गरीबों पर सितम अमीरों पर रहम! महिलाओं ने सरकार की नीयत पर उठाए सवाल

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देहरादून। राजधानी देहरादून में बस्तीवासियो ने सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच किया। कई मजदूर बस्तियों से आईं महिलाओं ने मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च कर सरकार से अपने ही वादों को निभाने की मांग की। हाथी बड़कला के पास रोकी गईं इन महिलाओं ने ज्ञापन सौंपते हुए आरोप लगाया कि प्रशासन 873 मकानों को गिराने की तैयारी में है, जबकि नगर निगम चुनाव के दौरान 17 जनवरी को स्वयं मुख्यमंत्री धाकड़ धामी ने वोट मांगते हुए सार्वजनिक रूप से कहा था कि “भाजपा सरकार देहरादून में एक भी मलिन बस्ती को नहीं टूटने देगी।”

देहराखास, काठ बांग्ला, गांधीग्राम, सिंघल मंडी, हैप्पी एन्क्लेव, गब्बर बस्ती, चिड़ोवाली समेत कई बस्तियों से आईं महिलाओं ने रोते हुए कहा कि उन्हें बेवजह नोटिस थमाए जा रहे हैं, जबकि नदी के बीच बने होटल, रेस्टोरेंट और सरकारी इमारतों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन उच्च न्यायालय के आदेशों का दुरुपयोग कर रहा है, जो केवल नदी के प्रवाह में रुकावट को लेकर थे, लेकिन निशाना आम गरीब लोगों को बनाया जा रहा है।

महिलाओं ने यह भी कहा कि प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना ने लोगों में दहशत फैला दी है। 6200 करोड़ की इस परियोजना से हजारों मकान उजड़ सकते हैं और जो नहीं उजड़ेंगे, वे धूल और शोर के बीच रहने को मजबूर होंगे। ज्ञापन में उन्होंने इस धन को सार्वजनिक परिवहन, ट्रैफिक सिग्नलों की मरम्मत और गरीबों के लिए आवास योजनाओं पर खर्च करने की मांग की है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या पार्षद, विधायक या अन्य भाजपा प्रतिनिधि गरीबों के हक़ में मुख्यमंत्री तक अपनी बात भी नहीं पहुँचा सकते?

प्रशासन जहां बिंदाल नदी में बसे गरीबों के खिलाफ ठोस कार्यवाही करते हुए 30 जून तक अतिक्रमण हटाने की तैयारी कर रहा है, वहीं सहस्त्रधारा एवं ऋषिकेश क्षेत्र में भूमाफियाओं द्वारा किए जा रहे अवैध कब्जों को हटाने में हीला हवाली भूमाफियाओं से मिलीभगत दर्शाता है, इन भूमाफियाओं से सहस्त्रधारा क्षेत्र के कई लोग त्रस्त हैं, खास बात यह है कि इन पर गैंगस्टर एक्ट में कार्यवाही होने के बावजूद यह लोग कुछ सरकारी कारिंदो की मदद से निरंतर अपने अवैध कार्यों को अंजाम दे रहे हैं

देहरादून। राजधानी देहरादून में बिंदाल नदी में हुए अतिक्रमण को लेकर हाइकोर्ट में सुनवाई हुई। जिसमे सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया की चिह्नित अतिक्रमणों को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। बिंदाल नदी से 30 जून से पहले अतिक्रमण पूरी तरह से हटा लिया जाएगा।

बता दें कि हाईकोर्ट ने देहरादून में जल धाराओं, जल स्रोतों और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर दायर तीन जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने सभी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई की तिथि चार सप्ताह बाद तय की है। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि चिह्नित अतिक्रमणों को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

वहीं, प्रशासन ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि बिंदाल नदी से 30 जून से पहले अतिक्रमण पूरी तरह से हटा लिया जाएगा। पूर्व में अदालत ने सरकार को निर्देश दिए थे कि राज्य में नदियों, नालों और गधेरों में जहां भी अतिक्रमण हुआ है, उन्हें चिह्नित कर हटाया जाए। इसके साथ ही उन स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं ताकि निगरानी की जा सके। यह व्यवस्था ठीक उसी प्रकार होनी चाहिए जैसे सड़क दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में की जाती है।

अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देशित किया था कि संबंधित थाना प्रभारियों को आदेश जारी करें कि जहां-जहां ऐसे अतिक्रमण हो रहे हैं, वहां संबंधित अतिक्रमणकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करें। साथ ही, कोर्ट ने शहरी विकास विभाग के सचिव को भी आदेश दिए थे कि वे राज्य के नागरिकों को जागरूक करने को यह संदेश प्रकाशित करें कि नदियों, नालों व गधेरों में अतिक्रमण, मलबा फेंकने और अवैध खनन जैसी गतिविधियां न करें, ताकि मानसून सीजन में किसी भी तरह की दुर्घटना से बचा जा सके।

यह याचिकाएं देहरादून निवासी अजय शर्मा, रेनू पाल की ओर से दायर की गई हैं। अजय शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि सहस्त्रधारा क्षेत्र में जलमग्न भूमि पर भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। अवैध रूप से पहाड़ काटकर मलबा नदी में डाल अवैध कब्जे किये जा रहे हैं। जिससे जल स्रोतों के सूखने और पर्यावरण को खतरा पैदा होने की आशंका है। दूसरी याचिका में रेनू पाल ने ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांगों पर किए गए अतिक्रमण व अवैध निर्माण का मुद्दा उठाया है। याचिका में विशेष रूप से बिंदाल और रिस्पना नदियों पर हुए अतिक्रमण को हटाने की मांग की गई है।