नई दिल्ली। बुधवार को कांग्रेस के नए अध्यक्ष के तौर पर चुने गए मल्लिकार्जुन खड़गे की राह बिल्कुल भी आसान नहीं है। उनके सामने चुनौतियों की लंबी फेहरिस्त है। इन चुनौतियों में पार्टी पर अपना नियंत्रण कायम करना पार्टी में अंदरूनी कलह खत्म करना, दलितों को पार्टी के साथ जोड़ना और पार्टी को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में मुकाबले के लिए तैयार करना शामिल है।
इन सब चुनौतियों के बीच मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने सबसे बड़ी चुनौती खुद को अध्यक्ष के तौर पर स्थापित करना है, क्योंकि, पार्टी में हाईकमान कल्चर है। पार्टी के कई नेता मानते हैं कि असल ताकत गांधी परिवार के हाथ में ही रहेगी। ऐसे में खड़गे किस तरह अध्यक्ष के तौर पार्टी में अपनी बात मनवा पाते हैं, यह वक्त तय करेगा। यूं तो अध्यक्ष के तौर पर खड़गे का पहला इम्तिहान गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव होंगे, पर उनके लिए असल चुनौती 2023 से शुरू होगी। अगले साल राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक सहित दस राज्यों में चुनाव हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर उनके सामने चुनावों में पार्टी को जीत की चुनौती है। इन चुनाव के खत्म होते ही 2024 के लोकसभा चुनाव का रण शुरू हो जाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर खड़गे की यह असल परीक्षा होगी क्योंकि, इन चुनाव में कांग्रेस का मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है। विपक्ष बंटा हुआ है और लोगों के बीच प्रधानमंत्री की छवि बरकरार है। ऐसे में पार्टी को जीत की दहलीज तक पहुंचाना आसान नहीं है।
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