पंचायत चुनाव (UP Panchayat election) को लेकर अभी से ग्रामीण इलाकों में माहौल बनाने का काम शुरू हो गया है. प्रधान पद से लेकर बीडीसी मेंबर और जिला पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशी अपने-अपने दावों को लेकर वोटरों के चबूतरों पर समय देने लगे हैं. इस बीच, निर्वाचन आयोग (election commission) की ओर से प्रत्याशियों के लिए एक सुकून भरी खबर मिल रही है. सूत्रों की मानें तो इस बार राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों की जमा कराई जाने वाली जमानत राशि के साथ ही चुनावी खर्च (election expenses limit) के दायरे को नहीं बढ़ाए जाने का फैसला किया है. बताया जा रहा है कि जो जमानत धनराशि पिछले चुनाव के दौरान विभिन्न पदों के लिए निर्धारित की गई थी, उसे ही इस बार भी बरकरार रखा जाएगा. खर्च की सीमा में भी कोई बदलाव नहीं किए जाने के संकेत मिले हैं.
बताया गया है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने जो इस बार जमानत धनराशि और खर्च सीमा का निर्धारण किया है, उसमें पहले की ही व्यवस्था को बरकरार रखा गया है. जिला पंचायतीराज विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ने वाले लोगों को 2 हजार रुपये जमानत धनराशि जमा करनी होगी. इसके साथ ही सदस्य ग्राम पंचायत को 500 रुपये, क्षेत्र पंचायत सदस्य को 2 हजार रुपये और जिला पंचायत सदस्य के लिए 4 हजार रुपए जमानत राशि जमा करनी होगी. वहीं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग व महिला प्रत्याशी को सामान्य के लिए निर्धारित की गई जमानत राशि का आधा ही जमा करना होगा.
निर्वाचन आयोग ने चुनावी खर्च की सीमा भी तय कर दी गई है. जो लोग चुनाव लड़ेंगे, उनमें प्रधान पद के प्रत्याशियों के लिए 75 हजार रुपये, सदस्य ग्राम पंचायत के लिए 10 हजार, क्षेत्र पंचायत 75 हजार और जिला पंचायत सदस्य पद के लिए सर्वाधिक डेढ़ लाख रुपए चुनाव के दौरान खर्च करने की गाइडलाइन तैयार की गई है. बताया गया है कि प्रत्याशी का खर्च नामांकन करने के बाद से ही जोड़ा जाना शुरू हो जाएगा. आयोग की ओर से जारी निर्देशों के तहत नामांकन से लेकर परिणाम घोषित होने तक हुए व्यय का लेखा-जोखा प्रत्याशी को तैयार रखना होगा. परिणाम घोषित होने के तीन माह के भीतर खर्च का ब्योरा प्रत्याशी प्रस्तुत करेंगे. निर्वाचन आयोग की ओर से पहले की तरह ही इस व्यवस्था को कायम रखा गया है. अभी तक इसमें नया किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है.