प्रभावित बस्तियों की महिलाओं ने भाजपा कार्यालय पहुंचकर देहरादून के सभी विधायकों के नाम पत्र लिखकर बस्तियों को बचाने की गुहार लगाई
देहरादून। NGT के आदेश पर ध्वस्तीकरण की जद में आ रही बस्तियों की महिलाओं ने भारतीय जनता पार्टी के महानगर कार्यालय पहुंचकर विधायकों के नाम ज्ञापन देकर बस्तियों को बचाने की गुहार लगाई। इसके साथ ही मांग की कि भाजपा अपने वायदे के अनुरूप बस्तियों के नियमतीकरण के लए कानून लाकर मालिकाना हक़ दे।
ज्ञापन देने वाली महिलाओं में किरन, सीमा, फरजाना, सुनीता, सरोज, पिंकी, प्रेंमा, मिथिलेश, बबीता,पुष्पा,नूतन,नीलम, शारदा, प्रभा, कविता, सुनीता, पूनम, सन्ध्या, नीलम, रेखा, ममता, बीना, हेमा,नूतन,ओमवती आदि महिलाएं शामिल थी।

ज्ञापन
सेवा में,
(1)माननीय श्री गणेश जोशीजी
विधायक मसूरी विधानसभा देहरादून।
(2) माननीय श्री उमेश शर्मा काऊ
विधायक विधानसभा रायपुर देहरादून।
(3) माननीय श्री विनोद चमोली जी
विधायक धर्मपुर विधानसभा
देहरादून।
(4)माननीय श्री खजानदास जी
विधायक राजपुर रोड़ क्षेत्र
विधानसभा देहरादून
(5)माननीय श्रीमती सविता कपूर
विधायक देहरादून कैन्ट विधानसभा देहरादून।
बिषय :
(1)अपनी पार्टी एवं सरकार के वायदे के अनुरूप बस्तियों के नियमतीकरण हेतु कानून लाने के सन्दर्भ में।
(2) गरीबों को उजाडना बन्द हो
(3) सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुरूप पहले पुर्नवास फिर बिस्थापन हो।
मान्यवर ,
बड़ी संख्या में गरीब महिलाओं को भाजपा के देहरादून दफ्तर पर इसलिए पहुंचना पड़ा क्योंकि हाल में देहरादून में नगर निगम, MDDA और अन्य प्रशासनिक विभाग अतिक्रमण हटाने के नाम पर ध्वस्तीकरण अभियान चला रहे हैं। इस अभियान में कानून के प्रावधानों और संविधान के मूल्यों का घोर उल्लंघन हो रहा है। इस संदर्भ में हम आपके संज्ञान में कुछ बिंदुओं को लाना चाह रहे हैं :-
(1)राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के 13.05.2024 के आदेश (पैराग्राफ 20) के अनुसार नगर आयुक्त देहरादून ने प्राधिकरण के समक्ष बेदखली को कानून के अनुसार कराने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। लेकिन बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए लोगों को बेदखल किया जा रहा है। अनाधिकृत अधिकारी मनमानी तरीकों से तय कर रहे हैं कि किसको बेदखल करना है ? प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है और व्यक्तिगत सुनवाई और अपील करने का कोई मौका नहीं दिया जा रहा है ।
(2)इस अभियान के दौरान कुछ लोग जो निश्चित रूप से 2016 से पहले रह रहे थे, उनकी सम्पतियों को भी नुक्सान पहुंचवाया गया है।
(3)बेदखली के लिए क़ानूनी प्रक्रिया है, जो उत्तर प्रदेश पब्लिक प्रेमिसेस (एविक्शन ऑफ़ अनअथॉराइज़्ड ऑक्यूपेशन) अधिनियम में अंकित है। लेकिन इस कानून को ताक पर रखा गया है।
(4)इसके अतिरिक्त, प्राधिकरण का आदेश केवल मामले से सम्बन्धित पक्षकारों पर ही लागू होता है और ऐसे लोगों को मनमाने तरीके से उजाडा जा रहा है, जो इस मामले में पक्षकार नहीं हैं और उन्हें अपना पक्ष रखने का प्राधिकरण में कोई मौका ही नहीं दिया गया है। बिना क़ानूनी प्रक्रिया को अपनाये किसी की सम्पति को नुक़सान पहुँचाना क़ानूनी अपराध है।
