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कुछ समय पहले -दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन के दौरान एक ऐसे सीनियर सेकेंडरी बोर्ड (BHSE) के सर्टिफिकेट को पकड़ा गया, जिसका बोर्ड ही नकली था। दिलचस्प बात यह है कि उसने 300 स्कूलों को रजिस्टर्ड किया था। इस तरह लगभग 20 हजार छात्रों से ठगी का मामला सामने आया था। ये सिर्फ कुछ मामले हैं। हर साल हजारों की तादाद में युवाओं के साथ ऐसे ही फर्जी कोर्स, बोर्ड आदि की आड़ में एजुकेशनल इंस्टिट्यूशंस फर्जीवाड़ा करते हैं। ऐसे में जानते हैं कि ऐसे फर्जी एजुकेशनल इंस्टिट्यूशंस के फर्जीवाड़े से कैसे बचें
देहरादून। प्रोफेशनल कोर्स के लिए किसी भी कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले उस कॉलेज और उसके कोर्स की मान्यता जांचना बहुत जरूरी है। ताकि बाद में होने वाली किसी भी धोखाधड़ी से बचा जा सके।
“अस्तित्व टाइम्स” द्वारा विभिन्न प्रोफेशनल कोर्स में दाखिला लेने से पहले मान्यता जांचने के लिए भारत सरकार द्वारा जारी कुछ सरकारी वेबसाईट के लिए लिंक शेयर किया जा रहा है। दाखिला लेने से पहले आप इन वेबसाईट से कॉलेज या कोर्स की मान्यता के बारे में जानकारी कर सकते हैं।
एडमिशन से पहले बरतें ये सावधानियांः
– लुभाने वाले विज्ञापनों की पूरी जांच-पड़ताल किए बिना एडमिशन लेने का जोखिम कभी न उठाएं।
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– रोजगार समाचार/ एम्प्लॉयमेंट न्यूज़ (प्रकाशन विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित) में छपने वाले शैक्षिक या रोजगार संबंधी विज्ञापनों पर ज्यादा विश्वास किया जा सकता है।
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– इंजीनियरिंग जैसे प्रोफेशनल कोर्स, बिना एडमिशन टेस्ट के कॉरस्पॉन्डेंस से करवाने वाले संस्थानों से बचें।
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– किसी प्राइवेट या विदेशी यूनिवर्सिटी से डिग्री दिलवाने का वादा करें तो बहकावे में न आएं।
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– इंस्टिट्यूट की आलीशान बिल्डिंग, चमकते ऑफिस और स्मार्ट स्टाफ की चकाचौंध में न आएं। मन में कोई सवाल उठे तो जरूर पूछें।
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– संस्थानों की वेबसाइट के भ्रामक दावों के बारे में मैनेजमेंट से न सिर्फ जानने की कोशिश करें बल्कि मान्यता प्राप्त होने से जुड़े सर्टिफिकेट दिखाने का आग्रह भी करें।
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– एडमिशन से पहले उस इंस्टिट्यूट के कुछ मौजूदा या पूर्व स्टूडेंट्स से बातचीत कर दावों की असलियत जानने की कोशिश जरूर करें।
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– अक्सर देखने में आया है कि ऐसे जाली संस्थान फीस की रकम नगद देने को कहते हैं। यह भी एक संकेत हो सकता है जिससे आपको सतर्क हो जाना चाहिए। चेक या डिजिटल तरीके से ही पेमंट करें।
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– दोस्तों की देखादेखी आंख मूंदकर किसी कोर्स या इंस्टिट्यूट में एडमिशन न लें।
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– रेग्युलेटरी एजेंसियों से संपर्क कर सचाई जानने के बाद ही आगे बढ़ें।
