उत्तराखंड में आठ साल से खाली है लोकायुक्त का पद, भ्रष्टाचार की शिकायतों पर नहीं हो रहा कोई एक्शन
देहरादून। उत्तराखंड में भले ही पिछले आठ सालों से लोकायुक्त का पद रिक्त है। लेकिन लोकायुक्त कार्यालय को लोकसेवकों के विरूद्ध शिकायतें लगातार मिल रही हैं। इससें इस बात को बल मिलता है कि शिकायतों पर कार्यवाही की आशंका के चलते लोकायुक्त की नियुक्ति में रूचि नहीं ली जा रही है। जबकि इसके लिये सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त आदेश कर दिये हैं। काशीपुर निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता और सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने लोकायुक्त कार्यालय में आईं शिकायतों व उनके निस्तारण के बारे में सूचना मांगी थी। जवाब में नदीम को दी गई जानकारी के अनुसार प्रथम लोकायुक्त द्वारा कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से सूचना उपलब्ध कराने की तिथि तक कुल 8515 भ्रष्टाचार आदि की शिकायते/परिवाद लोकसेवकों के विरूद्ध मिलीं। इसमें से 950 शिकायते लोकायुक्त का पद रिक्त रहने के दौरान पिछले आठ वर्षों में हुई हैं।
इन आठ वर्षों में प्रदेश को 5 मुख्यमंत्री मिल चुके हैं। जिसमें कांग्रेस से विजय बहुगुणा एवं हरीश रावत तो भाजपा से त्रिवेंद्र सिंह रावत तीरथ सिंह रावत एवं वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शामिल हैं। भाजपा ने तो 2017 के विधानसभा चुनाव में 100 दिन में लोकायुक्त की नियुक्ति का वादा किया था परंतु साढे़ 4 साल से भी अधिक समय बीतने पर अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हो पाई है। जिससे ऐसा लगता है कि किसी भी पार्टी की सरकार ने इन आठ वर्षों में लोकायुक्त की नियुक्ति पर करने पर कोई ध्यान ही नहीं दिया।
लोकायुक्त का पद रिक्त होने की तिथि 01-11-2013 सेें सूचना उपलब्ध कराने की तिथि 11-10-2021 तक प्राप्त शिकायतों में
01-11-2013 से 31-12-2014 तक 422,
वर्ष 2015 में 181,
वर्ष 2016 में 97,
वर्ष 2017 में 86
वर्ष 2018 में 54,
वर्ष 2019 में 67
कोविड महामारी के वर्ष में भी 24 शिकायतें (परिवाद) तथा 2021 में (11 अक्टूबर तक) 19 शिकायतें मिली है। इस प्रकार कुल 1595 परिवाद (भ्रष्टाचार की शिकायते) लोकायुक्त के इंतजार में लंबित हैं।