रिस्पना नदी किनारे फ्लड जोन में अतिक्रमण पर लटकी कार्रवाई की तलवार

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एनजीटी ने मुख्य सचिव को दो माह में प्रक्रिया पूरी करने को कहा

देहरादून। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) में रिस्पना नदी के किनारे फ्लड जोन मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान NGT के न्यायाधीश ने प्रदेश के मुख्य सचिव को रिस्पना नदी के फ्लड जोन में अतिक्रमण चिह्नित करने की प्रक्रिया दो माह के भीतर पूरी करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को हुई सुनवाई में नगर निगम ने अपना पक्ष रखा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

प्रशासन ने 100 साल बाद तक आने वाली बाढ़ अनुमान के आधार पर फ्लड जोन का दायरा तय किया है। अब इस दायरे में आने वाले भवन और अन्य निर्माण चिह्नित किए जाएंगे। अधिकारियों के मुताबिक बड़ी संख्या में नदी के दोनों किनारों पर बने मकानों पर कार्रवाई की तलवार लटक सकती है। उधर, जिलाधिकारी सविन बंसल की ओर से इसकी अधिसूचना हाल ही में जारी कर दी गई है। लोगों से 60 दिन के भीतर आपत्ति मांगी गई है।

नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि एनजीटी के आदेश के मुताबिक संबंधित विभाग के स्तर से प्रक्रिया पूरी की जाएगी। एनजीटी के आदेशानुसार, जिला प्रशासन रिस्पना नदी का फ्लड जोन घोषित कर चुका है। फ्लड जोन में रिस्पना के उद्गम शिखर फॉल से लेकर मोथरोवाला संगम स्थल नदी के दोनों तरफ के क्षेत्र को शामिल किया गया है।

मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की ओर से वर्ष 2041 तक के लिए जो मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, उसमें नियोजन विभाग के अधिकारियों ने सुझाव दिया था कि रिस्पना नदी के किनारे जो मकान फ्लड जोन के दायरे में आ रहे हैं, उन्हें शिफ्ट किया जाना चाहिए। ताकि, भविष्य में कोई नुकसान नहीं हो और लोग सुरक्षित रहें।

यह इलाके हैं शामिल
मकड़ेत गांव, हतडीवाला, वीरगीरवाली, कैरवान करनपुर, चालंग, ढाकप‌ट्टी, तरलानागल, किशनपुर, धोरणखास, जाखन, चीड़ोवाली, कडोली, अधोईवाला, धर्मपुर डालनवाला, धर्मपुर, अजबपुर, इंद्रपुर, केदारपुर, मोथरोवाला के रिस्पना से लगे इलाके फ्लड जोन घोषित किए गए हैं।