सुमननगर केलाघाट में अवैध खनन भी बना पंडित जी के घर की बर्बादी का कारण!

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यदि मुख्य खनन अधिकारी के साथ ही सीएम हेल्पलाइन में की गई शिकायत पर हो जाती कार्यवाही, तो शायद बच जाता पंडित संतोष चन्द्र गैरोला जी का मकान

लगातार हो रहे अवैध खनन से काठ बंगला में mdda के नए बने फ्लैट भी खतरे की जद में

देहरादून। राजधानी देहरादून के राजपुर क्षेत्र में केलाघाट रिसपना नदी अवैध खनन का गढ़ बन चुकी है। यहां धड़ल्ले से हो रहे अवैध खनन ने स्थानीय लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। खनन माफियाओं ने नदी में बहकर आने वाली खनन सामग्री एकत्रित करने के लिए कई स्थानों पर बांध बनाए हुए हैं। नदी में खनन कार्य पर वर्चस्व को लेकर कई बार यहां झगड़ा भी होता है। जो कभी भी खूनी रूप ले सकता है।

अवैध खनन को लेकर दो गुटों के बीच हुए झगड़े के बाद लिखा गया समझौता पत्र

ग्लोबल वार्मिंग कंट्रोल ट्रस्ट के प्रदेश अध्यक्ष योगेन्द्र सिंह चौहान का कहना है कि लगातार हो रहे इस अवैध खनन के कारण हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि काठ बंगला में नए बने mdda के सरकारी फ्लैट भी खतरे की जद में आ गए हैं। यदि खनन नहीं रुका तो फ्लैट कभी भी पानी की चपेट में आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के चलते सुमननगर पंडित संतोष चन्द्र गैरोला और उनके पड़ोसी का घर पूरी तरह से जमींदोज़ हो गया। जिसका मुख्य कारण अवैध खनन के लिए बनाए गए बांध हैं। इन घरों में रखा घरेलू सामान भी बह गया। अचानक हुई इस तबाही से प्रभावित परिवार खुले आसमान के नीचे आने को मजबूर हैं। इसके लिए काफी हद तक यह अवैध खनन भी जिम्मेदार है।

उन्होंने बताया कि सामान्य दिनों में दिन रात चलने वाले अवैध खनन में लगे वाहनों की पुष्टि काठ बंगला पुल से सुमननगर तक लोगो के यहां लगे सीसीटीवी कैमरों से भी हो सकती है।

शिकायतों के बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं

योगेन्द्र सिंह चौहान इस अवैध खनन के खिलाफ लगातार आवाज़ उठा रहे हैं, लेकिन उनकी पुकार अनसुनी की जा रही है। चौहान का कहना है कि उन्होंने मुख्य खनन अधिकारी को अगस्त में ही पत्र लिखकर इस पर कार्यवाही की मांग कर चुके हैं परंतु खनन अधिकारी द्वारा ना तो यहां निरीक्षण किया या कराया गया और ना ही कोई कार्यवाही की गई जो अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है।

चौहान इसी महीने चार सितंबर को सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत दर्ज करा चुके हैं, परंतु जनहित के इस मामले में वहां से भी निराशा हाथ लगी है और अवैध खनन का सिलसिला लगातार जारी है।

योगेन्द्र चौहान का कहना है कि “लगातार शिकायतों और लिखित पत्र देने के बावजूद खनन विभाग खामोश है। लगता है खनन माफियाओं को किसी बड़े संरक्षण का लाभ मिल रहा है।”

स्थानीय परेशानियाँ – पानी और सड़क सब बर्बाद

वाहनों के चलते पानी की पाइप लाइनें बार-बार टूट रही हैं, जिससे पीने के पानी की सप्लाई लगातार बाधित रहती है।

खनन वाहनों की आवाजाही से क्षेत्र की सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं और आवागमन दिक्कतों से भरा हुआ है। जिसमें गिरकर कई लोग घायल भी हो चुके हैं।

संरक्षण का सवाल और प्रशासन की चुप्पी
सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से लेकर जिला खान अधिकारी तक शिकायतें की गईं, तो आखिर क्यों कोई कार्रवाई नहीं हुई? किसके संरक्षण में यह अवैध खनन चल रहा है? क्षेत्रवासियों का कहना है कि बिना सत्ता या प्रशासनिक संरक्षण के इस तरह खुलेआम खनन संभव ही नहीं है।

आंदोलन की चेतावनी
लगातार प्रशासन की अनदेखी से लोगों में गहरा रोष है। चौहान ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही अवैध खनन पर रोक नहीं लगी और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे क्षेत्रवासियों के साथ मिलकर सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।

पर्यावरण और भविष्य पर खतरा

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का अवैध खनन न सिर्फ मकानों और सड़कों को नुकसान पहुँचा रहा है, बल्कि पर्यावरण और जलस्रोतों को भी गंभीर खतरा है। यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगी तो आने वाले दिनों में यहाँ का भूगर्भीय ढांचा पूरी तरह कमजोर पड़ सकता है और बड़े हादसे हो सकते हैं।