नीति दर में कमी का असर आमतौर पर जल्द दिखाई देता है। वहीं, बैंकों का क्रेडिट ग्रोथ अभी भी डबल डिजिट में बना हुआ है। इससे संकेत मिलता है कि मांग मजबूत है और बैंक ऊंची दरों पर भी कर्ज देने में सक्षम हैं। अगर यह रुझान आगे भी जारी रहा तो आम उपभोक्ताओं और छोटे कारोबारियों को सस्ते कर्ज का लाभ फिलहाल नहीं मिल पाएगा, भले ही आरबीआई नरम मौद्रिक नीति अपना रहा हो।