अस्तित्व टाइम्स
देहरादून। निकाय चुनाव को लेकर जारी हुई आरक्षण की अनंतिम सूची पर शहरी विकास निदेशालय को पहले ही दिन 53 आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। ये आपत्तियां विपक्षी दल कांग्रेस के साथ ही सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी दर्ज कराई हैं। सबसे ज्यादा 28 आपत्ति हरिद्वार के लंढौरा नगर पंचायत से प्राप्त हुई हैं। हालांकि, निदेशालय स्तर को केवल निकायों की आपत्ति देने का प्रावधान है। वार्ड स्तर की आपत्ति जिला अधिकारी के पास दी जाती है। इस तरह से पूरे प्रदेश भर में इन आपत्तियों का आंकड़ा सैकड़ों में हो सकता है।
नगर निकाय चुनाव को लेकर जारी की गई आरक्षण सूची पर कांग्रेस ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरक्षण सूची में सीधे-सीधे संविधान की परिकल्पना पर कुठाराघात करने का आरोप लगाया। कहा कि जिन नगर निकायों में 10 हजार से नीचे अनुसूचित जाति के लोग हैं, वहां पर अनुसूचित जाति के लोगों को प्रतिनिधित्व का मौका नहीं दिया। यह लोगों के मौलिक अधिकार का हनन है।
शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि अभी आपत्तियां ली जा रही हैं। जैसे ही आपत्तियों का निस्तारण होगा, उसके अनुरूप ही चुनाव की ओर बढ़ा जाएगा। विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह भाजपा के वास्तविक चेहरे को दिखाता है। उन्होंने कहा, आरक्षण विधानसभा की प्रवर समिति के माध्यम से तय होना था, जो कि उत्तराखंड के लोगों द्वारा चुने गए सदन द्वारा बनाया गया होता। 6 महीने के भीतर प्रवर समिति को अपनी रिपोर्ट देनी थी। विशेष सत्र के माध्यम से यह पास होना था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।