वार्ड 41 से दो बार की भाजपा पार्षद आशा ओमेंद्र भाटी ने भाई किया निर्दलीय नामांकन
देहरादून। उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव के लिए सियासी माहौल गर्मा गया है, और राजनीतिक दलों के नेताओं के बगावत करने से उनके लिए मुसीबतें बढ़ गई हैं। भारतीय जनता पार्टी में भी बगावत की शुरुआत हो गई है। कई नेता जो टिकट से वंचित रह गए हैं, वे निर्दलीय चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं, जिससे पार्टी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी की ओर से इन बागी नेताओं को मनाने के प्रयास भी जारी हैं, लेकिन स्थिति को संभालना पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है।
राजधानी देहरादून के कई वार्डों में भाजपा से बगावत करते हुए सहसपुर के पूर्व ब्लॉक प्रमुख विपिन कुमार ने टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से इस्तीफा दे दिया और सोमवार को वार्ड 91 चंद्रबनी से अपनी पत्नी का निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल करा दिया है। उनकी पत्नी श्रीमती राखी विपिन ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरा, जिससे वार्ड में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
वार्ड 41 से दो बार की भाजपा पार्षद आशा भाटी ने भी टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय नामांकन दर्ज कराया है। प्रेस क्लब में उन्होंने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि कुछ वर्ष पहले ही मुरादाबाद से आकर यहां बसे व्यक्ति को पार्टी ने टिकट दिया है। जबकि उनका परिवार में जन्मजात भाजपाई है। आशा भाटी के प्रति ओमेंद्र भाटी भी इसी वार्ड से एक बार पार्षद रह चुके हैं। ओमेंद्र भाटी का कहना है कि पार्टी प्रत्याशी से सिंबल वापस लेकर सीट को ओपन छोड़े। पत्रकार वार्ता के दौरान ओमेंद्र भाटी फफक फफक कर रो पड़े। इस दौरान बड़ी संख्या में उनके साथ सीमा तोमर, बूथ अध्यक्ष रूबी गोयल, मधु टुटेजा, शक्ती केंद्र संयोजक बीके कमल, स्नेहल बूथ अध्यक्ष, विनीत अग्रवाल, सुनीता धीमान, हरेंद्र सिंह चौधरी, मोनिका वर्मा, अशेक कुमार, मनील नेगी, भीम सिंह वर्मा, रेखा तोमर, तरुण त्यागी, सुधीर भाटी, अल्पेश कुमार, दीक्षा, दीपक, अरुण कुमार, आदी समर्थक मौजूद थे।
इसी तरह वार्ड नंबर 04 राजपुर से टिकट नहीं मिलने पर महिमा पुंडीर ने भी भाजपा को अलविदा कहते हुए नामांकन पत्र जमा कर भाजपा विशेषकर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की मुसीबत को बढ़ा दिया है। महिमा पुंडीर के जेठ सहस्त्रधारा रोड़ चालग ग्राम पंचायत से प्रधान रहे समीर पुंडीर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के काफी करीब होने के कारण अपनी बहू का टिकट मानकर पिछले काफी समय से वार्ड में चुनाव की तैयारी कर रहे थे।
नगर निगम के वार्ड 80 रेस्ट कैंप से वरिष्ठ भाजपा नेता राजकुमार कक्कड़ ने भी टिकट नहीं मिलने पर अपनी पत्नी का निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन कराया है। उनका कहना है कि वह पिछले लंबे समय से पार्टी की सेवा कर रहे थे परंतु पार्टी ने उनकी सेवा को नजरअंदाज किया है। जिसके बाद क्षेत्र वासियों की मांग पर उन्होंने अपनी पत्नी का निर्दलीय नामांकन कराया है और वह मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगे।
वार्ड नंबर 90 मोहब्बेवाला से भी भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता ईश्वर सिंह (नेगी प्रधान जी) ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया है। उनका कहना है कि वह लंबे समय से पार्टी की सेवा करते आ रहे हैं परंतु पार्टी ने उनकी विशेषता को नजरअंदाज करते हुए अनदेखी किए इसके बाद उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में मैदान में उतारने का फैसला किया है।
नगर निकाय चुनाव के दौरान बगावती उम्मीदवारों का बढ़ता असर दोनो प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि जिन नेताओं को पार्टी ने टिकट नहीं दिया, वे निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरकर पार्टी के लिए नई समस्याएं खड़ी कर रहे हैं। वहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेता बगावती उम्मीदवारों को मनाने में जुटे हैं, ताकि चुनावी मुकाबला मजबूती से लड़ा जा सके।