मान्यता प्राप्त होने के दावों की जांच ऐसे करें
अमूमन लोग इन संस्थानों की सचाई को जांचने की प्रक्रिया को ठीक से नहीं से जानते। हालांकि, सरकार ने केंद्रीय स्तर पर इस तरह की कई रेग्युलेटरी संस्थानों का गठन किया हुआ है, जो विभिन्न प्रफेशनल कोर्स एवं संचालक संस्थानों को मान्यता देते हैं।
जनरल कोर्स
यूनिवर्सिटीज़ को मान्यता देने से लेकर विभिन्न स्तर के नॉन प्रफेशनल ग्रैजुएशन/पोस्ट ग्रैजुएशन कोर्स (बीए /बीएससी /बीकॉम /एमए /एमएससी आदि) चलाने और उनकी क्वॉलिटी को बनाए रखने का जिम्मा UGC (यूनिवर्सिट्री ग्रांट्स कमिशन) पर है। देश में कार्यरत तमाम सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़, स्टेट यूनिवर्सिटीज़, डीम्ड यूनिवर्सिटीज़, प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ आदि की सूची इनकी वेबसाइट से मिल सकती है।
वेबसाइट: ugc.ac.in
तकनीकी कोर्स
BTech, MTech, BBA, MBA, MCA, MPharma आदि देश में टेक्निकल और दूसरे प्रफेशनल कोर्सों की क्वॉलिटी पर नजर रखने और कोर्सों के लिए ट्रेनिंग देने वाले इंस्टिट्यूशंस और यूनिवर्सिटीज़ को मान्यता प्रदान करने का जिम्मा है AICTE (ऑल इंडिया काउंसल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) का। इसकी वेबसाइट्स से बड़ी आसानी से डिग्री/ डिप्लोमा स्तर के इंजीनियरिंग, फार्मेसी, आर्किटेक्चर, होटेल मैनेजमेंट, एमसीए, एमबीए, एमई, एमटेक, एमफार्मा, एम आर्किटेक्चर कोर्सों का आयोजन करने वाले मान्यता प्राप्त संस्थानों/यूनिवर्सिटियों की सूची प्राप्त की जा सकती है।
वेबसाइट: aicte-india.org और aicte.ernet.in
यूजीसी के तहत DEB (डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो) कार्यरत है। देश में यूनिवर्सिटियों को ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग के जरिए कोर्सों चलाने की मान्यता देने का अधिकार इसी संस्थान को है।
वेबसाइट: ugc.ac.in/deb
मेडिकल (मॉर्डन मेडिसिन): MBBS, MD, MS, DM, MCH आदि
मेडिकल एजुकेशन यानी एमबीबीएस और पोस्ट-ग्रैजुएट स्तर के कोर्सों से संबंधित यूनिवर्सिटीज़ या मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने का अधिकार MCI (मेडिकल काउंसल ऑफ इंडिया) को है। देश के विभिन्न राज्यों में स्थित मान्यता प्राप्त ऐसे मेडिकल कॉलेजों की लिस्ट यहां मिल जाएगी।
वेबसाइट: mciindia.org
BAMS (आयुर्वेद): आयुर्वेद, यूनानी, तिब्बिया जैसी चिकित्सा प्रणाली पर आधारित मान्यताप्राप्त कोर्सों एवं संस्थानों के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं CCIM (सेंट्रल काउंसल ऑफ इंडियन मेडिसिन) से।
वेबसाइट: ccimindia.org
BHMS (होम्योपैथी): होम्योपैथी से जुड़े सभी कोर्सों को चलाने की मंजूरी देने से लेकर इनका सिलेबस आदि तय करने और समय-समय पर इनमें संशोधन करने की जिम्मेदारी CCH (सेंट्रल काउंसल ऑफ होम्योपैथी) पर है।
वेबसाइट: ccrhindia.org, ccrhindia.nic.in
BDS, MDS (डेंटल): बीडीएस, एमडीएस से जुड़ी तमाम चीजों को रेग्युलेट करती है DCI (डेंटल काउंसल ऑफ इंडिया)।
वेबसाइट: dciindia.org.in
