दूसरी शादी रचाने वाले 60 वर्षीय पूर्व विधायक को भाजपा ने दिखाया बाहर का रास्ता, 6 वर्ष के लिए निष्कासित

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देहरादून। भाजपा ने पार्टी के पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है. कुछ दिन पहले भाजपा ने पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ को नोटिस जारी किया था जिसमें अभद्र भाषा के इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था फिलहाल भाजपा प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि गलत आचरण करने वालों के लिए पार्टी में कोई जगह नहीं है।

ऐसे में पार्टी ने पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। आपको बता दे कि दूसरी शादी के मामले को लेकर पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ सुर्खियों में थे। जिसका पार्टी ने संज्ञान लिया और उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है।

 

देहरादून। उत्तराखंड की सियासत एक बार फिर व्यक्तिगत जीवन से उपजे विवाद में उलझ गई है। इस बार मामला है भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर का, जिन्होंने हाल ही में सहारनपुर निवासी उर्मिला सनावर को अपनी दूसरी पत्नी के रूप में स्वीकार कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। भाजपा ने इस “अमर्यादित आचरण” को गंभीरता से लेते हुए राठौर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

बीते कुछ दिनों से सुरेश राठौर और उर्मिला सनावर के बीच आरोप-प्रत्यारोप और विवाद की खबरें सार्वजनिक हुई थीं। पहले यह विवाद एक निजी स्तर पर सुलझता दिखाई दे रहा था, लेकिन अब यह भाजपा के लिए राजनीतिक नुकसान का कारण बनता दिख रहा है। पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी समिति ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए सुरेश राठौर को 7 दिन के भीतर अपना स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है।

भाजपा की ओर से जारी बयान में कहा गया राठौर की व्यक्तिगत गतिविधियों से पार्टी की छवि को गंभीर क्षति पहुंची है। पार्टी अनुशासन समिति इस प्रकरण की पूरी जांच करेगी और राठौर के जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी।

वहीं, कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को तुरंत लपकते हुए भाजपा पर हमला बोल दिया है। कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने सवाल उठाया है कि क्या भाजपा अपने घोषित ‘समान नागरिक संहिता’ (UCC) सिद्धांत के तहत राठौर पर कोई कानूनी या अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी? शर्मा ने इसे भाजपा की कथनी और करनी में अंतर का एक उदाहरण बताया।

वहीं राठौर समर्थकों का कहना है कि यह पूरा मामला एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। कुछ लोगों का आरोप है कि हरिद्वार के ही भाजपा से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने राठौर को नीचा दिखाने के लिए इस विवाद को हवा दी है। भाजपा के भीतर यह मामला अब सिर्फ एक निजी निर्णय नहीं रह गया है, बल्कि संगठनात्मक मर्यादा और पार्टी की सार्वजनिक छवि से जुड़ गया है देखना यह है कि राठौर अगले सात दिनों में क्या जवाब देते हैं और भाजपा उस पर क्या रुख अपनाती है।