(5)प्रभावित लोगों में से कई परिवार जो अनुसूचित जाति के हैं और उनको गैर क़ानूनी तरीकों से बेदखल करना SC / ST (Prevention of Atrocities) Act के अंतर्गत भी अपराध है। हमारे संविधान के अनुसार आश्रय का अधिकार मौलिक अधिकार है। उच्चतम न्यायलय के अनेक फैसलों में इस सिद्धांत को दोहराया गया है (Olga Tellis & Ors v. Bombay Municipal Corporation, 1986 AIR 180, 1985 SCR Supl. (2) 51 (1985) , Shantistar Builders v. Narayan Khimalal Totame, AIR 1990 SC 630 (1990) , इत्यादि)। इसलिए बिना पुनर्वास की व्यवस्था कर मज़दूर परिवारों को बेघर करना संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है।
(6) देहरादून की नदियों एवं नालियों में होटल, रिसोर्ट, रेस्टोरेंट और अनेक अन्य निजी संस्थानों द्वारा और सरकारी विभागों द्वारा भी अतिक्रमण हुए हैं। हरित प्राधिकरण के आदेश में कोई ज़िक्र नहीं है कि कार्यवाही सिर्फ मज़दूर बस्तियों के खिलाफ करना है, लेकिन किसी भी अन्य प्रभावशाली अतिक्रमणकारियों को नोटिस तक नहीं गया है। इसलिए यह अभियान न केवल गैर क़ानूनी है बल्कि भेदभावपूर्ण भी है।
(8)करनपुर खास(आर्य नगर बस्ती),कांवली ,गांधी ग्राम के जो नोटिस वर्तमान में दिये गये है वे नोटिस कानून के विपरीत है। इस सरकार से पूर्व अन्य सरकारों ने भूमिहीन कब्जे दारों को कानूनी प्रावधान के विपरीत जाकर कानून में संशोधन कर वर्ष 1970,1977,1995,2002में मालिकाना अधिकार प्रदान किए हैं।
अतः हमारा आपसे निवेदन है कि राज्य सरकार अपनी मालिकाना हक की वचनबद्धता तथा हाल ही में भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार ने करो्ड़ों आवासहिनों को मकान देने का वायदा किया है राज्य सरकार को चाहिए की वह दोनों सरकारों की वचनबद्धता का
पालन करते हुये ;–
(अ)इस गैर क़ानूनी ध्वस्तीकरण अभियान पर तुरंत रोक लगायी जाय तथा कोई भी बेदखली की प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
(ब) तमाम गरीब व भूमिहीन लोगों की पुनर्वास की ब्यवस्था करने के बाद ही यदि आवश्यक हो तो सम्बन्धित स्थान से विस्थापित किया जाये। देश की आजादी के बाद हर देशवासी को, आवास, शिक्षा व रोजगार पाने का हक है और जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का काम अपने दायित्वों का निर्वहन कर इसे पूरा करने का है।
(स )जिन परिवारों के घरों को बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए तोड़े गए हैं, उनको मुआवज़ा उपलब्ध कराया जाये और ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की जाये।
(द )हाल के बर्षो में ग्राम पंचायत स नगर निगम मे जुड़े क्षेत्र से जुड़ै लोंगों के नोटिस निरस्त हों।
(ध) सभी बस्तियों में उपजिलाधिकारी सदर की ओर से बेदखली के नोटिस निरस्त हों।
अत: आपसे से विनम्र अनुरोध है कि उपरोक्त बिन्दुओं पर चुप रहने के बजाय ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया रोकने के लिए अपना संवैधानिक दायित्वों का पालन करने कि कृपा करें तथा सभी बस्तियों के नियमतीकरण हेतु कानून लाए, सरकार की हरेक जनपक्षिय योजना में पुर्नवास एवं समुचित योजना का प्रावधान हो।
आदर सहित
हम हैं आपके