राज्यसभा में BJP और मजबूत, 38 सीटों के साथ कांग्रेस न्यूनतम पर पहुंची

306


उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राज्यसभा की 11 सीटों के लिए निर्विरोध निर्वाचन के बाद उच्च सदन में 92 सांसदों के साथ भाजपा और मजबूत हो गई है। दूसरी तरफ, विपक्षी कांग्रेस और घटकर 38 सीटों पर आ गई है। भाजपा की यह सदस्य संख्या उसकी अभी तक की सर्वोच्च संख्या है। हालांकि, उच्च सदन में एनडीए का बहुमत तक पहुंचना अभी दूर है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की 11 राज्य सभा सीटों के लिए हुए चुनाव में उत्तर प्रदेश की 10 और उत्तराखंड की एक सीट शामिल थी। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा में अपनी सदस्य संख्या के हिसाब से आठ उम्मीदवार उतारे थे। वे सभी चुनकर आए हैं। इनमें तीन केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, सांसद अरुण सिंह और नीरज शेखर फिर से चुने गए हैं। यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल, हरिद्वार दुबे, गीता शाक्‍य, सीमा द्विवेदी और बीएल वर्मा भी चुने गए हैं। हरिद्वार दुबे भाजपा के पूर्व मंत्री रहे हैं।
वहीं, गीता शाक्य पूर्व प्रदेश मंत्री और सीमा द्विवेदी पूर्व विधायक हैं। सपा ने अपने नेता रामगोपाल यादव को उतारा था और वे भी चुने गए हैं। एक सीट पर बसपा से रामजी गौतम निर्विरोध चुने गए हैं। उत्तर प्रदेश से अब उच्च सदन में कांग्रेस के पास एक सांसद रह गया है। उत्तराखंड की एकमात्र सीट भी भाजपा को मिली है। सभी सदस्यों का कार्यकाल 25 नवंबर 2020 से 24 नवंबर 2026 तक रहेगा। राज्‍यसभा में उत्‍तर प्रदेश से 31 सीटें हैं। इनमें अब सर्वाधिक 22 सीटें अब भारतीय जनता पार्टी के पास हो गई हैं। समाजवादी पार्टी के पास पांच और बसपा के खाते में तीन सीटें रहेंगी। 
गौरतलब है कि लोकसभा में भाजपा के पास अपना बहुमत है और एनडीए के साथ वह काफी मजबूत है। राज्यसभा में भी भाजपा लगातार मजबूत होती जा रही है। हालांकि, उसके पास अपना या एनडीए का बहुमत नहीं है, लेकिन कई मामलों पर अन्नाद्रमुक, बीजद, टीआरएस और वाईएसआरसीपी जैसे दल उसको समर्थन देते हैं, जिससे उसके पक्ष में आसान बहुमत हो जाता है। 17वीं लोकसभा में सरकार को इसी वजह से राज्यसभा में कोई दिक्कत नहीं हो रही है, जबकि 16वीं लोकसभा के दौरान कई मुद्दों पर उसे विपक्ष से कड़ी चुनौती मिली थी। इन नतीजों के बाद राज्यसभा में सरकार और मजबूत हुई है। कांग्रेस खुद कम हो रही है और उसके सहयोगी भी घट रहे हैं। भाजपा के समर्थक दलों और भाजपा एवं कांग्रेस से समान दूरी रखने वाले दलों की संख्या के सामने विपक्ष की संख्या काफी कम रह जाती है।
दस सीटों के लिए 11 नामांकन
10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवारों ने नामांकन किए थे। नामांकन दाखिल करने के अंतिम समय में सपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर प्रकाश बजाज ने नामांकन कर दिया था। इससे मुकाबला रोचक हो गया था। वहीं बसपा के उम्मीदवार रामजी गौतम के चार प्रस्तावों द्वारा नाम वापस लेने की बात कहने पर प्रक्रिया में सियासी मोड़ आ गया था। अंत में प्रकाश बजाज के नामांकन पत्रों में एक प्रस्तावक का नाम गलत होने पर उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था। ऐसे में दस सीट के लिए सभी दस उम्मीदवार ही बचे थे, लिहाजा सोमवार को नामांकन वापसी का समय बीतने के बाद सभी को निर्विरोध निर्वाचित कर दिया गया।