नर्सिंग: समूचे देश में नर्सिंग ट्रेनिंग चलाने की जिम्मेदारी INC (इंडियन नर्सिंग काउंसल) की है। नर्सिंग से संबंधित डिप्लोमा या डिग्री कोर्सों के सिलेबस को तैयार करने से लेकर संस्थानों को मान्यता प्रदान जैसे काम INC ही करती है।
वेबसाइट: indiannursingcouncil.org
B. Pharm, M.Pharm (फार्मेसी) फार्मेसी एजुकेशन और प्रफेशन के लिए गाइडलाइंस तय करने और विभिन्न संस्थानों द्वारा सही ढंग से कार्यान्वयन करवाने का जिम्मा PCI (फार्मेसी काउंसल ऑफ इंडिया) का है। ऐसे कोर्सों में डिप्लोमा/ बैचलर ऑफ फार्मेसी, मास्टर्स ऑफ फार्मेसी आदि का विशेष तौर पर उल्लेख किया जा सकता है।
वेबसाइट: pci.nic.in
स्पीच, ऑडियॉलजी कोर्स: डिसएबिलिटी रिहेबिलिटेशन, सायको सोशल रिहेबिलिटेशन, रिहेबिलिटेशन थेरपी, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, ऑडियो एंड स्पीच लैंग्वेज पैथॉलजी जैसे विषयों पर डिप्लोमा/डिग्री और पोस्ट ग्रैजुशन कोर्सों चलाए जाते हैं। इनके बारे में जानकारी ले सकते हैं RCI (रिहेबिलिटेशन काउंसल ऑफ इंडिया) से।
वेबसाइट: rehabcouncil.nic.in
B. Arch (आर्किटेक्ट) आर्किटेक्चर सब्जेक्ट से संबंधित डिप्लोमा या डिग्री कोर्सों (बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर आदि) चलाने वाली संस्थानों या यूनिवर्सिटीज़ के बारे में सही जानकारी लेने या संस्थानों के दावों की जांच के लिए COA (काउंसल ऑफ आर्किटेक्चर) से संपर्क किया जा सकता है।
वेबसाइट: coa.gov.in
B.Sc.(Agr.), B.Sc. (Biotechnology), BTech (Dairy Technology) ऐग्रिकल्चर साइंस और इससे जुड़े विभिन्न विषयों के ग्रैजुएशन/पोस्ट ग्रैजुएशन स्तर के कोर्सों जैसे बीएससी (ऐग्रिकल्चर साइंस/हॉर्टिकल्चर, बॉयो टेक्नॉलजी), बीटेक (डेयरी टेक्नॉलजी / ऐग्रिकल्चर इंजीनियरिंग) के सिलेबस से लेकर संस्थानों को स्वीकृति प्रदान करने तक का दायित्व ICAR (इंडियन काउंसल फॉर ऐग्रिकल्चर रिसर्च पर है।
वेबसाइट: icar.org.in
JBT, B.Ed., M.Ed. आदि टीचर्स एजुकेशन के मान्यताप्राप्त कोर्सों (जेबीटी, बीएड, एमएड आदि) के अलावा मान्य कॉलेजों की सूची NCTE (नैशनल कउंसल फॉर टीचर्स एजुकेशन) से मिल सकती है।
वेबसाइट: ncte-india.org
विभिन्न शैक्षिक प्रमाणपत्र
सर्टिफिकेट/डिप्लोमा: कोई भी शैक्षिक संस्थान (मान्यता प्राप्त या गैर-मान्यता प्राप्त) इस तरह का सर्टिफिकेट किसी खास कौशल या हुनर की ट्रेनिंग देकर जारी कर सकता है। लेकिन यहां यह बताना जरूरी है कि सिर्फ सरकार द्वारा स्थापित/मान्यता प्राप्त ट्रेनिंग संस्थानों (आईटीआई/ पॉलिटेक्निक आदि)
द्वारा प्रदान किए जाने वाले सर्टिफिकेट /डिप्लोमा की ही जॉब मार्किट में वास्तव में वैल्यू होती है।
डिग्री: ग्रैजुएशन लेवल के कोर्सों को चलाने और सफलतापूर्वक पूरा करने पर स्टूडेंट्स को इस कोर्स की डिग्री प्रदान करने का अधिकार सिर्फ यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटीज़ को है।
कहीं आपको भी सुनना ना पड़ जाए
सर जी, आपकी ये डिग्री फर्जी है
जिस एजुकेशनल डिग्री की बदौलत आपका करियर बनता है, आपकी रोजी-रोटी चलती है, अगर वह फर्जी निकल आए तो आपका पूरा करियर ताक पर लग जाता है।
राजेश को एक निजी कंपनी ने उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया। इंटरव्यू अच्छा रहा और राजेश को जॉब मिल गई। राजेश ने सभी जरूरी सर्टिफिकेट कंपनी में एचआर में जमा करा दिए।
