देहरादून। राज्य निर्वाचन आयोग ने बीते 27 जून के अपने आदेश को पलटते हुए नया आदेश जारी किया है। नये आदेश के तहत नगर निकाय व प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता को पंचायत चुनाव लड़ने से नहीं रोका जाएगा। इस नये आदेश के बाद शहरी इलाकों से पंचायत चुनाव में शिरकत कर रहे सैकड़ों दावेदारों के चेहरे खिल गए है। पूर्व में आयोग के सचिव ने निकाय के मतदाताओं के पंचायत चुनाव में भरे गए नामांकन पत्रों को निरस्त करने के आदेश दिए थे।
गौरतलब है कि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा के पत्र का संज्ञान लेते हुए 27 जून को राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल गोयल ने साफ आदेश किया था कि निकाय का मतदाता पंचायत चुनाव में दावेदारी नहीं कर पाएंगे। इस आदेश से पंचायत चुनाव की पूरी तैयारी कर कर चुके निकाय के मतदाताओं के चेहरे लटक गए थे। इस आदेश से सत्तारूढ़ दल के चुनावी रणनीतिकारों को इस बात से भी गहरा झटका लगा था कि राज्य निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस के पत्र पर त्वरित कार्रवाई कर विपक्ष को श्रेय दे दिया।
इसके बाद 2 जुलाई से पंचायत चुनाव के नामांकन का दौर शुरू हो गया। और नामांकन पत्रों की जांच व वापसी की अवधि में राज्य निर्वाचन आयोग ने छह जुलाई को नया आदेश कर निकाय के सैकड़ों दावेदारों को पंचायत चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे दी।
त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2025 में नाम निर्देशन पत्रों की जांच के संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि यदि किसी प्रत्याशी का नाम एक से अधिक ग्राम पंचायतों, प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों या नगर निकाय की निर्वाचक नामावली में दर्ज है, तो केवल इस आधार पर उसका नामांकन पत्र अस्वीकृत नहीं किया जाएगा।
आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि नामांकन पत्रों की जांच के समय उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 की धारा 10(ख)(1), धारा 9(13), धारा 54(3) एवं धारा 91(3) के प्रावधानों का पालन किया जाए। इन धाराओं के अनुसार, किसी भी पद पर नामांकन करने या निर्वाचित होने के लिए उम्मीदवार का नाम संबंधित पंचायत क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में दर्ज होना आवश्यक है और उसकी आयु कम से कम 21 वर्ष पूरी होनी चाहिए।
सचिव ने सभी जिलों के निर्वाचन अधिकारियों व सहायक निर्वाचन अधिकारियों से आग्रह किया कि इन निर्देशों से सभी को अविलंब अवगत कराना सुनिश्चित करें, ताकि जांच प्रक्रिया में एकरूपता बनी रहे और किसी पात्र प्रत्याशी का नामांकन गलत आधार पर निरस्त न हो।
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