देहरादून। प्रदेश के अधिकतर पहाड़ी क्षेत्रों में पलायन के चलते हालात बद से बदतर हो गए हैं। कई स्थानों पर तो स्थिति इतनी भयंकर हो गई है कि वहां किसी की मृत्यु होने पर कंधा देने वाले भी नही बचे हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में मूलभूत समस्याओं का अंबार बेरोजगारी का दानव राज्य निर्माण के 25 वर्षों बाद भी मुंह बाय खड़ा हुआ है। मूलभूत सुविधाओं के साथ ही रोज़गार के लिए तरसने वाले लोगों को जैसे ही मौका मिलता है वैसे ही वह गांवों से पलायन कर जाते हैं।
दिल को झझकोर देने वाला और बहुत ही दुखद मामला रुद्रप्रयाग जिले से सामने आया है, जिससे एक बार फिर व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। कभी 15-16 परिवारों वाले ल्वेगढ़ गांव में अब सिर्फ तीन महिलाएं और एक पुरुष ही रह गए हैं। गांव में दो दिन पहले जब एक वृद्धा की मौत हुई तो उसके अंतिम संस्कार के लिए घाट तक ले जाने के लिए कंधे तक नहीं मिले। कभी जिन घरों से हंसी ठिठोली की आवाजें आती थीं आज उन्हीं घरों में मौत होने के बाद शव उठाने के लिए चार कंधे नहीं मिल रहे हैं। कांडई का ल्वेगढ़ गांव आज पलायन की मार झेल रहा है।
गांव में दो दिन पहले जब एक वृद्धा की मौत हुई तो उसके अंतिम संस्कार के लिए घाट तक ले जाने के लिए कंधे तक नहीं मिले। नजदीकी गांवों को जब इसकी सूचना मिली वहां से ग्रामीण गांव पहुंचे तब जाकर दूसरे दिन वृद्धा का अंतिम संस्कार हुआ। ऐसे में सरकार, राजनेता, मूल निवासी और मैदानी क्षेत्रों में बैठकर पहाड़ की चिंता करने वालों को भी इस चिंताजनक हालात के समाधान को सोचना होगा।
जिले के कांडई ग्राम पंचायत का ल्वेगढ़ गांव मूलभूत सुविधाएं न होने से पलायन के कारण खाली हो गया है। कभी 15-16 परिवारों वाले इस गांव में वर्तमान में महज तीन महिलाएं और एक पुरुष ही रह गए हैं।
कांडई के ग्राम प्रधान संजय पांडे और पास की ग्राम पंचायत सुनाऊं के प्रधान पुष्कर सिंह बिष्ट के अनुसार दो दिन पहले बृहस्पतिवार को यहां एक वृद्धा सीता देवी (90) की मृत्यु हो गई। मृतक का बेटा मानसिक रूप से अस्वस्थ है। ऐसे में महिला की अंतिम संस्कार उस दिन नहीं हो पाया।
गांव में अन्य कोई पुरुष नहीं था जो शव को घाट तक ले जा सके। जब दूसरे गांवों के लोगों को इसकी सूचना मिली तो कलेथ, पांढरा मड़गांव, मलछोड़ा, सहित आसपास के गांवों के ग्रामीण ल्वेगढ़ पहुंचे। तब जाकर दूसरे दिन शव पैतृक घाट ले जाया गया और अंतिम संस्कार किया गया। अब गांव में तीन लोग ही रह गए हैं।
गांव तक पहुंचने के रास्ते झाड़ियों से पटे
ल्वेगढ़ गांव तक पहुंचने के रास्ते भी खराब हैं। गांव आज तक सड़क से नहीं जुड़ पाई है। साथ ही पेयजल की समस्या भी बनी है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के रास्ते बदहाल और खतरनाक हैं। स्कूल भी दो से चार किमी दूर है।स्वास्थ्य सेवा भी नहीं है। प्रधान संजय पांडे ने बताया कि अभी कार्यकाल शुरू हो रहा है। इन सभी रास्तों को सुधारा जाएगा। पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था ल्वेगढ़ में की गई है। जल्द ही स्थायी व्यवस्था कर दी जाएगी।
ल्वेगढ़ गांव का मामला संज्ञान में आया है। यहां के रास्तों को ठीक करने और पुल का निर्माण करने के लिए जिला योजना सहित अन्य मदों में प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे।
– पूनम कठैत, अध्यक्ष जिला पंचायत रुद्रप्रयाग।मरछोला तक सड़क स्वीकृत है। जल्द इसका निर्माण किया जाएगा। मरछोला तक सड़क बनने से ल्वेगढ़ की पैदल दूरी भी कम हो जाएगी। साथ ही ल्वेगढ़ गांव को सड़क से जोड़ने के लिए जो भी आवश्यक प्रयास होगा किया जाएगा।