आख़िर आम लोग पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के बावजूद सवाल क्यों नहीं उठा रहे?

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भारत में पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में लगातार बढ़त देखी जा रही है. मंगलवार को देश के चार बड़े शहरों में पेट्रोल और डीज़ल के दामों में 25 पैसे से लेकर 38 पैसे तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मसले पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा है कि बीजेपी सरकार को आम लोगों की दिक़्क़तों से कोई मतलब नहीं है. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि पिछले दो महीनों में ही एलपीजी गैस की कीमतें 175 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ी हैं. इसकी वजह से पहले से आर्थिक सुस्ती की मार झेल रहे आम लोगों को और ज़्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

कांग्रेस पार्टी ने पेट्रोल की कीमतों को लेकर मोदी सरकार पर हमला जारी रखा है।कांग्रेस ने एक ट्वीट में लिखा है, “18 अक्तूबर, 2014 को मोदी सरकार ने डीज़ल पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म कर इसका बोझ आम जनता पर डाल दिया, तब से लेकर आज तक सरकारी लूट चालू है।”

राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर इसे मोदी सरकार की लूट बताया है।लेकिन, दूसरी ओर ऐसा भी दिखाई दे रहा है कि आम लोगों की ओर से इस महंगाई पर कोई चर्चा या बहस नहीं हो रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या लोग वाकई में प्रधानमंत्री मोदी से इतने संतुष्ट हैं कि वे तेल की कीमतों में लगातार जारी महंगाई से जरा भी चिंतित नहीं हैं?

वरिष्ठ अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार कहते हैं कि सरकार को पता है कि देश में एक कमजोर विपक्ष है और उसे इसी का फायदा मिलता है।

वे कहते हैं, “इस तरह के मसलों पर विपक्ष को जोरदार तरीके से आवाज उठानी चाहिए, लेकिन विपक्ष बड़े तौर पर बिखरा हुआ है.” पहले भी इस तरह की मांग उठी थी कि सरकार को ईंधन की कीमतों पर अपना नियंत्रण फिर से करना चाहिए और आम लोगों को राहत देनी चाहिए।

हालांकि, सरकार इसे पूरी तरह से ख़ारिज कर चुकी है।साल 2018 में केंद्र सरकार में तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने साफ कर दिया था कि सरकार तेल पर फिर से कंट्रोल करने पर कतई विचार नहीं कर रही है।

देश के पांच प्रमुख शहरों में फ्यूल के दाम (प्रति लीटर) पेट्रोल
चेन्नईः 91.45 रुपये, बढ़तः 26 पैसे

दिल्लीः 89.29 रुपये, बढ़तः 30 पैसे

कोलकाताः 90.54 रुपये, बढ़तः 29 पैसे

मुंबईः 95.75 रुपये, बढ़तः 29 पैसे

लखनऊः 87.87 रुपये, बढ़तः 0.23 पैसे

डीज़ल के दाम

चेन्नईः 91.45 रुपये, बढ़तः 26 पैसे

दिल्लीः 79.70 रुपये, बढ़तः 35 पैसे

कोलकाताः 83.29 रुपये, बढ़तः 35 पैसे

मुंबईः 86.72 रुपये, बढ़तः 38 पैसे

लखनऊः 80.07 रुपये, बढ़तः 35 पैसे

कितना है तेल पर टैक्स?
ईंधन की कीमतें हर राज्य में अलग-अलग हैं. ये राज्य की वैट (वैल्यू ऐडेड टैक्स) दर, या स्थानीय करों पर निर्भर करती हैं. इसके अलावा इसमें केंद्र सरकार के टैक्स भी शामिल होते हैं. दूसरी ओर क्रूड ऑयल की कीमतों और फॉरेक्स रेट्स का असर भी इन पर होता है.

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के 16 फरवरी 2021 को दिल्ली के लिए जारी किए गए पेट्रोल की कीमतों के ब्रेकअप से पता चलता है कि पेट्रोल की बेस कीमत 32.10 रुपये प्रति लीटर बैठती है. इसमें पेट्रोल की बेस कीमत 31.82 रुपये के साथ डीलरों पर लगने वाला 0.28 रुपये प्रति लीटर का ढुलाई भाड़ा शामिल है.

अब इस पर 32.90 रुपये एक्साइज़ ड्यूटी लगती है. इसके बाद 3.68 रुपये डीलर कमीशन बैठता है। अब इस पर वैट लगता है. जो कि 20.61 रुपये प्रति लीटर बैठता है।

इन सब को जोड़कर दिल्ली में पेट्रोल की रिटेल कीमत 89.29 रुपये प्रति लीटर बैठती है। पेट्रोल की कीमत यानी 35.78 रुपये (इसमें ढुलाई भाड़ा और डीलरों का कमीशन शामिल है) के मुक़ाबले ग्राहकों की चुकाई जाने वाली 89.29 रुपये प्रति लीटर की कीमत को देखें तो ग्राहकों को 53.51 रुपये टैक्स के तौर पर देने पड़ते हैं।

निश्चित तौर पर सरकार के पास पेट्रोलियम उत्पादों के दाम घटाने के विकल्प हैं. इनमें कीमतों को डीरेगुलेट करने और इन पर टैक्स घटाने के विकल्प शामिल हैं.

प्रो. कुमार कहते हैं कि सरकार के पास डायरेक्ट टैक्स बढ़ाने का विकल्प था. महामारी के दौरान भी जिन सेक्टर के लोगों की कमाई बढ़ी या बरकरार रही, उन पर ज्यादा टैक्स सरकार लगा सकती थी.

साथ ही सरकार पेट्रोल पर टैक्स को घटा भी सकती है.

प्रो. कुमार कहते हैं, “ये पूरी तरह से सरकार के हाथ में है. आप टैक्स घटाकर ईंधन सस्ता कर सकते हैं और लोगों को राहत दे सकते हैं. लेकिन, सरकार ऐसा करना ही नहीं चाहती है.”वे कहते हैं कि एक्साइज़ और वैट में कटौती की भरपाई सरकारें अपने बेफिजूल के खर्चों को कम करके कर सकती हैं।