उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग में बम्पर तबादले हुए हैं। प्रदेश में अभी भी साधारण चिकित्सकों के 212 और विशेषज्ञ चिकित्सकों के 650 पद खाली
देहरादून। उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों के बंपर तबादले हुए हैं। कुछ डॉक्टरों को पहाड़ से मैदानी जनपद में तैनाती दी गई है तो कुछ को पहाड़ में ही इधर- उधर किया गया है। सूत्रों का कहना है कि यह अभी पहली ट्रांन्सफर लिस्ट है। जल्द दूसरी लिस्ट जारी होगी।
वहीं चिकित्सकों की कमी स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन रही है। अभी स्थिति यह है कि प्रदेश में साधारण चिकित्सकों के 212 और विशेषज्ञ चिकित्सकों के 650 पद रिक्त चल रहे हैं। साधारण चिकित्सकों के पदों पर अब संविदा से तैनाती की जा रही है तो विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए वाक इन इंटरव्यू की सुविधा प्रदान की गई है।
उत्तराखंड में इस समय 733 चिकित्सा इकाइयां स्थापित हैं। इनमें 13 जिला चिकित्सालय, 21 उप जिला चिकित्सालय, 80 सामुदायिक केंद्र, 526 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टाइप ए, 52 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टाइप बी तथा 41 अन्य चिकित्सा इकाइयां शामिल हैं। इनके सापेक्ष प्रदेश में चिकित्सकों के 2735 पद सृजित हैं। इसके सापेक्ष प्रदेश में 2000 चिकित्सक उपलब्ध है। इनमें से भी 800 चिकित्सक सरकार के लगातार तीन साल से किए गए प्रयासों के बाद मिले हैं।
अभी चिकित्सकों के तकरीबन 733 पद खाली हैं। इससे प्रदेश के अधिकांश चिकित्सालय व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अच्छे चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे हैं। देखा जाए तो प्रदेश में पर्वतीय जिले आज भी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का सामना कर रहे हैं। सरकार ने बीते कुछ वर्षों में प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या तो बढ़ाई है, साथ ही यहां उपकरण भी भेजे हैं। अभी स्थिति यह है कि यहां न तो चिकित्सक हैं और न ही उपकरण संचालन के लिए तकनीकी कर्मचारी।
कई स्थानों पर ये केवल फार्मासिस्ट के भरोसे ही चल रहे हैं। ऐसे में इनका फायदा ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों के ग्रामीण आज भी इलाज के लिए जिला अस्पतालों और शहरों का रुख कर रहे हैं। चिकित्सकों की कमी चिंता का विषय इसलिए भी बन रही है क्योंकि अब विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर का अंदेशा भी जता रहे हैं। दूसरी लहर ने पर्वतीय क्षेत्रों में भी काफी घातक असर डाला था। अब यहां उपकरण, आक्सीजन व दवाइयां पहुंचाई गई हैं।
अब सरकार यहां चिकित्सकों की तैनाती के प्रयास में जुटी है। इसके लिए संविदा और वाक इन इंटरव्यू के माध्यम से इन पदों को भरने की कवायद चल रही है।
सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी का कहना है कि चिकित्सकों की कमी पहले से काफी हद तक दूर हो गई है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है।