आर्किटेक्ट के रूप में काम करते हुए राजेश को 10 दिन हो चुके थे। सबकुछ अच्छा चल रहा था कि अचानक राजेश के ऑफिशल ई-मेल अकाउंट पर एचआर की तरफ से एक मेल आया कि डॉक्युमेंट से संबंधित कुछ समस्या है, आकर मिलें।
राजेश फौरन एचआर मैनेजर से मिलने पहुंचे। एचआर मैनेजर ने राजेश को देखते ही कहा कि आपकी डिग्री फर्जी है। जिस संस्थान से आपने आर्किटेक्ट की डिग्री ली है, उस संस्थान को यह कोर्स चलाने की इजाजत नहीं है। यह सुनते ही मानो राजेश के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।
एचआर मैनेजर ने कहा कि आपकी ग्रैजुएशन की डिग्री तो ठीक है लेकिन आर्किटेक्ट वाली डिग्री को हम नहीं मान सकते इसलिए आपको रिजाइन करना होगा। इसके बाद राजेश की जॉब चली गई। राजेश ने उस फर्जी संस्थान के खिलाफ लीगल ऐक्शन लेने की सोची तो पता चला कि कई और स्टूडेंट्स पहले
ही ऐसा कर चुके हैं। अब मामला कोर्ट में है। ऐसे हालात आपके साथ न हों, इसके लिए जरूरी है कि फर्जी संस्थानों की पहचान वक्त रहते कर लें।
भ्रामक विज्ञापनों की भाषा को समझें
ऐसे विज्ञापनों में कभी भी स्पष्ट तौर पर जानकारी नहीं दी जाती। ऐसी गुंजाइश जानबूझकर छोड़ दी जाती है जिसका मतलब अंदाजे से ही पाठक लगाते हैं। वे जाने-अनजाने गलतफहमी के शिकार हो जाते हैं। जैसे दावा किया जाता है कि मान्यता प्राप्त संस्थान है,
लेकिन यह नहीं स्पष्ट किया जाता कि किस कोर्स या किस ट्रेनिंग के लिए और कहां से मान्यता प्रदान की गई है। होता यही है कि विज्ञापन किसी कोर्स का होता है और रेकग्निशन यानी मान्यता किसी दूसरे कोर्स या ट्रेनिंग की मिली होती है।
रजिस्टर्ड और रेकग्निशन के फर्क को पहचानें
संस्था या ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट का रजिस्ट्रेशन होने का यह मतलब कतई नहीं लगाया जाना चाहिए कि सभी तरह के कोर्स चलाने के लिए उन्हें मान्यता मिली हुई है। ये दोनों बिलकुल अलग-अलग मुद्दे हैं।
यूनिवर्सिटी से अफिलीएशन की जांच है जरूरी
कई बार डिस्टेंस एजुकेशन या रेग्युलर टीचिंग पर आधारित कोर्स चलाने के लिए प्राइवेट इंस्टिट्यूट्स को विभिन्न यूनिवर्सिटीज़ से मंजूरी दी जाती है। जिसके तहत क्लास उक्त इंस्टिट्यूट द्वारा कराई जाती है और एग्जाम उस यूनिवर्सिटी द्वारा संचालित किया जाता है जिससे अफिलीएशन ली गई होती है।
ऐसे दावों की सचाई जानने के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा जारी ऑर्डर या नोटिफिकेशन की कॉपी मांगने से नहीं कतराना चाहिए। यह भी देख लें कि यह कॉन्ट्रैक्ट कब तक मान्य है। अगर फिर भी शक की गुंजाइश हो तो सीधे यूनिवर्सिटी से भी सच्चाई की जांच के लिए संपर्क किया जा सकता है।
कोरे आश्वासनों पर विश्वास न करें
यह भी देखने में आता है कि दस्तावेज मांगे जाने पर इंस्टिट्यूट का मैनेजमेंट आवेदन के कागजों का वह पुलिंदा दिखाता है, जिसे मान्यता प्राप्ति के लिए आवेदन के रूप में यूनिवर्सिटी या रेग्युलेटरी संस्थाओं के पास भेजा गया है। इस आधार पर वे विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं कि यूनिवर्सिटी उन्हें जल्द मान्यता
