देहरादून। मौजूदा यूसीसी विशेष विधानसभा सत्र को लेकर कांग्रेस व भाजपा के बीच तलवारें खिंच गयी है। कार्य मन्त्रणा समिति से नेता विपक्ष आर्य व विधायक प्रीतम सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस विधानमंडल दल राजभवन पहुंच गया। नेता विपक्ष यशपाल आर्य व विधायक प्रीतम सिंह ने सोमवार को सरकार द्वारा संवैधानिक मूल्यों की लगातार उपेक्षा किये जाने, सत्रावसान किये बिना ही विशेष सत्र के नाम पर प्रश्नकाल, अविलम्बनीय लोक महत्व की सूचनाओं को स्थगित किये जाने के अवैधानिक कृत्यों के विरोध में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। इधर, मंगलवार को यूसीसी ड्राफ्ट सदन के पटल पर रखा जाएगा।
ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया कि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा हेतु सरकार को निर्देशित करने की कृपा करेंगे। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य , उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, विधायक राजेन्द्र भंडारी, हरीश धामी, श्रीमती ममता राकेश , फुरकान अहमद, तिलक राज़ बेहड़ , मदन सिंह बिष्ट , मनोज तिवारी , विक्रम सिंह नेगी , आदेश सिंह चौहान जी, गोपाल सिंह राणा, खुशहाल सिंह अधिकारी व वीरेंद्र जाती मौजूद रहे।
सेवा में,
महामहिम राज्यपाल , उत्तराखण्ड
महोदय,
जैसा कि आप विदित ही हैं कि उत्तराखण्ड विधान सभा का वर्ष 2023 का द्वितीय सत्र जो 08 सितम्बर, 2023 के उपवेशन की समाप्ति पर अनिश्चित काल के लिये स्थगित हो गया था, को सोमवार दिनांक 05 फरवरी, 2024 से आहूत किया गया था। विधान सभा सचिवालय की अधिसूचना (संलग्नक-1) से ही स्पष्ठ है कि इस सत्र को विशेष सत्र नहीं माना जा सकता क्योंकि सत्रावसान हुआ ही नहीं है।
इसके अतिरिक्त सचिव, विधान सभा के आदेश से विधान सभा सचिवालय के पत्र संख्या 213 दिनांक 25 जनवरी, 2024 (संलग्नक-2) के माध्यम से भी एक पत्र सभी माननीय सदस्यगणों को जारी किया गया है जिसमें अविलम्बनीय लोक महत्व की सूचनाओं यथा नियम 53, 58, 299 एवं नियम 300 की सूचना को प्रत्येक उपवेशन को प्रातः 08:30 बजे से 09:30 बजे, दिनांक 06 फरवरी, 2024 तक विधान भवन में लिये जाने हेतु कहा गया है।
उपरोक्त सारे तथ्यों के होते हुए भी कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में यू.सी.सी. हेतु विशेष सत्र का हवाला देते हुए प्रश्नकाल एवं अविलम्बनीय लोक हित सूचनाओं को स्थगित करना कार्यसंचालन नियमावली का उल्लंघन है। इस तरह के अवैधानिक कार्य को कार्यमंत्रणा समिति में बहुमत के आधार पर पास किया जाना कदाचित उचित नहीं है। सरकार द्वारा संवैधानिक मूल्यों की लगातार उपेक्षा की जा रही है। सत्रावसान किये बिना ही विशेष सत्र के नाम पर प्रश्नकाल, अविलम्बनीय लोक महत्व की सूचनाओं को स्थगित किया जा रहा है। ज्ञापन में संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की अपील की गई है।