थराली ब्लॉक प्रमुख परवीन पुरोहित एवं उनकी पत्नी प्रदेश कांग्रेस सेवादल की अध्यक्ष श्रीमति हेमा पुरोहित ने संकट की घड़ी में थामा आपदा प्रभावित परिवारों का हाथ थामा हुआ है
“सब कुछ बर्बाद हो गया था… मगर गेस्ट हाउस में मिली छत ने हमें फिर से जीने की हिम्मत दी”
यह कहना है चमोली जिले की एक प्रभावित महिला का, जिनका घर आपदा में मलबे में बदल गया। हाथ में छोटे-छोटे बच्चे और सिर पर आसमान – परिवार पूरी तरह टूट चुका था। लेकिन जैसे ही उन्हें जानकारी मिली कि थराली ब्लॉक प्रमुख परवीन पुरोहित ने प्रभावितों के लिए अपना गेस्ट हाउस खोल दिया है, उनकी आँखों में उम्मीद की किरण लौट आई।
यह सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि कई उन परिवारों की भावनाएँ हैं जो आज पुरोहित दंपत्ति की सेवा और संवेदनशीलता से राहत की सांस ले रहे हैं।
थराली में डटे परवीन पुरोहित – “लोगों के बीच रहना ही मेरी पहली जिम्मेदारी”
आपदा की सूचना मिलते ही परवीन पुरोहित ने तय किया कि वे अपने ब्लॉक मुख्यालय को नहीं छोड़ेंगे।
वे रोज़ सुबह से लेकर देर रात तक गाँव-गाँव जाकर प्रभावित परिवारों से मिल रहे हैं। कोई राशन चाहता है तो किसी को दवा की जरूरत है। कहीं मलबे में फँसे लोगों को निकालना है, तो कहीं असहाय बुजुर्ग को सहारा देना है।
स्थानीय लोग बताते हैं – “ब्लॉक प्रमुख खुद हमारे बीच आकर हाल पूछते हैं। ऐसा नेता हमने पहली बार देखा है।”
एम्स में मरीजों की सेवा में जुटीं हेमा पुरोहित – “बीमारों की मुस्कुराहट ही सबसे बड़ी ताकत है”
जब आपदा के बाद कई गंभीर रूप से घायल मरीजों को एम्स ऋषिकेश में रेफर किया गया, तो उनकी देखभाल का जिम्मा हेमा पुरोहित ने उठाया।
वे मरीजों की दवाइयों से लेकर उनके परिजनों के रहने और खाने-पीने तक का ख्याल रख रही हैं।
एक मरीज के परिजन की आँखों में आँसू थे – “जब अपने लोग भी छोड़ जाते हैं, तब हेमा जी ने हमें अपनाया। यह हम कभी नहीं भूल पाएँगे।”
गेस्ट हाउस बना अस्थायी घर
राजधानी देहरादून में रायपुर चकतुनवाला क्षेत्र में स्थित पुरोहित दंपत्ति का गेस्ट हाउस आज राहत का केंद्र बन गया है।
जहाँ कभी यह गेस्ट हाउस सैलानियों की चहल-पहल से गुलज़ार रहता था, आज वहाँ छोटे बच्चे सुरक्षित नींद सो रहे हैं और बुज़ुर्ग चैन की साँस ले रहे हैं।
यहाँ रहने वाले एक व्यक्ति कहते हैं – “हमारे पास न घर था, न सहारा। लेकिन पुरोहित जी ने अपने गेस्ट हाउस का दरवाज़ा खोल दिया। आज हम सड़क पर नहीं, छत के नीचे हैं।”
समाज के लिए प्रेरणा
आपदा की इस घड़ी में जब हर कोई अपने-अपने घरों में सुरक्षित रहना चाहता है, पुरोहित दंपत्ति का यह समर्पण सेवा और संवेदना का अनूठा उदाहरण है।
यह जोड़ी न केवल राहत बाँट रही है बल्कि यह विश्वास भी जगा रही है कि समाज में अभी भी इंसानियत जिंदा है।
थराली से लेकर देहरादून तक, परवीन और हेमा पुरोहित ने साबित कर दिया कि पद और शक्ति का सबसे बड़ा उपयोग तब होता है जब उसे जनसेवा में लगाया जाए। आपदा की अंधेरी रात में वे सैकड़ों परिवारों के लिए वह दीपक बन गए हैं, जिसकी रौशनी से लोगों के जीवन में फिर से उम्मीद जग उठी है।