सरकारी भूमि पर कब्जे के मामले में कोचर एंड कंपनी के खिलाफ विजिलेंस जांच के बाद आरोपपत्र दाखिल

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एमडीडीए के रिटायर्ड कार्मिकों तक पहुंची जांच की आंच, तत्कालीन कार्मिकों के साथ मिलकर सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे का है आरोप

देहरादून। कोचर कॉलोनी में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा विजिलेंस को मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मिलने के बाद कोचर दंपति एवं तत्कालीन एमडीडीए लेखपाल पर कड़ा शिंकजा कस गया है।

जानकारी के अनुसार, थाना सतर्कता सैक्टर देहरादून पर पंजीकृत मु0अ0सं0- 08 / 2022 धारा 13 ( 1 ) सी सपठित धारा 13 (2) भ्र०नि०अधि0 1988 एवं धारा 420/466/468/471 व धारा 120बी आईपीसी बनाम तत्कालीन राजस्व विभाग / नगर निगम / एमडीडीए में नियुक्त अधिकारी / कर्मचारीगणों व सतपाल कोचर व उसकी पत्नी श्रीमती कृष्णा कोचर के विरूद्ध दिनांक 30.06.2022 को इस आशय का पंजीकृत हुआ कि सतपाल कोचर व श्रीमती कृष्णा कोचर ने तत्कालीन राजस्व विभाग / नगर निगम / एमडीडीए के कार्मिकों के साथ मिलकर साजकर मौजा जाखन (कोचर कॉलोनी) में अपने नाम दर्ज भूमि लगभग 30 बीघा का लेआउट प्लान तैयार कर, बैनामा कर कोचर कॉलोनी से लगी हुई राज्य सरकार की भूमि को अवैध रूप से कब्जा कर भूखण्डों में आने जाने के रास्ते छोड़ते हुए विक्रय किया।

दौराने विवेचना मौजा जाखन की सरकारी भूमि जिसका कुल क्षेत्रफल 4.998 हेक्टेयर है, में से 0.898 हेक्टेयर (लगभग 11/2 बीघा) भूमि पर अवैध कब्जा होना पाया। विवेचना से उक्त 112 बीघा भूमि में 18 सम्पत्तियाँ ( निर्मित भवन / बाउन्ड्री) होना पाया, जिनके भू-स्वामियों के पास बैनामे सतपाल कोचर व श्रीमती कृष्णा कोचर के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि से सम्बन्धित पाये। इस प्रकार उपरोक्त राज्य सरकार की भूमि (लगभग 11/2 बीघा) को सतपाल कोचर व श्रीमती कृष्णा कोचर ने तत्कालीन राजस्व, नगर निगम व एमडीडीए के कार्मिकों के साथ सांठगांठ कर विक्रय कर अनुचित लाभ अर्जित किया। लेआउट प्लान सिटी बोर्ड देहरादून व चीफ टाउन कन्ट्री प्लानर उत्तर प्रदेश लखनऊ में दर्ज होना नहीं पाया गया।
राज्य सरकार की भूमि में निर्मित चार भवन से सम्बन्धित सतपाल कोचर द्वारा विक्रय की गयी भूमि खसरा नं0 45 का दाखिल खारिज में भूस्वामित्व की रिपोर्ट तत्कालीन लेखपाल श्री खुशाल सिंह राणा द्वारा बैनामें में उल्लेखित रास्तों के क्षेत्रफल का उल्लेख न करते हुये आरोपी सतपाल कोचर के नाम पूर्ण भूमि होने का उल्लेख किया है। तत्कालीन लेखपाल राजेन्द्र डबराल द्वारा एमडीडीए के प्रबन्धन में निहित भूमि खसरा नं0 47 को नजरअंदाज करते हुये भू-स्वामित्व की रिपोर्ट मानचित्र स्वीकृत हेतु प्रेषित की थी, जिसके आधार पर भवनों के मानचित्र स्वीकृत हुये एवं भवनों का निर्माण हुआ।

इस प्रकार अब तक की विवेचना में पाया कि आरोपी सतपाल कोचर व श्रीमती कृष्णा कोचर सहभागी मै० सर्विस ऑफिसर्स हाउसिंग कार्पोरेशन द्वारा प्रारम्भ से ही अपनी भूमि की आढ़ में राजकीय भूमि में कब्जा करने हेतु कूटरचित लेआउट प्लान का प्रयोग करते हुये राज्य सरकार की लगभग 11 बीघा भूमि विक्रय किया, जिसमें से 2.67 बीघा भूमि का दाखिल खारिज तत्कालीन लेखपाल द्वारा रास्तों की भूमि को बिना छोड़े आरोपी सतपाल कोचर के नाम पूर्ण भूमि का उल्लेख करते हुये दाखिल खारिज हेतु संस्तुति की थी एवं जिसमें निर्मित 04 भवनों के मानचित्र स्वीकृति हेतु तत्कालीन लेखपाल राजेन्द्र डबराल एमडीडीए द्वारा राज्य सरकार की भूमि को नजरअंदाज करते हुये भूस्वामित्व की रिपोर्ट प्रेषित करते हुये मानचित्र स्वीकृत की संस्तुति की इस प्रकार तत्कालीन एमडीडीए एवं नगर निगम में नियुक्त कार्मिकों द्वारा अपने पद का दुरूपयोग करते हुए. राजस्व, श्री सत्यपाल कोचर व श्रीमती कृष्णा कोचर को सदोष लाभ पहुँचाया व राजकीय भूमि पर अवैध कब्जा कराया।
उक्त कृत्य में सम्मिलित आरोपी
1 खुशाल सिंह राणा सेवानिवृत्त लेखपाल, तहसील सदर देहरादून
2- सतपाल कोचर
3- श्रीमती कृष्णा कोचर पत्नी सतपाल कोचर
4 राजेन्द्र डबराल, सेवानिवृत्त लेखपाल एमडीडीए के विरूद्ध शासन से अभियोजन स्वीकृति उपरान्त आरोप पत्र मा० सक्षम न्यायालय में प्रेषित किया गया है। अग्रिम विवेचना प्रचलित है।