प्रदान की जाने वाली है। ऐसे आश्वासन अमूमन कोरे झूठ ही साबित होते हैं।
इंस्टिट्यूट की वेबसाइट से जानकारी लें
हरसंभव कोशिश करें कि नए संस्थानों के कोर्सों की तुलना में पुराने संस्थानों का चयन करें। इस बारे में शुरूआती जानकारी के लिए संस्थान की वेबसाइट उपयोगी हो सकती है। यह मानना कतई गलत नहीं होगा कि जितना ज्यादा पुराना संस्थान होगा, उसकी विश्वसनीयता भी उतनी ही ज्यादा होगी।
इंस्टिट्यूट का प्लेसमेंट रिकॉर्ड देखें
इंस्टिट्यूट के मैनेजमेंट से बीते बरसों के दौरान जॉब पाने वाले स्टूडेंट्स और जॉब देने वाली कंपनियों से संबंधित जानकारी लें और बकायदा इन कंपनियों से सच्चाई जानने की कोशिश करें। अगर जॉब संबंधी दावों में सच्चाई है तो उम्मीद रखनी चाहिए कि इंस्टिट्यूट की वैल्यू है।
‘यूनिवर्सिटी’ या ‘विश्वविद्यालय’ शब्द के बेजा इस्तेमाल को पहचानें
आम लोगों को बहकाने के लिए निजी संस्थाएं ‘यूनिवर्सिटी’ या ‘विश्वविद्यालय’ शब्द का इस्तेमाल अपने नाम के साथ करने लगती हैं। यूजीसी समय-समय पर ऐसी फर्जी यूनिवर्सिटीज़ या संस्थानों की सूची प्रमुख अखबारों और अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करती है। एडमिशन लेने से पहले एक बार इस सूची से जांच कर
लेनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने डिस्टेंस एजुकेशन वाली इंजीनियरिंग की डिग्रियां रद्द की
देश की चार डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ, इंस्टिट्यूट ऑफ अडवांस्ड स्टडीज़ इन एजुकेशन, राजस्थान, इलाहाबाद ऐग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी और विनायक मिशन रिसर्च फाउंडेशन, तमिलनाडु द्वारा 2005 के बाद के एकेडेमिक सेशंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स की डिग्रियों
को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले साल कैंसल कर दिया गया है। 2001-2005 के बैच में इंजीनियरिंग डिग्री पाने वाले छात्रों को AICTE द्वारा संचलित परीक्षा में शामिल होने को कहा गया है। ऐसा फैसला इसलिए हुआ क्योंकि इन यूनिवर्सिटीज़ ने संबंधित रेग्युलेटरी संस्थाओं से इस
कोर्स के आयोजन की स्वीकृति हासिल नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह फैसला सुनाया गया है कि कोई भी डीम्ड यूनिवर्सिटी डिस्टेंस एजुकेशन प्रणाली से 2018 से किसी भी तरह के कोर्स का संचालन नहीं कर सकती।
AICTE ने कई फर्जी टेक्निकल इंस्टिट्यूट के नामों की सूची जारी की गई है। इनके बारे में वेबसाइट aicte-india.org से जानकारी ले सकते हैं। देश में मौजूदा यूनिवर्सिटीज़ की क्वॉलिटी के पैमाने पर उनकी ग्रेडिंग करने का काम नैशनल असेसमेंट एंड अक्रेडटैशन काउंसल
(एनएएसी) द्वारा किया जाता है। इसे यूजीसी फाइनैंशल मदद देती है। यह एक ऑटोनोमस एजेंसी है। खासतौर पर हायर एजुकेशन से संबंधित यूनिवर्सिटीज़ की ग्रेडिंग से उनकी क्वॉलिटी का अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है। यूनिवर्सिटी वेबसाइट पर भी एनएएसी की ग्रेडिंग देखी जा सकती है।
20 जून को “अस्तित्व टाइम्स” द्वारा फर्जी डिग्री एवं संस्थानों की पहचान के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी, आप भी astitvatimes.com पर जाकर चेक कर सकते हैं।