कांग्रेस हाईकमान विधायक सहित कई नेताओं पर गिरा सकता है निष्कासन की गाज

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देहरादून। उत्तराखंड में पिछले लंबे समय से गुटबाजी के कारण कांग्रेस समाप्ति की ओर बढ़ती जा रही है। प्रदेश में अधिकतर वरिष्ठ कांग्रेसियों के अपने बूथ तक पर कांग्रेस प्रत्याशियों को हार का सामना पड़ा है। इसके बावजूद कांग्रेसी मंथन करने के बजाय एक दूसरे की टांग खींचने में पूरी तत्परता और जी जान से जुटे हुए हैं। लगता है कि पार्टी हाईकमान अब ऐसे नेताओं को पूरी तरह सबक सिखाने के मूड में आ गया है। प्रदेश में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष एवं उप नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के बाद पार्टी की अंदरूनी सियासत में बयानबाज़ विधायकों ने जिस तरह बीते दिनों अपने तेवर दिखाए हैं उसके बाद हाईकमान ने इन बयानवीर विधायकों के साथ ही कई बयानबाज नेताओं के पर कतरने की तैयारी शुरू कर दी है।प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति का विरोध कर रहे धारचूला विधायक हरीश धामी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है। दरअसल धामी ने जिस प्रकार हाईकमान पर तीखे बयान दिए हैं और सीएम पुष्कर सिंह धामी के लिए सीट छोड़ने की बात कही है, उसे हाईकमान ने गंभीरता से लिया है। साथ ही पार्टी छोड़ने के बाबत फेसबुक पर किए गए कुछ कमेंट भी धामी के खिलाफ जा रहे हैं। इन कमेंट को भी हाईकमान को भेजा गया है।

सूत्रों के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भी धामी द्वारा पार्टी पर लगाए जा रहे आरोपों पर काफी गंभीर हैं। लेकिन अभी खुलकर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। यह जरूर है कि सोशल मीडिया के जरिए माहरा इशारों में कार्रवाई के संकेत जरूर दे रहे हैं। माहरा ने आज फिर सोशल मीडिया पर बयान जारी कर सभी नेताओं ने सार्वजनिक रूप से बयान न देने का अनुरोध किया। दूसरी तरफ, प्रयास करने पर धामी से बात नहीं हो पाई। आज धामी मीडिया से बातचीत करने से हिचकते रहे।

प्रदेश में कांग्रेस के भीतर असंतोष प्रबंधन का असर दिखने लगा है। प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष के पदों पर की गईं नियुक्तियों को लेकर नाराज विधायकों के तेवर ढीले पड़े हैं। उनकी बैठक गुरुवार को भी नहीं हो सकी। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य विधायकों से मुलाकात कर उनके मन की थाह लेने में जुटे रहे।

नवनियुक्त कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने हालांकि पार्टी विधायकों में​ किसी प्रकार के असंतोष से इंकार किया है. लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि वह अब उनसे व्यक्तिगत तौर पर संपर्क साध रहे हैं और उन्हें पार्टी से किसी प्रकार के टकराव वाले रास्ते से दूर रहने को कह रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस महासचिव मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष ने सभी विधायकों से व्यक्तिगत तौर पर संपर्क किया है और उनकी बात सुनी है. उनकी शिकायतों को दूर किया गया है और कहीं कोई नहीं जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश विधायक दल की बैठक द्वारा अधिकृत किए जाने के बाद ही पार्टी हाईकमान ने संगठनात्मक बदलाव किया है और इसलिए विधायकों को इससे कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए. हालांकि उन्होंने कहा कि इसके बावजूद अगर उन्हें कोई शिकायत हैं तो वे उसे उचित मंच पर उठा सकते हैं. वहीं धारचूला से विधायक हरीश धामी ने जहां अपनी अनदेखी किए जाने और नियुक्तियों में पात्रता (मेरिट) नहीं देखे जाने के खुलकर आरोप लगाए हैं।

वहीं चकराता से विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, द्वाराहाट विधायक मदन बिष्ट, लोहाघाट विधायक खुशाल सिंह अधिकारी और भगवानपुर की विधायक ममता राकेश भी तवज्जो न मिलने से नाराज बताए जा रहे हैं. रविवार को पार्टी हाईकमान ने माहरा के अलावा चुनाव से पहले भाजपा छोडकर कांग्रेस में लौटे यशपाल आर्य को राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खटीमा में पटखनी देकर पहली बार विधायक बने भुवन चंद्र कापडी को विधानसभा में उपनेता नियुक्त किया है।

उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने बताया, सार्वजनिक रूप से पार्टी विरोधी बयान दिया जाना गलत है। पार्टी मंच पर बात रखी जानी चाहिए। अनुशासन को लेकर कांग्रेस नेतृत्व बेहद गंभीर है।

नये अध्यक्ष करन माहरा ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। जिस अंदाज में उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की, उससे उनकी कार्यप्रणाली की झलक देखने को मिली। करन माहरा 17 अप्रैल से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभालने जा रहे हैं।

कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें जिन उम्मीदों के साथ कमान सौंपी है, उसकी झलक देखने को मिली। उन्होंने प्रेस वार्ता में सधे हुए अंदाज में भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की। साथ ही कहा कि वह लगातार मीडिया के माध्यम से सरकार की नाकामियों को जनता के सामने लाने का काम करते रहेंगे।

दूसरी ओर, उन्होंने यह भी स्पष्ट संकेत दे दिए कि संगठन में वह किस तरह से काम करने जा रहे हैं। जिस तरह की गुटबाजी की चर्चाएं पार्टी में आ रही हैं, वहां उसे खत्म कर काम को सर्वोपरि रखने की उनकी इच्छा भी बेहतर संकेत दे रही है। तेवर इतने हैं कि वह साफ कह चुके हैं कि समझौता किसी कीमत पर मंजूर नहीं होगा । अब यह देखने वाली बात होगी कि भविष्य में कांग्रेस का ऊंट किस करवट बैठेगा।