पहले स्कूलों के हालात सुधारे धामी सरकार, फिर दिल्ली की तर्ज पर बने फीस एक्ट: कर्नल कोठियाल

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देहरादून। आम आदमी पार्टी के वरिष्ट नेता कर्नल कोठियाल ने फीस एक्ट को लेकर एक बयान जारी करते हुए सरकार से कहा, बीजेपी सरकार को फीस एक्ट लाने से पहले पूरे राज्य में स्कूली व्यवस्था में सुधार करने की जरूरत है। पहले सरकार स्कूलों के हालात सुधारे, स्कूली व्यवस्था ठीक करे फिर दिल्ली की तर्ज पर फीस एक्ट लाया जाये। उन्होंने कहा कि फीस एक्ट लाने से कुछ नहीं होने वाला है, सबसे पहले नियत ठीक होनी चाहिए अगर सरकार की नियत ठीक है तो एक्ट लाने का फायदा हो सकता है।

निजी स्कूलों में मानकों के अनुपालन और फीस एक्ट को लेकर सरकार द्वारा जो राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण बनाने की बात की जा रही है ,सरकार उस पर गंभीरता से विचार करे। उन्होंने कहा कि राज्य में कई ऐसे निजी स्कूल हैं जिनकी मनमानी से आज अभिभावक काफी परेशान हैं लेकिन बच्चों की शिक्षा के आगे उन्हें हर बार स्कूल के आगे लाचार होना पडता है। ऐसी स्थिति में पहले सरकार को स्कूली शिक्षा व्यवस्था सिस्टम पर मजबूती से काम करने की जरूरत है और जिस तरह से कोरोना के दौरान अभिभावकों को इन स्कूलों की मनमानी के खिलाफ विरोध करना पड़ा उससे भी सरकार को सीख लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नया फीस एक्ट दिल्ली की तर्ज पर बनाया जाये जहां आप पार्टी की सरकार आने के बाद आज तक प्राईवेट स्कूलों में फीस बढोतरी नहीं हुई और दूसरी ओर प्राईवेट स्कूलों से ज्यादा लोग अब सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला करा रहे हैं, क्योंकि दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों का स्तर काफी ऊंचा कर दिया है ,जो पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन चुका है। उन्होंने ये भी कहा कि नोएडा और दिल्ली एक दूसरे से लगते हुए हैं लेकिन दिल्ली और नोएडा के प्राईवेट स्कूलों की फीस में जमीन आसमान का अंतर है।

उन्होंने कहा कि, जो प्राधिकरण सरकार बनाने जा रही है वो इतना मजबूत होना चाहिए कि, प्राईवेट स्कूलों की मनमानी पर वो प्राधिकरण आसानी से नकेल कस सके। उन्होंने उत्तराखंड के बारे में कहा कि उत्तराखंड सिर्फ देवभूमि ही नहीं बल्कि ये शिक्षा की भूमि भी है जहां आदिकाल में कई ऋषि मुनियों ने साधना की तो मौजूदा समय में देहरादून, नैनीताल से लेकर मसूरी तक विश्व के अलग अलग कोनों से लोग अपने बच्चों को तालीम दिलाने यहां आते हैं।

कर्नल कोठियाल ने कहा कि लगभग डेढ वर्षों से कोरोना काल के दौरान कई ऐसे अभिभावक हैं जिनका रोजगार छिन गया है, लेकिन उनके बच्चों की पढाई के नाम पर उनसे प्राईवेट स्कूलों द्वारा जबरन मोटी रकम फीस के रुप में ली जाती रही है,और कई प्राईवेट स्कूल सरकार पर अब स्कूल खोलने का भी दबाव बना रहे हैं। उन्होंने कहा, सरकार इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए ऐसा एक्ट तैयार करे ताकि आम आदमी को मंहगी फीस से राहत मिल सके और हर गरीब परिवार की पुहंच में बेहतर स्कूली शिक्षा हो।