युवा नेता: कुर्ता सफेद, गाड़ी सफेद… लेकिन कमाई काली.?

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सावधान
आपका लाल गलत संगत में है! सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।

अवधेश नौटियाल
राजनीति में इन दिनों युवा नेताओं की एक नई फौज उभर रही है। यह देखना सुखद होना चाहिए था कि नई पीढ़ी राजनीति में कदम रख रही है, लेकिन तस्वीर उतनी साफ और उजली नहीं है। आज का युवा नेता सफेद कुर्ता-पायजामा पहनकर, महंगी सफेद गाड़ियों में घूमता है। आंखों पर काला चश्मा, हाथ में महंगा मोबाइल, पैरों में ब्रांडेड जूते और कभी-कभी कमर में पिस्तौल यही उसकी पहचान बन गई है।

दुखद यह है कि यह छवि मेहनत, ईमानदारी और जनता की सेवा से नहीं बन रही, बल्कि गलत तरीकों से। कई बार परिवार को भी नहीं पता चलता कि उनके बेटे के पास इतना पैसा आया कहां से। अचानक से आलीशान गाड़ियां, फार्म हाउस और समर्थकों की भीड़ दिखने लगती है। राजनीति का यह नया रूप, जहां नाम, शोहरत और पैसा कमाने की होड़ है, समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

उत्तराखंड में यह प्रवृत्ति अन्य राज्यों की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से फैल रही है। छोटे-छोटे गांवों और कस्बों से निकले युवा नेता, जिनकी उम्र समाज सेवा की है, वे अपराध, छल और दिखावे के रास्ते पर चलकर सत्ता की सीढ़ी चढ़ना चाहते हैं। असली नेतृत्व जनता की समस्याओं को समझने, समाधान देने और पारदर्शिता से राजनीति करने में है। लेकिन मौजूदा समय में सवाल उठता है यह युवा नेतृत्व है या युवा लूट?

सावधान!
अगर आपका युवा पुत्र, भाई, भतीजा, भांजा या पोता अचानक ऐसे तथाकथित नेताओं की संगत में दिखे जिनके पास दो-दो मोबाइल हों (जिसमें एक आईफोन हो), सफेद कुर्ता या शर्ट के साथ जीन्स पहनते हों, ब्रांडेड सैंडल या कोल्हापुरी चप्पल डालते हों, गले में नकली/असली सोने, रुद्राक्ष या स्फटिक की माला पहने हों, SUV में चलते हों और फेसबुक पर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के साथ फोटो का अंबार लगा हो तो सतर्क हो जाइए!

ध्यान दीजिए अगर वह हर पांच मिनट में फोन चेक करे, बार-बार कॉल आए और यह कहे “मैं कल वहां जा रहा हूँ” या “आपका काम हो जाएगा, फाइल निपट गई समझिए” तो समझ लीजिए, वह गलत रास्ते पर है।

आपका लाल गलत संगत में है।
सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।

सावधान
आपका लाल गलत संगत में है! सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।

अवधेश नौटियाल
राजनीति में इन दिनों युवा नेताओं की एक नई फौज उभर रही है। यह देखना सुखद होना चाहिए था कि नई पीढ़ी राजनीति में कदम रख रही है, लेकिन तस्वीर उतनी साफ और उजली नहीं है। आज का युवा नेता सफेद कुर्ता-पायजामा पहनकर, महंगी सफेद गाड़ियों में घूमता है। आंखों पर काला चश्मा, हाथ में महंगा मोबाइल, पैरों में ब्रांडेड जूते और कभी-कभी कमर में पिस्तौल यही उसकी पहचान बन गई है।

दुखद यह है कि यह छवि मेहनत, ईमानदारी और जनता की सेवा से नहीं बन रही, बल्कि गलत तरीकों से। कई बार परिवार को भी नहीं पता चलता कि उनके बेटे के पास इतना पैसा आया कहां से। अचानक से आलीशान गाड़ियां, फार्म हाउस और समर्थकों की भीड़ दिखने लगती है। राजनीति का यह नया रूप, जहां नाम, शोहरत और पैसा कमाने की होड़ है, समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

उत्तराखंड में यह प्रवृत्ति अन्य राज्यों की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से फैल रही है। छोटे-छोटे गांवों और कस्बों से निकले युवा नेता, जिनकी उम्र समाज सेवा की है, वे अपराध, छल और दिखावे के रास्ते पर चलकर सत्ता की सीढ़ी चढ़ना चाहते हैं। असली नेतृत्व जनता की समस्याओं को समझने, समाधान देने और पारदर्शिता से राजनीति करने में है। लेकिन मौजूदा समय में सवाल उठता है यह युवा नेतृत्व है या युवा लूट?

सावधान!
अगर आपका युवा पुत्र, भाई, भतीजा, भांजा या पोता अचानक ऐसे तथाकथित नेताओं की संगत में दिखे जिनके पास दो-दो मोबाइल हों (जिसमें एक आईफोन हो), सफेद कुर्ता या शर्ट के साथ जीन्स पहनते हों, ब्रांडेड सैंडल या कोल्हापुरी चप्पल डालते हों, गले में नकली/असली सोने, रुद्राक्ष या स्फटिक की माला पहने हों, SUV में चलते हों और फेसबुक पर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के साथ फोटो का अंबार लगा हो तो सतर्क हो जाइए!

ध्यान दीजिए अगर वह हर पांच मिनट में फोन चेक करे, बार-बार कॉल आए और यह कहे “मैं कल वहां जा रहा हूँ” या “आपका काम हो जाएगा, फाइल निपट गई समझिए” तो समझ लीजिए, वह गलत रास्ते पर है।

आपका लाल गलत संगत में है।
सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।