नई दिल्ली। बिहार में राजनीतिक हलचल तेज है और जेडीयू- बीजेपी के बीच गठबंधन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसी बीच आरजेडी ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुला ऑफर दिया है। आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि मंगलवार को दोनों दलों द्वारा विधायकों की बैठक बुलाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि स्थिति साधारण नहीं है।
शिवानन्द तिवारी ने मीडिया को बताया, “अगर नीतीश एनडीए को छोड़ना चुनते हैं, तो हमारे पास उन्हें गले लगाने के अलावा और क्या विकल्प है? राजद भाजपा से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। अगर मुख्यमंत्री इस लड़ाई में शामिल होने का फैसला करते हैं, तो हमें उन्हें साथ लेना होगा। व्यक्तिगत रूप से, मुझे चल रही घटनाओं के बारे में पता नहीं है। लेकिन हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि दोनों दलों ने, जिनके पास बहुमत हासिल करने के लिए पर्याप्त संख्या है, उन्होंने बैठकें बुलाई हैं।” नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात भी की है।
किस पार्टी के पास कितनी सीटें?
बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें जीतीं थीं, जिसमें से भाजपा ने अकेले 74 सीटें जबकि नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड ने 43, विकासशील इंसान पार्टी ने 4 और हिंदुस्तान आवाम पार्टी (सेक्युलर) ने 4 सीटें जीतीं थीं।
वहीं आरजेडी और उसके सहयोगियों (महागठबंधन) ने 110 सीटों पर जीत हासिल की थी। राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर आई थी। जबकि कांग्रेस ने केवल 19 सीटों पर जीत हासिल की थी। वाम दलों ने जिन 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से उन्होंने 16 पर जीत हासिल की थी, जिनमें से सीपीआई (एमएल) ने 12 सीटें जीतीं थीं। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने राज्य के सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। उसके चार विधायक राजद में शामिल हो गए हैं।
नीतीश सर्वमान्य नेता हैं: कांग्रेस विधायक
वहीं कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने कहा है कि हम लोग चाहते हैं कि नीतीश जी वहां से आये और नेतृत्व करें क्योंकि वह सर्वमान्य नेता हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी से लड़ने के लिए सभी सेक्युलर ताकतें एक साथ आना चाहिए। नीतीश जी हमारे साथ आये क्योंकि उनकी विचारधारा बीजेपी से अलग है और वह बीजेपी के साथ असहज महसूस कर रहे हैं।