देहरादून। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत के जन्मदिन के अवसर पर बालावाला क्षेत्र में एक भव्य एवं बहुआयामी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सामाजिक सेवा, स्वास्थ्य जागरूकता और सांस्कृतिक विरासत को समर्पित कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों, कार्यकर्ताओं एवं जनप्रतिनिधियों ने सहभागिता की।

कार्यक्रम के अंतर्गत रक्तदान शिविर, दंत चिकित्सा शिविर तथा नेत्र परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया। स्वास्थ्य शिविरों में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा लोगों की जांच की गई तथा जरूरतमंदों को परामर्श व दवाइयां भी उपलब्ध कराई गईं। रक्तदान शिविर में युवाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और मानव सेवा का संदेश दिया।

इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें कवियों ने देश, समाज और संस्कृति से जुड़े विषयों पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं गढ़वाली एवं कुमाऊनी सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति की झलक देखने को मिली। पारंपरिक गीत -संगीत और नृत्य प्रस्तुतियों ने पूरे वातावरण को उत्साह और उल्लास से भर दिया।

इस दौरान कार्यक्रम के आयोजक पूर्व अध्यक्ष मंडी समिति देहरादून राजेश शर्मा, विधायक बृजभूषण गैरोला, पूर्व महापौर सुनील उनियाल गामा, हल्द्वानी मेयर गजराज बिष्ट, रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा, भाजपा परवादून जिलाध्यक्ष राजेंद्र सिंह तड़ियाल, राज्य मंत्री कर्नल अजय कोठियाल, जिला प्रभारी दान सिंह रावत तथा राज्यमंत्री सुभाष बर्थवाल, पार्षद कमली भट, पार्षद प्रशांत खरोला, पार्षद राहुल कुमार, बालावाला मंडल अध्यक्ष सौरव नौडियाल, डोईवाला मंडल अध्यक्ष पंकज शर्मा, माजरी मंडल अध्यक्ष रश्मि देवी, रानी पोखरी मंडल अध्यक्ष गीतांजलि रावत, पूर्व जिलाध्यक्ष शमशेर पुंडीर तथा पूर्व जिला पंचायत सदस्य पुष्पा बर्तावाल मौजूद रहे।

सभी वक्ताओं ने अपने संबोधन में त्रिवेन्द्र सिंह रावत के जन्मदिन को सेवा दिवस के रूप में मनाने की पहल की सराहना की और इसे समाज के लिए प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम सामाजिक एकता को मजबूत करते हैं और जनकल्याण की भावना को आगे बढ़ाते हैं।कार्यक्रम का समापन सौहार्दपूर्ण वातावरण और सेवा-संकल्प के साथ किया गया। आयोजन को सफल बनाने में स्थानीय कार्यकर्ताओं और क्षेत्रवासियों का विशेष योगदान रहा।











