घोषित कांग्रेस जिलाध्यक्षों में अनदेखी से मुस्लिम समाज में नाराजगी

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अपना वजूद दिखाने को आगामी चुनावों में कई सीटों पर प्रत्याशी उतार सकता है मुस्लिम समाज

देहरादून। महीनों की माथापच्ची के बाद कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही 27 जिला अध्यक्षों की घोषणा कर दी है। जिसमें मुस्लिम समाज की पूरी तरह अनदेखी कर दी गई है। 27 जिलाध्यक्षों में सिर्फ एक कलियर विधायक हाजी फुरकान अहमद को रुड़की ग्रामीण का जिलाध्यक्ष बनाया गया है। जबकि पछवादून के साथ ही प्रदेश में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां मुस्लिम आबादी बहुत बड़ी संख्या में निवास करती है। कांग्रेस द्वारा की गई इस अनदेखी के बाद कांग्रेस हाई कमान के साथ ही प्रदेश के आला नेताओं पर भी अब इस मुद्दे पर सवाल खड़े हो गए हैं। क्योंकि मुसलमान के नाम पर अगर रुड़की ग्रामीण जिला अध्यक्ष पद पर कलियर विधायक हाजी फुरकान अहमद को जिलाध्यक्ष बनाकर मुसलमान को सब कुछ दे दिया हैं तो कांग्रेस की इस सोच पर बेहद अफसोस है कि क्या पूरे प्रदेश में हजारों मुसलमान कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता इस लायक नहीं है कि वह दो चार जिला अध्यक्ष पद संभाल सकें।

क्या कांग्रेस की नजरों में पूरे राज्य में एक दो जिलों में भी ऐसा कोई कांग्रेस का नेता कार्यकर्ता नहीं दिखाई दिया जिनकी हैसियत या वजूद कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पद के लायक हो। या फिर कांग्रेस की नजरों में मुसलमान की औकात केवल एक वोटर की ही है। और इसी सोच को लेकर उन्होंने मुसलमान को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है। जबकि राज्य में कांग्रेस का सबसे बडा वोट बैंक मुस्लिम समाज ही है। और ऐसा भी नहीं है कि मुस्लिम समाज में सियासी वजूद के नेता कार्यकर्ता ना हो लेकिन अफसोस की बात है कि प्रदेश कांग्रेस व केंद्रीय कांग्रेस के आला नेताओं ने मुसलामनों को पूरी तरह नजर अंदाज कर उनके वजूद पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।

कांग्रेस मुसलमानों को शायद अपना गुलाम समझती है। अब सवाल यह है कि क्या राज्य में मुसलमान कांग्रेस से गुलाम है या उन्हें खरीद लिया है इसलिए मुसलमान को अपना सियासी वजूद बनाने के लिए इस पर गंभीरता से सोचना समझना होगा। 2027 के विधानसभा चुनाव में एकजुट मतदान कर अपना सियासी वजूद दिखाना होगा। वैसे भी सरकार किसी भी पार्टी की रहे इससे क्या फर्क पड़ता है मुसलमान को तो फिर भी अपने काम जुगाड़ बाजी से ही करने होते हैं। मुसलमानों को पिछली कांग्रेस सरकार ने क्या दिया है।

मुसलमानों को अब अगर अपना वजूद दिखाना है तो उन्हें एकजुट होकर अपनी ताकत का एहसास करना और कराना होगा। बेहद अफसोस की बात है कि राज्य गठन से अब तक उत्तराखंड में कांग्रेस वोट बैंक के रूप में ही मुसलमानों का इस्तेमाल कर रही हैं लेकिन मुसलमान अब तक अपने आपको आज तक भी न समझ पाया है न अपना सियासी वजूद बना पाया है।

यदि राजधानी देहरादून की ही बात करें तो विकासनगर, सहसपुर, धरमपुर और डोईवाला में बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता है। इसके अलावा रायपुर और राजपुर रोड विधानसभा में भी ठीक ठाक मुस्लिम आबादी रहती है परंतु कांग्रेस ने कभी इन सीटों पर किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया। और अब जिलाध्यक्षों की घोषणा में अनदेखी ने एक बार फिर मुसलमानों को किनारे कर दिया है। जिससे अंदर ही अंदर मुस्लिम समाज में कांग्रेस के प्रति नाराज़गी महसूस हो रही है। जो 2027 के चुनाव में कांग्रेस को भारी पड़ सकती है।

आजाद समाज पार्टी ने मुस्लिम समाज से की पार्टी के साथ जुड़ने की अपील

कांग्रेस ने हमेशा दलित-मुस्लिम समाज का किया शोषण: जिलाध्यक्ष कपिल कुमार

आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के देहरादून जिलाध्यक्ष कपिल कुमार ने मुस्लिम समाज से पार्टी के साथ जुड़ने की अपील की है। कपिल कुमार ने कहा कि कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों ने वर्षों से दलित और मुस्लिम समाज को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है। अब समय आ गया है कि ये वर्ग अपने अधिकारों और सम्मान की लड़ाई खुद लड़ें।

उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने दशकों तक दलित और मुस्लिम समाज के साथ छल किया। इन वर्गों को विकास और निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करने के बजाय केवल वोट बैंक समझा गया। लेकिन अब यह समाज जागरूक है और अपनी ताकत को पहचान चुका है।”

उन्होंने कहा कि आजाद समाज पार्टी ही वह मंच है जो सामाजिक न्याय, समानता और सम्मान की राजनीति करती है।कपिल कुमार ने मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवियों, युवाओं से अपील की कि वे बड़ी संख्या में पार्टी से जुड़ें ताकि समाज की वास्तविक भागीदारी सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा, “हम केवल सत्ता नहीं, बल्कि समाज का सम्मान और बराबरी का हक चाहते हैं। आजाद समाज पार्टी हर उस व्यक्ति के साथ है, जो अन्याय और भेदभाव के खिलाफ खड़ा होना चाहता है।”