देहरादून। प्रदेश की सल्ट विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस ने गंगा पंचोली पर फिर से दांव लगाया है। गंगा पंचोली 2017 में भी कांग्रेस के टिकट पर सल्ट विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है लेकिन 2017 में भाजपा के सुरेंद्र सिंह जीना से 2904 वोटों से चुनाव हार गई थी। गंगा पंचोली ने 2017 के चुनाव में 18677 वोट हासिल किए थे यानी गंगा पंचोली को 2017 के विधानसभा चुनावों में 43 फीसद वोट पाए थे।
सल्ट विधानसभा का उपचुनाव बेहद ही रोमांचक होने वाला है क्योंकि एक तरफ सत्तारूढ़ भाजपा अपना 2017 का वर्चस्व बरकरार रखना चाहती है तो वही कांग्रेस भी इस उपचुनाव को जीतकर 2022 का सत्ता हासिल करने का अपना आगाज कर सकती है भाजपा ने पूर्व विधायक स्वर्गीय सुरेंद्र सिंह जीना के भाई महेश जीना को उपचुनाव में उतारा है। अगर पूर्व विधायक स्वर्गीय सुरेंद्र सिंह जीना की बात की जाए तो वह इस सीट पर लगातार तीन बार के विधायक रहे थे 2017 में सुरेंद्र सिंह जीना को 21581 यानी 49 फीसद वोट मिले थे। कांग्रेस की गंगा पंचोली ने कड़ा मुकाबला दिया था।
उत्तराखंड में इस वक्त भाजपा सत्ता पर काबिज है ऐसे में पिछले 4 साल की एंटीइनकंबेंसी और विकास के किए कामों को लेकर भाजपा को चुनाव में जनता के सामने उतरना है। कांग्रेस किसी भी हालत में इस मौके को छोड़ना नहीं चाहेगी क्योंकि कांग्रेस जानती है कि अगर उसने इस उपचुनाव में भाजपा को पटकनी ने दी तो उसके लिए किसी संजीवनी से कम नहीं होगा और 2022 के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं में सत्ता हासिल करने की उर्जा बढ़ जाएगी।
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक सल्ट विधानसभा उपचुनाव में भाजपा पूर्व विधायक स्वर्गीय सुरेंद्र सिंह जीना की छवि को जरूर भुनाना बनाना चाहेगी और सहानुभूति भी चुनाव में लेना चाहेगी ताकि वह इस उपचुनाव को जीत सके लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि अगर भाजपा को इस सीट पर जीत चाहिये तो कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व विधायक रंजीत रावत से पहले राजनीतिक जंग जीतनी होगी। क्योकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पैतृक गांव से भी सल्ट की विधानसभा लगी हुई है। तो रंजीत रावत भी सल्ट विधानसभा के पूर्व विधायक रह चुके हैं और रंजीत रावत की पूरी राजनीति सल्ट विधानसभा से जुड़ी हुई है
सल्ट विधानसभा उपचुनाव में जहां एक और बीजेपी का मुकाबला सिर्फ कांग्रेस से नहीं बल्कि उस सीट के कद्दावर और अपनी छाप छोड़ने वाले 2 बड़े नेताओं से है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और सल्ट विधानसभा के पूर्व विधायक रंजीत रावत से है इसके साथ ही भाजपा को अपने 4 साल की एंटी इनकंबेंसी से भी इस चुनाव में दो चार होना पड़ेगा।