स्कूल यूनीफॉर्म की बिक्री करने वाले व्यापारियों पर एक्शन, शुक्रवार को “अस्तित्व टाइम्स” ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी खबर
देहरादून। राज्य कर की विशेष अनुसंधान शाखा ने शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल से सम्बन्धित स्कूल यूनिफॉर्म एवं स्टेशनरी की बिक्री करने वाली अपंजीकृत दो फर्मो पर जांच कार्रवाई की गई।
उल्लेखनीय है कि दोनों फर्मों द्वारा लाखों की बिक्री उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली राज्य के जीएसटीएन पर बिक्री करते हुए ग्राहकों से कर उगाही भी जा रही है।
और यह कर उन्हीं राज्यों के राजकोष मे जमा होने की संभावना है जिस राज्य मे यह फर्म्स पंजीकृत हैं जबकि प्लेस आँफ सप्लाई उत्तराखंड राज्य में है। राज्य कर विभाग की दो टीमों द्वारा यह कार्यवाही सम्पन्न की गयी।
कार्यवाही में फर्मो के अभिलेखों एवं एक लैपटॉप को जब्त किया गया। इस कार्यवाही से पूर्व ही अधिकारियों द्वारा टेस्ट परचेज भी करते हुये फर्म्स द्वारा जारी किये जा रहे बिक्री बिल प्राप्त कर लिये गये थे।
कार्यवाही मे शामिल राज्य कर अधिकारियों मे रामलाल जोशी, भूपेन्द्र सिंह जंगपांगी, मोनिका पन्त, श्रीमती कंचन थापा एवं डा० संगीता विजल्वाण जोशी सम्मिलित थे। इस इकाई द्वारा स्कूल यूनीफॉर्म के अवैध बिक्री करने व्यापारियों पर लगातार कार्यवाहियां की जा रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि बीलिप, बिल लाओ इनाम पाओ योजना से इस प्रकार की कार्यवाहियों मे अत्यधिक सटीक सूचना प्राप्त हो रही है। और भविष्य में और सघन कार्रवाहियाँ की जायेगी।
अहमद इकबाल, आयुक्त राज्य कर के द्वारा जारी आदेशों के अनुपालन मे पी. एस. डुंगरियाल, अपर आयुक्त, गढवाल जोन, एस.एस. तिरूवा, सयुंक्त आयुक्त एस.आई.बी. व सुरेश कुमार, उपायुक्त, एस.आई.बी. के नेतृत्व में छापेमारी की गई।
सूत्रों के मुताबिक़ दर्शनलाल चौक पर स्थित एक बुकसेलर समेत कुछ और फर्म के खिलाफ भी कार्यवाही किए जाने की तैयारी है। जानकारी के मुताबिक़ इनके खिलाफ विभाग ने पुख्ता सबूत जुटाए हैं।
उत्तराखंड में आखिर किसकी शह पर एनसीईआरटी के नियमों को ताक पर रख रहे निजी स्कूल
देहरादून। नये शिक्षा सत्र 2024- 25 के लिए डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद निजी प्रकाशकों की मनमानी पर लगाम कस पाने में सरकारी तंत्र विफल साबित हो रहा है, ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे सरकारी सिस्टम की मिलीभगत से ही अभिभावकों से लूट की छूट दी गई हो। विद्यालयों में चल रहीं किताबों के प्रकाशकों ने मूल्य में 30 प्रतिशत तक वृद्धि कर दी गई है, ये वृद्धि हर वर्ष कर दी जाती है, इससे अभिभावकों की जेब पर हर वर्ष आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।
विदित हो कि निजी विद्यालयों के किताबों का सेट खरीदने पर दुकानदार कोर्स का बिल नहीं दे रहे और कई दुकानदार तो ऑनलाइन भुगतान भी नहीं ले रहे हैं। अभिभावकों के विरोध करने पर वह दूसरी दुकान पर जाने की बात कहते हैं, किंतु अन्य दुकानों पर उक्त प्रकाशक की किताबें नहीं मिलती हैं। शिक्षा सत्र के शुरू होते ही सीबीएसई और आईसीएसई से संबद्ध विद्यालयों में शिक्षण कार्य शुरू हो गया है।
नियमों की बात करें तो सभी विद्यालयों में एनसीईआरटी की किताबों से शिक्षण कार्य के निर्देश हैं, और कोर्स बदलने व मूल्य बढ़ाने की समय सीमा 03 वर्ष निर्धारित की गई है, बावजूद इसके हर वर्ष कोर्स बदल कर 30 फीसद तक रेट बढ़ा दिए जाते हैं, सभी स्कूलों की अपनी अपनी दुकाने खुल गई हैं उन दुकानों के अलावा सम्बंधित स्कूल का कोर्स पूरे इलाके में और कहीं नहीं मिलेगा। ऐसा नहीं है कि सरकारी सिस्टम इससे अंजान है, पर शिक्षा माफियाओं व शासन-प्रशासन के गठजोड़ से हर वर्ष अभिभावकों से लूट की छूट दे दी जाती है।