प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर हादसे का कारण, अतिक्रमण या गंभीर लापरवाही

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देहरादून। हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर पैदल मार्ग पर भगदड़ में 8 श्रद्धालुओं ने जान गंवाई। हादसे में 30 लोग घायल हुए। जिनमें से कई की हालत गंभीर बनी हुई और अधिकतर डिस्चार्ज कर दिए गए हैं। मनसा देवी मंदिर के पैदल मार्ग पर हुए हादसे ने एक बार फिर मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अभी तक प्राथमिक जांच में पुलिस को ये जानकारी मिली है कि करंट लगने की अफवाह से भगदड़ मची, लेकिन हजारों की भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम ना के बराबर होना और मंदिर समिति प्रबंधन की चूक भी हादसे की वजह मानी जा रही है। साथ ही संकरा रास्ता, मंदिर की सीढ़ियों में सजी दुकानें और मंदिरों के आसपास अतिक्रमण भी हादसे की वजह मानी जा रही है। आइए जानते हैं कि हादसे की बड़ी वजहें क्या रही।

करंट की अफवाह से भगदड़
अभी तक प्रत्यक्षदर्शियों ने मीडिया और पुलिस प्रशासन को जो बताया उसके अनुसार मंदिर से कुछ ही दूरी पर अचानक करंट फैलने की अफवाह सुनाई दी। इसके बाद लोगों ने ऊपर सीढ़ियों से नीचे की ओर धक्का देना शुरू कर दिया। पीछे से भीड़ का धक्का आया और अचानक भगदड़ मच गई और कई लोग नीचे दब गए। इसके बाद वहां अफरा तफरी मच गई। पुलिस और प्रशासन का कहना है कि अभी तक श्रद्धालुओं ने इस बात की जानकारी दी है कि मंदिर के पास करंट की अफवाह से ही भगदड़ मची। जिससे अफरा तफरी मच गई और भयावह हादसा हो गया।

भारी भीड़, क्राउड मेनेजमेंट फेल
सावन के महीनें में हरिद्वार में श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ रहती है। ऐसे में जल चढ़ाने को भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। इस बीच सुबह सुबह श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचने लगे। रविवार की छुट्टी होने के कारण भी काफी भीड़ हो गई। मनसा देवी मंदिर के पैदल मार्ग में कई सीढ़ियां हैं। जहां भीड़ जुटने की वजह से कुछ लोग दीवारों और किनारों पर चढ़ गए। इस बीच कुछ लोगों ने तारों का सहारा भी ले लिया। किसी ने बिजली के खंभों पर चिंगारी आते देखी तो करंट दौड़ने की अफवाह फैल गई। जिसको जहां जगह मिली पीछे धक्का मारने लगे। जिसके बाद कुछ लोग भीड़ में इधर उधर गिरने लगे और भगदड़ मच गई।

सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल
रविवार का दिन और सावन का महीना, हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुट गए। लेकिन मंदिर समिति और पुलिस प्रशासन को शायद इसका अंदाजा नहीं था, कि इतनी भीड़ इकट्ठा होगी। सामान्य दिनों की तरह की पुलिसकर्मी ड्यूटी पर थे। लेकिन भीड़ को देखकर शायद ही किसी को इस बात का अंदाजा रहा होगा कि सुरक्षा व्यवस्था कम पड़ेगी। लेकिन अफवाह के बाद भगदड़ मची और हादसे ने आठ लोगों की जान ले ली। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

मंदिर समिति प्रबंधन से भी चूक
इसके साथ ही मंदिर समिति प्रबंधन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। भीड़ का अंदाजा होने के बाद मंदिर समिति को प्रशासन को अलर्ट करना चाहिए था। ऐसा नहीं कि पहली बार मंदिरों में इस कदर भीड़ जुटी है। ऐसे में इसके लिए किसी तरह का बैकअप प्लान होना चाहिए। भीड़ अधिक होने पर इमरजेंसी में कहां से श्रद्धालुओं को दर्शन कराया जाए और कहां से दर्शन के बाद बाहर​सुरक्षित निकाला जाए। इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को क्विक रिस्पांस के लिए भी तैयार करना प्राथमिकता में होना चाहिए। ऐसे में मंदिर प्रबंधन और पुलिस प्रशासन से भी इसमें चूक मानी जा रही है।

अतिक्रमण
मनसा देवी मंदिर की चढ़ाई लगभग दो से तीन किलोमीटर है, जिसमें खड़ी चढ़ाई शामिल है। मंदिर तक पहुंचने के लिए रोपवे या सीढ़ियों का उपयोग कर सकते हैं। पैदल जाने के लिए 500 से ज्यादा सीढ़ियां है। इन सीढ़ियों पर दुकानें भी सजी रहती हैं। मंदिर के पास कई दुकानें हैं जिनके सामान रास्तों तक सजे रहते हैं। हादसे के बाद दुकानें सारी समेट ली गई। बताया जा रहा है कि इन अतिक्रमण की वजह से भी पैदल मार्ग पर चलना मुश्किल होता है।