देहरादून। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा, परिषद् के तत्वावधान में बुधवार को राजभाषा हिंदी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में निदेशक (राजभाषा), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार सत्य प्रकाश मुख्य अतिथि रहे। कार्यशाला में डॉ. सुधीर कुमार, उपमहानिदेशक (विस्तार) एवं डॉ. गीता जोशी, सहायक महानिदेशक (मीडिया एवं विस्तार) मंच पर उपस्थित रहे। इसके साथ ही परिषद् (मुख्यालय) के विभिन्न प्रभागों एवं कार्यालयों के अधिकारियों व कर्मचारियों ने भी इस कार्यशाला में प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि सत्य प्रकाश ने हिंदी के राजभाषा बनाए जाने के विकासक्रम पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राष्ट्र निर्माण के पाँच प्रमुख तत्व होते हैं जिसमें से एक राजभाषा होती है। राजभाषा किसी भी राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। उन्होंने विभिन्न राजभाषा अधिनियमों, नियमों पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए संसदीय राजभाषा समिति की महत्ता का भी उल्लेख किया।
प्रकाश ने कार्यालयीन हिंदी के विभिन्न आयामों यथा पत्राचार, टिप्पणियों, अनुवाद आदि में प्रचलित एवं सहज शब्दों के प्रयोग पर बल दिया। उन्होंने यह भी बताया कि कार्यालय में भाषा को संप्रेषण का माध्यम बनाना चाहिए न कि पाण्डित्य प्रदर्शन का। कार्यालयीन परिवेश में अनुवाद पर विशेष बल देते हुए उन्होंने कहा कि शब्दानुवाद से बचा जाना चाहिए। उन्होंने अनुवाद में संदर्भ को विशेष ध्यान में रखते हुए शब्दों का प्रयोग सावधानी पूर्वक करने का सुझाव दिया।
कार्यशाला के अंत में सहायक महानिदेशक (मीडिया एवं विस्तार) डॉ. गीता जोशी ने मुख्य अतिथि सत्य प्रकाश का धन्यवाद किया। इसके साथ ही उन्होंने सभी प्रतिभागियों का भी धन्यवाद ज्ञापित किया।