लोकसभा से लेकर विधानसभा के चुनावो में भी शायद इतनी गर्मी नही होती है जितनी गर्मी इस सर्द मौसम में आने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर दावेदारों के बीच है। ज्यादातर दावेदार होली के पहले अपने क्षेत्र में पंचायत चुनाव हो जाने की प्रार्थना कर रहे है। उनका कहना है कि होली के बाद चुनाव होने से वोटरों को लुभाने में ज्यादा खर्च होने की आशंका है।
यूं तो अभी तक पंचायत चुनावों को लेकर नही शंखनाद हुआ है। ना ही आरक्षण का खुलासा हुआ है। लेकिन गांव-गांव कमर कसे दावेदार अपनी गोटियां फिक्स करने में जुट गए हैं। वोटरो को सहेजने के लिए रामजुहार के साथ ही देर रात बैठक और दावतों का दौर शुरू हो गया है। आरक्षण को लेकर दावेदारों के खास उंगलियों पर वोटरों की मानसिक अवस्था और पाले में करने की जुगत बताने में जुट गए है। फिलहाल दावेदार खासकर प्रधान रहे दावेदार और पहले परधानी कर चुके दावेदार होली के पहले अपने यहां वोटिंग की भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं।
इन लोगों का कहना है कि पंचायत चुनाव होली से पहले होने से बाहरी वोटरों पर खर्च नही करना पड़ेगा। लेकिन अगर 28 मार्च को होली के बाद वोटिंग कराई जाएगी तो घर आने वाले प्रवासी वोटरों को सहेजने में शकर बोरी, कपड़े, मिठाई समेत अनेक जरूरतों के पूरी करने के लिए खासी रकम खर्च हो जाएगी। इससे बजट गिड़ने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि आरक्षण अभी घोषित नही हुआ है। लेकिन पुराने दावेदारो ने अभी तक गोटियां बसने के साथ अपने सिर पर ताज सजने की उम्मीद नही गंवाई है।