बस्तियों के खिलाफ़ हो रही कार्यवाही को रोकने की मांग को लेकर मजदूर यूनियनो का धरना 11 मई को

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बस्तियों के खिलाफ़ हो रही कार्यवाही को रोकने की मांग को लेकर मजदूर यूनियनो का धरना 11 मई को
 
देहरादून। उत्तरांचल प्रेस क्लब देहरादून में आयोजित प्रेसवार्ता में राज्य के मज़दूर संगठनों ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार की जन विरोधी नीतियों एवं लापरवाही की वजह से बस्तियों में रहने वाले मज़दूर एवं गरीब परिवारों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं। जबकि सरकार को पता है कि मलिन बस्ती में रहने वाले इन गरीब परिवारों के लिए कोई और विकल्प नहीं है, फिर भी जानबूझकर अदालत में जारी याचिकाओं और अपने कानूनी फर्ज़ पर लापरवाही कर सरकार उन्ही याचिकाओं के बहाने सैकड़ों परिवारों को बेघर करना चाह रही है। उन्होंने कहा कि लापरवाही यहाँ तक रही कि हाज़िर न होने के कारण अदालत द्वारा विभागों पर जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने कहा कि उजाड़ने के लिए एक सप्ताह में शहर का सर्वेक्षण कराने वाली सरकार मालिकाना हक़ और घर देने के लिए आठ साल में देहरादून के अधिकांश बस्तियों का सर्वेक्षण नही कर पायी है। बड़े जन आंदोलन के बाद 2018 में अध्यादेश ला कर सरकार ने कानून द्वारा ही आश्वासन दिया था कि तीन साल के अंदर मज़दूर बस्तियों के लिए स्थायी व्यवस्था बनाई जाएगी, लेकिन वह कानून अभी जून 2024 में ख़त्म होने जा रहा है और सरकार एक भी बस्ती में रहने वाले इन गरीबों के लिए व्यवस्था नहीं बनाई गई है। उसी कानून के आधार पर लोगों को झूठा दिलासा दिया जा रहा है कि जो 11 मार्च 2016 से पहले के बसे हुए हैं, उनके घर सुरक्षित है, जबकि जून महीने के बाद उनके घर भी खतरे में आयेंगे। क्योंकि अगले जून महीने में अध्यादेश की समय सीमा समाप्त हो रही है। इसी प्रकार की लापरवाही और जन विरोधी मानसिकता हर मोर्चे पर दिख रही है। शहर में वेंडिंग जोन को न घोषित कर ठेली वालों को “अतिक्रमणकारी” दिखाया जा रहा है, और मज़दूर के लिए बनाई गई कल्याणकारी योजनाओं के अमल पर बार बार रोक लगाई जा रही है।

प्रेस वार्ता में मौजूद संगठनों ने कहा कि बस्तियों में बसे इन गरीब परिवारों को बेघर करने की प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाई जाये, जब तक बस्तियों में रहने वाले इन गरीब मजदूरों के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक 2018 के कानून को एक्सटेंड किया जाये। अतिक्रमण हटाने के नाम पर किसी को बेघर नहीं किया जाये, इसके लिए सरकार द्वारा कानून लाया जाये, अपने ही वादों को निभाते हुए सरकार इन गरीब मजदूरों के लिए किफायती घरों की व्यवस्था करे।

उन्होंने कहा कि राज्य के शहरों में आवश्यकता के अनुसार वेंडिंग जोन घोषित किये जाये;

गरीब परिवारों के लिए राशन, कल्याणकारी योजनाओं और बुनियादी स्वास्थ सुविधा उपलब्ध कराया जाये;

श्रमिक विरोधी चार नए श्रम संहिता को रद्द किया जाये और न्यूनतम वेतन को 26,000 रूपए किया जाये;

इन सभी मांगों को ले कर आगामी 11 मई शनिवार को धरना प्रदर्शन करने के साथ ही नगर निकाय चुनाव से पहले हर बस्ती में अभियान भी चलाया जायेगा।

प्रेसवार्ता को चेतना आन्दोलन के शंकर गोपाल, INTUC के प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट और उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र रावत, AITUC के राज्य उपाध्यक्ष समर भंडारी और राज्य सचिव अशोक शर्मा; CITU के राज्य सचिव लेखराज ने भी सम्बोधित किया।