देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इतिहास रच दिया है. उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी का बिल पेश कर दिया गया है. इसके साथ ही विधानसभा की कार्रवाई दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है. शुरुआती कार्रवाई के बाद तकरीबन साढ़े ग्यारह बजे के आसपास सीएम धामी सदन में खड़े हुए. उन्होंने एक लाइन का प्रस्ताव सदन में पढ़ा। सीएम ने सदन के सामने समान नागरिक संहिता कानून का प्रस्ताव पेश किया. इसके तुरंत बाद बीजेपी विधायकों ने सदन में ही नारे लगाने शुरु कर दिए. हालांकि इसके तुरंत बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। अनुसूचित जनजाति को यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) से बाहर रखा गया है। जिसके बाद इस पर सवाल खड़ा हो गया है। जानकारी के मुताबिक़ जौनसार जनजाति क्षेत्र के कई हिस्सों में एक पत्नी के एक से अधिक पति होने की परम्परा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। हालंकि समय के साथ ही इसका प्रचलन कम हो गया है।
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने आज 6 जनवरी 2024 को विधानसभा के विशेष सत्र में समान नागरिक संहिता संबंधी विधेयक पेश कर दिया है . इससे संबंधित ड्राफ्ट बीते दिनों यूसीसी कमेटी ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपा था. आइए हम आपको उन सवालों के जवाब बताते हैं कि राज्य में यूसीसी लागू होने से क्या बदलेगा और क्या नहीं? और इसका आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा-
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता
सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी
– पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार
– लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी
– लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा
– लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार
– महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं
– अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर
– बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं
– शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं
– उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक
हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून
– जो कानून एक के लिए, वही दूसरों के लिए भी
– बिना तलाक एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे
UCC से क्या नहीं बदलेगा ?
– धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं
– धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं
– ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे
– खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं
बीजेपी ने किया था चुनावी वादा
वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में यूसीसी पर अधिनियम बनाकर उसे प्रदेश में लागू करना भी शामिल था. वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड राज्य में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने का इतिहास रचने के बाद भाजपा ने मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी थी।