अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ विभिन्न संगठनों ने डीएम कार्यालय पर किया धरना प्रदर्शन

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प्रदेश में साम्प्रदायिक तनाव बढा़ने वालों पर अंकुश लगाने की मांग को जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं मुख्य चुनाव आयुक्त को भेजा ज्ञापन

देहरादून। राजधानी देहरादून में
विभिन्न राजनैतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कुछ कट्टरवादी संगठनों द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ अभियान तथा स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन एवं विभागों की दोहरी भूमिका के खिलाफ जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया तथा प्रशासन की भूमिका की कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए अविलंब संविधान के अनुसार अपनी निष्पक्ष भूमिका निभाने की मांग की। इस सन्दर्भ में मुख्य चुनाव आयुक्त, राज्य निर्वाचन अधिकारी तथा मुख्य सचिव उत्तराखण्ड को ज्ञापन प्रेषित किया तथा अविलम्ब हस्तक्षेप की मांग तथा अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने‌ की मांग करते हुए ज्ञापन दिया। ज्ञापन में राज्य में हो रही साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं पर अविलम्ब रोक लगाने की मांग की गई। ज्ञापन डीएम की गैर मौजूदगी में प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा गया जिन्होने आवश्यक कार्यवाही ‌का‌ आश्वासन दिया।

ज्ञापन
सेवा में
जिलाधिकारी महोदय
देहरादून।
*बिषय :- साम्प्रदायिक तनाव फैलाने पर अंकुश लगाने के सन्दर्भ में
महोदय ,
हमारे देश के संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 द्वारा प्रत्येक देश के नागरिक को दिया गया मौलिक अधिकार है ,जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भी प्रमुखता से शामिल है । देश के प्रत्येक नागरिक को हमारा संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की समान रूप से गारंटी देता है। भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति या समुदाय किसी भी सामाजिक, कानूनी, राजनीतिक या किसी अन्य प्रकार के हस्तक्षेप के बिना चुन सकता है कि किस धर्म का पालन, अभ्यास, पालन और पूजा करे। अनुच्छेद 25 (अंतरात्मा की स्वतंत्रता, धर्म को मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता का अधिकार शामिल है )

महोदय, उपरोक्त संवैधानिक अधिकारों का पालन वर्तमान में हमारे देश व खासकर उत्तराखण्ड में समुचित ढ़ग से नहीं हो पा रहा है, परिणामस्वरूप हर्रावाला, पुरोला, रूड़की, सहसपुर हल्दानी,सीमेंट /डी.एल रोड़, अब गोविन्दगढ़ जैसी अनेक घटनाऐं आये दिन हो रही जहाँ पर अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुस्लिम समुदाय के लोगों को तरह – तरह से उत्पीड़ित किया जा रहा है।कुछ लोगों व समूह एवं संगठनों द्वारा सुनियोजित ढंग से ऐसा किया जा रहा है प्रशासन/पुलिस तथा सरकारी अमला सीधेतौर अब इनके साथ खड़ा है, कट्टर हिन्दुत्ववादी जहाँ मन्दिर या धार्मिक जलूस निकाल दे प्रशासन उनके सामने नतमस्तक है , 22 जनवरी 024 इसका जिता जागता उदाहरण है ।एक संगठन को खुलेआम घण्टाघर चौक पर हनुमान चालीसा पढ़ने संगठन प्रचारआदि की पुलिस द्वारा खुलेआम इज्जाजत दी जाती है तथा वहीं कुछ महीने पूर्व यही लोग घण्टघर स्थित अम्बेडकर जी की मूर्ति के नीचे जान बूझकर पूजा पाठ करते हैं दूसरी ओर यदि गोविन्दगढ़ में कोई अल्पसंख्यक समुदाय का परिवार अपने घर में इबादत करता है तो पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में ये तत्व हंगामा कर उनके छतों की टीने तक हटवा देते हैं जो कि खेदजनक है। आजकल इन घटनाओं में काफी तेजी आ गई है क्योंकि वोटों की खातिर सत्तापक्ष से जुड़े लोगों द्वारा साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण किया जा रहा है।

महोदय, आप जिले की शीर्षस्थ अधिकारी के साथ ही जिला निर्वाचन अधिकारी भी हैं ऐसे में आपका दोहरा दायित्व है कि हरएक अल्पसंख्यक एवं कमजोर वर्ग अथवा पीड़ित को समुचित संरक्षण दिया जाये । यह कार्य चन्द अधिकारियों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है।

आशा है कि आप न्यायहित में आवश्यक कार्यवाही करते हुऐ किसी भी संवेदनशील मामलों का व्यक्तिगत परीक्षण करते हुऐ न्यायोचित कार्यवाही कर अवांक्षित तत्वों के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित करने की कृपा करें।

आशा है कि शांति एवं सौहार्दपूर्ण माहौल बनाये रखने में जनहित में आवश्यक कार्यवाही होगी।
भवदीय

सीपीआई (एम) सीपीआई , सपा, सीटू ,भीम आर्मी, जनतादल सेक्युलर, इफ्ट, एआईएलयू, उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी परिषद ,नेताजी संघर्ष समिति ,पीपुल्स फोरम आदि संगठन शामिल रहे।

प्रदर्शनकारियों में सपा के अतुल शर्मा, सीपीएम के अनन्त आकाश, त्रिलोचन भट्ट इंसानियत मंच,भीम आर्मी के आजम खान, सी.आ.ई.टी.यू के लेखराज, सीपीआई के अशोक शर्मा, जनतदल सेक्युलर के हरजिंदर सिंह ,उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी जब्बर सिंह पवैल,आयूप के नवनीत गुसाई, एआईएलयू शम्भू प्रसाद ममगाई, पीपुल्स फोरम के जयकृत कणवाल,फैजान मंसूरी, सुहेल खान,सुन्दर, एजाज, चांद खान, मौहम्मद साकिर, रविंद्र नौडियाल, रामसिंह भण्डारी, प्रभात, चिंता सेमवाल डण्डरियल आदि प्रदर्शनकारी शामिल रहे।