उत्तराखंड: भू-कानून जरूरी लेकिन उससे पहले हो जमीनो का बन्दोबस्त: कोश्यारी

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कोश्यारी ने कहा,`बाहरी-बाहरी न बोलें-खुद को मजबूत करें, दुनिया में ये सोच न बने कि हम छोटे दिल के हैं’

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र-गोवा के राज्यपाल रह चुके भगत सिंह कोश्यारी ने भू-कानून को जरूरी करार देते हुए इसको सख्ती से लागू करने से अधिक अहम भूमि बंदोबस्त को करार दिया. उन्होंने कहा कि ज्यादा बाहरी-बाहरी करने से ये सन्देश भी न जाए कि हम लोग छोटे दिल के हैं संकीर्ण सोच के हैं. हमें नहीं भूलना चाहिए कि हमारे लोग भी देश भर में हैं.नकारात्मक सन्देश बाहर नहीं जाना चाहिए। नही तो कल उनके बारे में भी वहां के लोग यही बोलना शुरू कर देंगे जिससे समस्या बढ़ेगी।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है.यहाँ देश भर से लोग आते हैं.बाहरी-बाहरी बोलेंगे तो वे बद्रीनाथ- केदारनाथ भी आने से हिचक सकते हैं.हमको बाहरी बोलने से ज्यादा अपनी भूमि की पावनता और संस्कृति रक्षा के लिए मजबूती पर कार्य करना होगा.कुछ लोग इसको नष्ट करने की साजिश कर रहे हो सकते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्यादा बाहरी कहेंगे तो दुनिया में ये सन्देश बाहर जा सकता है कि हम लोग संकीर्ण सोच और छोटे दिल वाले हैं.हरेक बात को सही ढंग से कहना चाहिए. सांस्कृतिक परिवेश का संरक्षण भी होना चाहिए. कोश्यारी ने कहा कि जनरल BC खंडूड़ी के वक्त भू-कानून बना था.वह लोगों को रास आया था.बाद में उस को ले के लोगों में असंतोष- आक्रोश हुआ तो सरकार को उसको नई जरूरतों के हिसाब से संशोधित कर के लागू किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि इससे और चकबंदी से पहले भूमि- बंदोबस्त को अंजाम देना होगा.बंदोबस्त में सरकार एक-एक इंच जमीन नापती है.भूमिधर कितने हैं.जो जमीन बेच सकते हैं या नहीं बेच सकते हैं, इन जमीनों का भी हिसाब लिया जाएगा. बागान लगाने के लिए जमीन दी गई थी.उस पर लोगों ने बाद में घर बना दिए या फिर बंजर हैं, उसका भी रिकॉर्ड लिया जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बंदोबस्ती में 1-2 साल लग सकता है, लेकिन इसका फायदा होगा.अभी अधिकांश लोगों को पहाड़ में अपनी जमीनों के बारे में ये ही नहीं मालूम कि उनके खाते की जमीन कहाँ-कहाँ बंटी और फैली हुई है.एक का नंबर एक जगह तो दूसरे का कहीं दूर दूसरी जगह नजर आता है.लोग अपनी जमीन को ले के दुविधा और भ्रम में फंसे रहते हैं।

उन्होंने मुख्य्मंत्री पुष्कर सिंह धामी से उम्मीद जताई कि वह इस दिशा में ठोस कदम उठाएंगे.ये बड़ा और दुरूह कार्य होता है लेकिन आधुनिक तकनीकी के युग में अब ये इतना भी मुश्किल नहीं रह गया है.उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद की हर सरकार ने भूमि बंदोबस्ती के महत्त्व को स्वीकार किया लेकिन उस पर कार्य गंभीरता से कभी नहीं हो पाया।

कोश्यारी ने कहा कि पहाड़-जंगल और नदियों से आच्छादित उत्तराखंड में हर कार्य के लिए जरूरी जमीन की उपलब्धता बहुत बड़ी समस्या है.भूमि-बंदोबस्ती के बाद सरकार को काफी बड़ा Land Bank मिल सकता है.विकास योजनाओं में ये Bank बहुत अहम भूमिका निभाएगा.भूमि बन्दोबस्ती होगी तो लोग शहरों से पहाड़ों में लौटेंगे, पहाड़ों में जनसांख्यकीय परिवर्तन को भी गंभीरता से देखना होगा।