निकित फाउंडेशन के बैनर तले वरिष्ठ समाजसेवी दीपक थपलियाल द्वारा राज्य स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर सांस्कृतिक संध्या का भव्य आयोजन
देहरादून। 9 नवंबर—उत्तराखंड के इतिहास का वह दिन, जिसने लाखों सपनों को हकीकत का रूप दिया। यह दिन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि उन अनगिनत आंदोलनकारियों की याद है, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए संघर्ष किया, नारे लगाए, जेल गए और बलिदान दिए। इसी भावना को जीवित रखने के लिए इस वर्ष राजधानी देहरादून के चंद्रबनी में राज्य स्थापना दिवस को विशेष रूप से मनाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है।


यह आयोजन निकित फाउंडेशन के बैनर तले किया जा रहा है, जिसकी कमान संभाल रहे हैं वरिष्ठ समाजसेवी दीपक थपलियाल। समाजसेवा के क्षेत्र में वर्षों से सक्रिय दीपक थपलियाल का मानना है कि –
> “राज्य आंदोलनकारियों का सम्मान सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह हमारे अस्तित्व की जड़ों को नमन है।”
इस आयोजन में उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध कलाकार सौरव मैठाणी भी विशेष रूप से शामिल होंगे। थपलियाल दंपत्ति की यह पहल न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक संदेश भी है कि अपनी मिट्टी से जुड़ाव ही असली पहचान है।
कार्यक्रम में राज्य आंदोलनकारियों को सम्मानित किया जाएगा — उन वीरों को, जिन्होंने उत्तराखंड राज्य के निर्माण के लिए अपने घर-परिवार और जीवन की सुख-सुविधाएँ छोड़ दीं। यह सम्मान सिर्फ पुरस्कार नहीं, बल्कि उनकी तपस्या का सार्वजनिक प्रणाम होगा।
साथ ही, मंच पर लोक-संस्कृति की गूंज भी सुनाई देगी। पारंपरिक वाद्य, लोकगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से उत्तराखंड की समृद्ध परंपरा को जीवंत किया जाएगा।
बच्चे और युवा कलाकार भी प्रस्तुति देंगे, ताकि यह दिवस केवल यादों का नहीं, बल्कि प्रेरणा का पर्व बने।
निकित फाउंडेशन के अध्यक्ष दीपक थपलियाल का कहना है कि यह कार्यक्रम समाज के हर वर्ग को जोड़ने का प्रयास है — ताकि सभी मिलकर उस भावना को पुनर्जीवित कर सकें जिसने “उत्तराखंड” को जन्म दिया।
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य केवल उत्सव मनाना नहीं, बल्कि यह याद दिलाना है कि —
> “राज्य आंदोलन सिर्फ भूतकाल की कहानी नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य की जिम्मेदारी भी है।”









