नई दिल्ली। भारत के आए दिन महंगाई दर बढती ही जा रही रही. सरकार हर बार दावा करते नजर आती है की महंगाई कम हुई है लेकिन आंकड़े साफ बता रहे सरकार के वादों और महंगाई के बीच बड़ा अंतर है . पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक थोक महंगाई अप्रैल में बढ़कर 15.08 फीसदी हो गई, जो मार्च में 14.55 फीसदी थी। आपको बता दें कि अप्रैल 2021 से लगातार थोक महंगाई दहाई अंक में बनी हुई है।
अप्रैल में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 8.35 फीसदी रही, जो मार्च में 8.06 फीसदी थी। ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति एक महीने पहले के 34.52% से बढ़कर 38.66 फीसदी हो गई। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति मार्च के 10.71 फीसदी से बढ़कर अप्रैल में 10.85 फीसदी हो गई। वहीं, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति अप्रैल में 69.07 प्रतिशत थी। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा, ‘‘अप्रैल 2022 में मुद्रास्फीति की ऊंची दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, खाद्य वस्तुओं, गैर-खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों, रसायनों और रासायनिक उत्पादों आदि की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण हुई।’बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करने के लिए केंद्रीय रिजर्व बैंक की ओर से तरह-तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। बीते दिनों केंद्रीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 4.40 फीसदी हो गई है। आरबीआई के इस कदम से होम-कार लोन की ब्याज दर बढ़ने लगी हैं। वहीं, आरबीआई ने कैश रिजर्व रेशियो को भी बढ़ाने का ऐलान किया था।